22 मई – अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस, जीवन से ही बनती है जैव विविधता
प्रो ललित तिवारी , नैनीताल – अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस 22 मई को मनाया जाता है ।जैव विविधता प्रकृति का अभिन्न अंग है तथा जीवन से ही जैव विविधता बनती है और मानव का जीवन बगैर जैव विविधता संभव नहीं है। 22 मई 1992 को जैव विविधता सम्मेलन में इस दिवस को मनाने का निर्णय हुआ और संयुक्त राष्ट्र ने इसे घोषित किया ताकि जैव संसाधन भविष्य के लिए संरक्षित रखे जा सके। 196 देशों ने मिलकर इस का संकल्प लिया ।2021 की थीम वी आर पार्ट ऑफ सोल्यूशन रखी गई है। विश्व में जैव विविधता को संरक्षित करने के लिए कैसे आगे बढ़े ?इस उद्देश्य के साथ सारी मानवता को इसे संरक्षित करना होगा, हिमालय जैव विविधता का हॉटस्पॉट है 16% भारतीय वनस्पतियां एवं जीव, 32% जंगल, 100% अल्पाइन क्षेत्र तथा 456 दुर्लभ वनस्पतियां भी यही होती है ।पृथ्वी में ऑक्सीजन देने का कार्य ट्रॉपिकल रेनफॉरेस्ट सर्वाधिक करते हैं ,वर्षा जंगल 20% ऑक्सीजन देते हैं तथा अमेजन सबसे बड़ा रेनफॉरेस्ट विश्व में है जो 2.2 लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड सोखती है इन्हीं वर्षा वनों में पूरे विश्व के अधिकांश जानवर तथा पेड़ो की प्रजातियां निवास करती है ।
एक चम्मच मिट्टी में असंख्य जीवाणु, विषाणु, कवक हो सकते हैं । ब्राजील में सर्वाधिक संख्या की जैव विविधता मिलती है तो बोलीविया ,कांगो ,दक्षिण अफ्रीका, मलेशिया, वियतनाम ,पापुआ, न्यू गिनी, तांजानिया इक्वाडोर अपनी जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध है । वेनेजुएला में चिड़िया की सर्वाधिक प्रजातियां हैं, तो अमेरिका में मछलियों की सर्वाधिक प्रजातियां हैं ब्रुनई, जांबिया जमैयका एल सल्वरडोर कोस्टारिका, रवांडा, गिनी, पनामा की जैव विविधता अद्भुत है ।किंतु 66% समुद्री जैव विविधता मानव से प्रभावित हुई है 3 बिलियन लोगों की आजीविका समुद्र से तथा 1 .6 बिलियन लोग जंगल पर आधारित हैं । पोलर बीयर की संख्या में 20% कमी हुई है जैव विवधता शब्द की खोज ई.ओ विल्सन ने की तथा अब तक 17,50000प्रजातियां ज्ञात हो चुकी है, किंतु अनुमान है कि 5 -15मिलियन या 100 मिलियन तक प्रजातियां हो सकती है । विश्व की आर्थिकी का 11% भाग जैव विविधता आधारित है तथा 26 ट्रिलियन डॉलर प्रति वर्ष सहित 5 से 30% जीडीपी जैव विविधता अधारित है । अत:सतत विकास आवश्यक है ।
भारत में 46610 पौधे जैव विविधता तो जानवरों की संख्या 63820 है जो विश्व का 11% एवं 7.5% है, जबकि उत्तराखंड में 65% भाग वनाच्छादित है जबकि भारत में 20.55 ही है एवं 16 प्रकार के वन भारत में मिलते हैं, पिथौरागढ जिले में 2316, पौड़ी में 2150 तथा चमोली जिले में 2316 पौधों की प्रजाति है । भारतीय हिमालय क्षेत्र के औषधि पौधे 1748 में से उत्तराखंड में701 प्रजाति है मिलती हैं, जैव विविधता का आपसी सामंजस्य से ही सतत विकास को चलाएं मान होगा । आज के कोविड-19 काल में भी अश्वगंधा ,अदरक, काली मिर्च, दालचीनी, तुलसी, आंवला, नींबू ,हल्दी, नीम, एलोवेरा हमारी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा रही हैं जो जीविक रिसबाक, मैदा , महामेदा, काकोली , क्रिसकाकोली रिद्धि -वृद्धि अपनी भूमिका सुनिश्चित किए हैं । पूरे विश्व में 52885 औषधीय पौधे है जबकि भारत में 7500 औषधिय पौधे हैं हर वर्ष में 13725 पौधों की प्रजातियों का प्रयोग करते हैं । ऐसे में हमारा जीवन इस जैवविविधता जिसका मानव भी एक महत्वपूर्ण भाग है, सभी को संरक्षित करना हमारा दायित्व है जिससे सतत विकास में अपनी भूमिका दे सके इसके समाधान में अपना योगदान दे सके ।
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