अयोध्या में विहिप ने रोका 1990 से जारी पत्थरों को तराशने का काम, घर लौटे कारीगर
लखनऊ (nainilive.com)- अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के आने वाले फैसले से पहले विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने राम मंदिर के लिए अयोध्या में 1990 से जारी पत्थर तराशी का काम पहली बार रोक दिया है. विहिप प्रवक्ता शरद शर्मा ने बताया कि इस काम में लगे सभी कारीगर अपने घरों को लौट गए हैं. शर्मा ने बताया कि पत्थर तराशी रोकने का फैसला विहिप के शीर्ष नेतृत्व ने लिया है.
उन्होंने कहा- हमने पत्थर तराशी का काम रोक दिया है तथा यह काम फिर कब से शुरू होगा, इसका फैसला राम जन्मभूमि न्यास करेगा. सुप्रीम कोर्ट के आने वाले फैसले के मद्देनजर संगठन की विविध गतिविधियों से जुड़े सभी प्रस्तावित कार्यक्रम भी रद्द कर दिए गए हैं.
सरयू कुंज सीता-राम मंदिर के महंत युगल किशोर शास्त्री के मुताबिक, 1992 में विवादित ढांचा ढहाए जाने के बाद आरएसएस तथा विहिप जैसे सभी संगठनों पर छह महीने के लिए लगी पाबंदी के बावजूद मंदिर निर्माण कार्यशाला में पत्थर तराशी का काम जारी रहा था.
विहिप के मुताबिक, अब तक 1.25 लाख घन फीट पत्थरों की तराशी हो चुकी है. संगठन का दावा है कि तराशे गए ये पत्थर प्रस्तावित राम मंदिर के प्रथम तल के निर्माण के लिए पर्याप्त हैं तथा बाकी के 1.75 लाख घन फीट पत्थरों की तराशी अभी होनी है.
कार्यकर्ताओं को शांति व सौहार्द का दिया संदेश
वहीं, विहिप के केंद्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय ने अपने कार्यकर्ताओं को लिखे एक पत्र में कहा- यह (अदालती फैसला) हिंदू और मुसलमान का मसला नहीं होना चाहिए. यह सच्चाई स्वीकारने का है. इसलिए समाज में न तो उत्सवी उन्माद फैलाया जाए और न ही किसी पर तंज कसा जाए.
विहिप प्रवक्ता शर्मा ने भी कहा-
फैसला चाहे हिंदू या मुसलमान के पक्ष में आए, यह समय दोनों ही समुदायों के लिए सौहार्द और भाईचारे की मिसाल पेश करने का है. हम सभी इस बात का खयाल रखें कि ऐसी कोई भी घटना नहीं हो, जिससे कि हिंदुओं और मुसलमानों के सौहार्दपूर्ण संबंधों में जहर घुले.
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