जीएसटी चोरी का अब तक का सबसे बड़ा मामला पकड़ा , 825 करोड़ के हुए फर्जी ट्रांजेक्शन

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नागपुर ( nainilive.com )- डायरेक्टरेट जनरल आफ जीएसटी इंटेलिजेंस (डीजीजीआई) ने अब तक के सबसे बड़े मामले का खुलासा किया है, जिसमें 10,000 जाली इनवायस जारी कर 825 करोड़ रुपये का फर्जी ट्रांजेक्शन दिखाया गया है. खास बात यह है कि यह कंपनी बांबे शेयर बाजार (बीएसई) में लिस्टेड कंपनी है और सरकार को चूना लगाने का काम कर रही है. इन मामलों में 148 करोड़ रुपये का इनपुट क्रेडिट भी उठा लिया गया है.

नागपुर डीजीजीआई का यह अब तक का सबसे बड़ा मामला है. मजेदार बात तो यह है कि ई-वे बिल में जो वाहन नंबर दिया गया है, अधिकांश वाहन 2 व्हीलर, थ्री व्हीलर पाये गए हैं. कुछ मामलों में तो वाहन ही नहीं होने की जानकारी सामने आई है. 1 कंपनी ने लगाया 107 करोड़ का चूना मिली जानकारी के अनुसार मुंबई में हाईड्रो कार्बन का कारोबार करने वाली कंपनी पर कार्रवाई की. पता चला है कि उक्त कंपनी ने 4700 इनवायस जारी किए हैं. अधिकांश इनवायस गलत हैं और इन इनवायस के जरिए कंपनी सरकार को 107 करोड़ रुपये का चूना लगा चुकी है. आश्चर्य की बात तो यह है कि इस प्रकार के धंधे में लिप्त कंपनी बीएसई जैसे प्लेटफार्म में लिस्टेड है. पता चला है कि जो भी इनवायस जारी किए गए हैं, उसमें से अधिकांश अलग-अलग व्यक्ति के नाम पर जारी किया गया है और अधिकांश मामलों में इनपुट क्रेडिट भी उठा लिया गया है.

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इस पूरे रैकेट की गहनता से जांच करने पर विभाग को पता चला है कि कई लोग इस प्रकार से रैकेट बनाकर काम कर रहे थे. पिछले 3 माह से गहन छानबीन करने के बाद इन मामलों को एक साथ सामने लाया गया है. मुंबई से इतर विदर्भ में भी इस प्रकार का बड़ा रैकेट कार्यरत है. विदर्भ क्षेत्र के कुल 17 कारोबारियों को इस प्रकार के मामले में पकड़ा गया है. अधिकांश कारोबारी एल्युमिनियम स्क्रैप, लोहे के कबाड़ के कारोबार, टीएमटी, सरिया आदि के कारोबार से जुड़े हैं. इन व्यापारियों ने भी गलत ई-वे बिल और इनवायस जारी कर सरकारी तिजोरी में सेंध लगाने का काम किया है. यह नेटवर्क पूरे विदर्भ क्षेत्र में फैला है. कई व्यापारियों पर कड़ी कार्रवाई भी की गई है. इन मामलों को निपटाने के लिए विभाग ने संपूर्ण महाराष्ट्र में 75 से अधिक कार्रवाइयां की हैं, तब जाकर इस नेटवर्क का भंडाफोड़ हो पाया है. 148 करोड़ के इनपुट क्रेडिट में से 6 करोड़ की वसूली करने में भी विभाग को सफलता मिली है.जानकारों ने बताया कि इन सभी मामलों में अब तक कुल 4 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है.

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बताया जाता है कि एक कंपनी का प्रबंध निदेशक, जिस पर लगभग 4.60 करोड़ रुपये का बकाया है, पिछले 5 माह से फरार चल रहा है. इस प्रबंध निदेशक को पकड़ने की काफी कोशिश की गई. अकाउंटेंट को गिरफ्तार तक किया गया है, परंतु मालिक अब तक गिरफ्त से बाहर है. अंतत: विभाग ने सदर पुलिस थाने में उस प्रबंध निदेशक के खिलाफ मामला दर्ज कराया है. इन मामलों में कुल 80 व्यक्तियों से पूछताछ हो चुकी है और 140 से अधिक बयान लिए गए हैं.

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जल्द ही इन मामलों में और गिरफ्तारी होने की संभावना जताई जा रही है. गिरफ्तार व्यक्तियों में 2 नागपुर और दो नागपुर के बाहर के हैं. टू व्हीलर नंबर का उपयोग सूत्रों ने बताया कि 10,000 जारी इनवायस में अधिकांश में जो नंबर डाले गए हैं, जांच पर पता चला है कि वे नंबर टू व्हीलर के थे या फिर थ्री व्हीलर के. कई मामले ऐसे भी सामने आये हैं, जिसमें कोई वाहन पंजीकृत ही नहीं है.

विभाग का मानना है कि इससे यही पता चलता है कि जानबूझकर कारोबारी इस प्रकार के खेल में लिप्त थे और उन्हें लग रहा था कि कोई पकड़ने वाला नहीं है. विभाग ने जब ई-पोर्टल से ई-वे बिल का मिलान किया तब यह चौंकाने वाले तथ्य सामने आये हैं.

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