अयोध्या केसः पुनर्विचार याचिका खारिज होने पर जफरयाब जिलानी बोले- ये दुर्भाग्यपूर्ण

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लखनऊ ( nainilive.com)- ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के जफरयाब जिलानी ने अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा सभी 18 याचिकाएं खारिज किए जाने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. कोर्ट के फैसले पर जफरयाब जिलानी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने हमारी समीक्षा याचिकाओं पर विचार नहीं किया है, यह दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा कि अभी हम नहीं बता सकते कि हमारा अगला कदम क्या होना चाहिए. साथ ही जिलानी ने कहा कि इस इसको लेकर हम अपने वरिष्ठ वकील राजीव धवन से सलाह लेंगे.

उधर, शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने अयोध्या मामले में सभी याचिकाओं को खारिज करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सही बताया है. उन्होंने कहा कि नफरत पैदा करने वालों की दुकानें एक बार फिर बंद हो गई. वहीं यूपी के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मोहसिन रजा ने पुनर्विचार याचिकाएं खारिज किए जाने पर कहा कि मंदिर निर्माण में बाधा पैदा करने वाली शक्तियां फिर से बेनकाब हुई हैं.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय खंडपीठ गुरुवार को बंद कमरे में बैठी और आपसी विचार-विमर्श के बाद सभी 18 पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज कर दिया. चूंकि ये रिप्रेजेंटेटिव सूट यानी प्रतिनिधियों के जरिए लड़ा जाने वाला मुकदमा है, लिहाजा सिविल यानी दीवानी मामलों की संहिता सीपीसी के तहत पक्षकारों के अलावा भी कोई पुनर्विचार याचिका दाखिल कर सकता है. इस मामले में पक्षकार की ओर से 9 याचिकाएं लगाई गई थीं. इसके अलावा अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से 9 याचिकाएं कोर्ट में दाखिल की गई थीं. इन याचिकाओं की मेरिट पर भी विचार किया गया.

पुनर्विचार याचिका खारिज करने वाली सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ में चीफ जस्टिस एसए बोबडे के साथ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एस अब्दुल नजीर और संजीव खन्ना ने सुनवाई की. इस पीठ में जस्टिस संजीव खन्ना नया चेहरा थे. पहले बेंच की अगुवाई करने वाले तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई रिटायर हो चुके हैं. ऐसे में संजीव खन्ना ने उनकी जगह ली है. शीर्ष अदालत ने अयोध्या जमीन विवाद मामले में नौ नवंबर को अपना फैसला सुनाया था. अदालत ने पूरी 2.77 एकड़ विवादित जमीन रामलला को यानी राम मंदिर बनाने के लिए देने का फैसला किया था. साथ ही सर्वसम्मति से केंद्र को यूपी सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में मस्जिद के निर्माण के लिए 5 एकड़ का भूखंड आवंटित करने का भी निर्देश दिया था.

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