मोदी सरकार ने इनकम टैक्स विभाग के 21 भ्रष्ट टैक्स अधिकारियों को किया जबरन रिटायर

Share this! (ख़बर साझा करें)

नई दिल्‍ली ( nainilive.com)- भ्रष्‍टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति पर चलते हुए मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार के आरोप में फंसे अफसरों पर कड़ी कार्वाई की है. इस साल अब तक 85 अधिकारियों को जबरन रिटायर किया जा चुका है. केंद्र सरकार ने ऐसे 21 अफसरों को जबरन रिटायर करने का फैसला लिया है. ये सभी अफसर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के हैं. इस साल जून के बाद यह पांचवां मौका है जब सरकार ने भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें नौकरी से निकाला है.

सरकार की इस बड़ी कार्रवाई में जबरन रिटायर किए गए सभी अधिकारी ग्रुप बी ग्रेड के हैं. इस साल अब तक 85 अधिकारियों को जबरन रिटायर किया गया जा चुका है जिसमें 64 टैक्स अधिकारी हैं.सरकार ने यह कार्वाई सेंट्रल सिविल सर्विसेज 1972 के नियम 56 (J) के तहत की है. इसके मुताबिक 30 साल तक सेवा पूरी कर चुके या 50 साल की उम्र पर पहुंच चुके अधिकारियों की सेवा सरकार समाप्त कर सकती है.

सूत्रों ने कहा कि इस बार जिन अधिकारियों को निकाला गया है उनमें सीबीडीटी के मुंबई कार्यालय के तीन और ठाणे के दो अधिकारी शामिल हैं. अन्य अधिकारी विशाखापत्तनम , हैदराबाद , राजमुंदरी , बिहार के हजारीबाग , महाराष्ट्र में नागपुर , गुजरात के राजकोट , राजस्थान के जोधपुर , माधोपुर तथा बीकानेर और मध्य प्रदेश के इंदौर एवं भोपाल में तैनात थे.

सूत्रों ने कहा कि यह कार्रवाई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लाल किले से दिए गए भाषण के अनुरूप है. प्रधानमंत्री ने लालकिले से अपने संबोधन में कहा था कि कर विभाग में कुछ ऐसे लोग हो सकते हैं जो अपने अधिकारों का गलत इस्तेमाल करते हैं और करदाताओं को बेवजह परेशान करते हैं. ये लोग ईमानदार करदाताओं को अपना निशाना बनाते हैं या फिर मामूली अथवा प्रक्रियात्मक उल्लंघन जैसे छोटे-मोटे उल्लंघनों को लेकर जरूरत से ज्यादा कार्रवाई करते हैं.

रिश्वत लेते हुए थे अरेस्ट

जिन अधिकारियों को जबरन सेवानिवृत्ति दी गई है, उनमें आधे से ज्यादा अधिकारियों को सीबीआई ने कथित तौर पर रिश्वत लेते गिरफ्तार किया था. इनमें से एक अधिकारी को 50,000 रुपये की घूस लेते पकड़ा गया था. सूत्रों ने कहा कि एक अधिकारी के बैंक लॉकर में कथित तौर पर 20 लाख रुपये से ज्यादा की नकदी मिली थी, जबकि ठाणे में तैनात एक अधिकारी ने अपने और पत्नी के नाम पर 40 लाख रुपये की चल और अचल संपत्ति अर्जित की थी.

15 अधिकारी हुए जबरन रिटायर

सरकार ने इससे पहले जून में केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क (सीबीआईसी) के आयुक्त स्तर के 15 अधिकारियों को जबरन सेवानिवृत कर दिया था. इन अधिकारियों पर भ्रष्टाचार, रिश्वत लेने और देने, तस्करी और आपराधिक साजिश जैसे आरोप लगे थे. केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम 1972 के तहत नियम 56 (जे) सरकार को सरकारी कर्मचारियों के कार्य प्रदर्शन की समय-समय पर समीक्षा का अधिकार देता है. इसमें गौर किया जाता है कि संबंधित अधिकारी को सार्वजनिक हित में नौकरी पर रखा जाये अथवा सेवानिवृत कर दिया जाए.

नैनी लाइव (Naini Live) के साथ सोशल मीडिया में जुड़ कर नवीन ताज़ा समाचारों को प्राप्त करें। समाचार प्राप्त करने के लिए हमसे जुड़ें -

👉 Join our WhatsApp Group

👉 Subscribe our YouTube Channel

👉 Like our Facebook Page