महाराष्ट्र सरकार गठन मामला: सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को किया नोटिस जारी, कल सुबह फिर सुनवाई

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नई दिल्ली (nainilive.com)- सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र सरकार के गठन को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई सोमवार 25 नवम्बर की सुबह तक टल गई है. कोर्ट ने सभी पक्षों को नोटिस जारी करते दस्तावेज तलब किए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस-राकांपा-शिवसेना की याचिका पर केंद्र, महाराष्ट्र सरकार, देवेंद्र फडनवीस और अजीत पवार को नोटिस जारी किए हैं. कोर्ट ने कहा, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से अनुरोध है कि कल सुबह 10.30 बजे तक बीजेपी को विधायकों के समर्थन के पत्र और पत्र के लिए आमंत्रित करने के लिए तैयार कागजात प्रस्तुत करें.

आज 24 नवम्बर रविवार 11.30 बजे से महाराष्ट्र की सियासी लड़ाई दिल्ली पहुंच गई है, जहां रविवार को शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. कपिल सिब्बल सुप्रीम कोर्ट में शिवसेना की ओर से पेश हुए. उन्होंने कोर्ट में पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी. उन्होंने दलील दी कि 24 अक्टूबर से 9 नवंबर तक कुछ नहीं हुुआ, उसके बाद अचानक यह कैसे तय हो गया. सिब्बल ने कहा कि जब शुक्रवार शाम को यह तय हो गया था कि सरकार किसकी बनेगी तो शनिवार सुबह राजभवन में भाजपा को शपथ कैसे दिलाई जा सकती है. बहुमत का गुमान है तो इसे जल्दी साबित करके दिखाएं. सुबह 5.17 पर राष्ट्रपति शासन कैसे हटा लिया गया. जज ने पूछा कि समर्थन की चिठ्ठी कब दी गई. कपिल सिब्बल ने कर्नाटक में हुए सियासी घटनाक्रम का भी हवाला दिया. मुकुल रोहतगी ने कहा कि संडे के दिन इस मामले की सुनवाई नहीं होना चाहिये, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह आवश्यक है, इसलिए ऐसा किया जा रहा है. अब तो बेंच बन चुकी है, इसलिए अब इस सवाल का कोई अर्थ नहीं है.

आज या कल करवाएं फ्लोर टेस्ट

एनसीपी-कांग्रेस के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट से कहा है कि महाराष्ट्र सरकार का बहुमत परीक्षण आज या कल ही करवाया जाए. उन्होंने 1998 के यूपी और 2018 के कर्नाटक के मामले का उदाहरण देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी तत्काल बहुमत परीक्षण के आदेश दिए हैं.

अभिषेक मनु सिंघवी ने दी यह दलील

एनसीपी-कांग्रेस की ओर से पेश अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, राज्यपाल का दायित्व है कि प्रथम दृष्टया बहुमत की संतुष्टि किसी हस्ताक्षरित लिखित दस्तावेज के आधार पर करे जिसका भौतिक सत्यापन हुआ हो. यही मापदंड है. उन्होंने उप-मुख्यमंत्री बने अजीत पवार की शपथ पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि केवल 42-43 सीटों के सहारे अजीत पवार डिप्टी सीएम कैसे बने? यह लोकतंत्र की हत्या है.

यह कानूनी पेंच फंसा

कोर्ट में महाराष्ट्र की सरकार के गठन के खिलाफ दायर याचिका पर यह सवाल उठा है कि यह याचिका चलने योग्य भी है या नहीं. कारण यह है कि याचिका में फंडामेंटल राइट्स का हवाला दिया गया है, जबकि कोर्ट ने कहा है कि फंडामेंटल राइट्स दलों के नहीं होते.

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