संघ शक्ति का कोई दूसरा केंद्र नहीं चाहता – संघ प्रमुख मोहन भागवत

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बरेली (nainilive.com )- राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ की विचारधारा और उसके एजेंडे को लेकर अक्सर होने वाली चर्चाओं पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को सफाई दी। उन्होंने प्रचार से पैदा हुई गलतफहमियों को दूर करते हुए कहा कि संघ संविधान का मानता है और यह भी मानता है कि संविधान सर्वोच्च है। उन्होंने कहा कि संघ का कोई और एजेंडा नहीं है और वह शक्ति का कोई दूसरा केंद्र नहीं चाहता।

रुहेलखंड विश्वविद्यालय में एक व्याख्यान में आरएसएस प्रमुख ने संविधान से लेकर हिंदुत्व तक कई मुद्दों पर खुल कर बात की। उन्होंने भविष्य के भारत में संघ की भूमिका के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि संघ को लेकर तमाम भ्रांतियां फैलाई जाती हैं और वे तभी दूर हो सकती हैं, जब संघ को नजदीक से समझा जाए। उन्होंने कहा कि संघ के पास कोई रिमोट कंट्रोल नहीं है और न ही वह किसी को अपने हिसाब से चलाता है।

मोहन भागवत ने कहा कि संघ का कोई एजेंडा नहीं है, वह भारत के संविधान को मानता है। उन्होंने कहा- हम शक्ति का कोई दूसरा केंद्र नहीं चाहते, संविधान के अलावा कोई शक्ति केंद्र होगा, तो हम उसका विरोध करेंगे। दो ही बच्चे पैदा करने की नीति को लेकर शुक्रवार को मुरादाबाद में दिए गए अपने बयान को स्पष्ट करते हुए संघ प्रमुख ने कहा- कुछ लोग भ्रमवश कह रहे हैं कि संघ देश के परिवारों को दो बच्चों तक सीमित करने की इच्छा रखता है। हमारा कहना है कि सरकार को इस बारे में विचार करके एक नीति बनानी चाहिए। सबका मन बना कर नीति बनाई जानी चाहिए।

देश के हर नागरिक को हिंदू कहने वाले अपने बयान पर भागवत ने कहा- जब हम कहते हैं कि इस देश के 130 करोड़ लोग हिंदू हैं, तो इसका मतलब यह नहीं है कि हम किसी के धर्म, भाषा या जाति को बदलना चाहते हैं। भागवत ने दूसरे धर्मों के लोगों की ओर इशारा करते हुए कहा- हम राम, कृष्ण को नहीं मानते, कोई बात नहीं, लेकिन इन सब विविधताओं के बावजूद हम सब हिंदू हैं। जिनके पूर्वज हिंदू थे, वे अब भी हिंदू हैं। हम अपनी संस्कृति से एक हैं। हम अपने भूतकाल में भी एक हैं। यहां 130 करोड़ लोग हिंदू हैं, क्‍योंकि आप भारत माता की संतान हैं। उन्होंने आगे कहा- हम संविधान से अलग कोई सत्ता केंद्र नहीं चाहते हैं, क्योंकि हम इस पर विश्वास करते हैं। उन्होंने कहा कि जाति, पंथ, संप्रदाय, प्रांत और तमाम विविधताओं के बावजूद हम सभी को मिल कर भारत निर्माण करना है।

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