सरल भाषा में जानें क्या है एनपीआर , कैसे होगा रजिस्ट्रेशन?

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नई दिल्ली ( nainilive.com )- केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को अपडेट करने को मंजूरी दे दी है. 2021 की जनगणना से पहले, अप्रैल 2020 से सितंबर 2020 तक रजिस्टर को अपडेट किया जाएगा. राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (NRC) और नागरिकता संशोधन कानून (CAA) पर बहस के बीच एनपीआर (NPR) यानी नैशनल पॉपुलेशन रजिस्टर को लेकर भी लोगों के मत में कई तरह के सवाल हैं. नैशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR) यानी राष्ट्रीय जनगणना रजिस्टर यानी एनपीआर भारत में रहने वाले स्वाभाविक निवासियों का एक रजिस्टर है. इसे ग्राम पंचायत, तहसील, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जाता है.

नागरिकता कानून, 1955 और सिटिजनशिप रूल्स, 2003 के प्रावधानों के तहत यह रजिस्टर तैयार होता है. नागरिकता कानून, 1955 को 2004 में संशोधित किया गया था, जिसके तहत एनपीआर के प्रावधान जोड़े गए. सिटिजनशिप एक्ट, 1955 के सेक्शन 14A में यह प्रावधान तय किये गए हैं. केंद्र सरकार देश के हर नागरिक का अनिवार्य पंजीकरण कर राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी कर सकती है. सरकार देश के हर नागरिक का रजिस्टर तैयार कर सकती है और इसके लिए नैशनल रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी भी गठित की जा सकती है.

मनमोहन सरकार में शुरू हुई थी योजना प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में 2010 में एनपीआर बनाने की पहल शुरू हुई थी. तब 2011 में जनगणना के पहले इस पर काम शुरू हुआ था. अब फिर 2021 में जनगणना होनी है. ऐसे में जल्द ही एनपीआर पर भी काम शुरू होनेवाला है. क्या यह सबके लिए जरूरी है? नागरिकता कानून में 2004 में हुए संशोधन के मुताबिक सेक्शन 14 के तहत किसी भी नागरिक के लिए एनपीआर में रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है. नैशनल रजिस्टर ऑफ इंडियन सिटिजंस के लिए पंजीकरण कराना जरूरी है और एनपीआर इस दिशा में पहला कदम है.

कैसे होगा रजिस्ट्रेशन? नैशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR) यानी राष्ट्रीय जनगणना रजिस्टर के तहत 1 अप्रैल, 2020 से 30 सितंबर, 2020 तक नागरिकों का डेटाबेस तैयार करने के लिए देशभर में घर-घर जाकर जनगणना होगी. इस डेटा में जनसांख्यिकी के साथ देश के हर नागरिक की बायोमीट्रिक जानकारी भी होगी. इसमें आंखों की रेटिना और फिंगर प्रिंट भी ली जाएगी. यह पूरी प्रक्रिया एनपीआर तय करने के लिए नियुक्त किए गए सरकारी अधिकारियों की देखरेख में होगी. इसका मकसद क्या है? NPR का मुख्य लक्ष्य देश के सामान्य निवासियों की व्यापक पहचान का डेटाबेस बनाना है. सरकार अपनी योजनाओं को तैयार करने, धोखाधड़ी को रोकने और हर परिवार तक स्कीमों का लाभ पहुंचाने के लिए इसका इस्तेमाल करती है.

क्या-क्या दर्ज होगा? एनपीआर में व्यक्ति का नाम, परिवार के मुखिया से संबंध, पिता का नाम, माता का नाम, पत्नी या पति का नाम (यदि विवाहित हैं), लिंग, जन्मतिथि, मौजूदा पता, राष्ट्रीयता, स्थायी पता, व्यवसाय और बायोमीट्रिक डिटेल्स को इसमें शामिल किया जाएगा. 5 साल से अधिक उम्र के लोगों को ही इसमें शामिल किया जाएगा. गलत जानकारी देने पर जुर्माना अगर एनपीआर के तहत आप गलती से या जानबूझकर गलत सूचना देते हैं, तो सिटिजनशिप रूल्स, 2003 के तहत आपको जुर्माना अदा करना होगा.

पहचान पत्र जारी होगा? सरकार एनपीआर के तहत आइडेंटिटी कार्ड यानी पहचान पत्र जारी करने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है. यह एक तरह का स्मार्ट कार्ड होगा, जिसमें आधार का भी जिक्र होगा. एनपीआर और आधार के बीच कनेक्शन एनपीआर भारत में रहने वाले लोगों का एक आम रजिस्टर है. इसके तहत जुटाये गए डेटा को यूआईडीएआई को री-ड्युप्लिकेशन और आधार नंबर जारी करने के लिए भेजा जाएगा. इस रजिस्टर में तीन मुख्य चीजें- डेमोग्राफिक डेटा, बायोमीट्रिक डेटा और आधार संख्या को शामिल किया जाएगा.

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