74 साल बाद फिर भारत में दिखेंगे चीता , अबसे कुछ देर में प्रधानमंत्री मोदी छोड़ेंगे कूनो नेशनल पार्क में

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न्यूज़ डेस्क , नई दिल्ली ( nainilive.com )- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आज जन्मदिन है और इस मौके पर देश एक विशेष पल का गवाह बनने जा रहा है। 74 साल बाद एक बार फिर देश में चीतों की वापसी हो रही है। प्रधानमंत्री मोदी आज अपना 72 वां जन्मदिन मन रहे हैं , वहीँ देश को एक बार फिर से चीतों की वापसी कर ऐतिहासिक पल देखने को मिल रहा है। नामीबिया से 8 चीते विशेष विमान से भारत लाये गए हैं और यहाँ से चिनूक हेलीकाप्टर के माध्यम से कूनो नेशनल पार्क Kuno National Park ले जाए गए हैं , जहाँ अभी से थोड़ी देर में प्रधानमंत्री मोदी PM Modi इनको उद्यान में छोड़ेंगे।

आठ चीते आये हैं भारत में

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भारत में चीते वर्ष 1952 में विलुप्त घोषित किए जा चुके हैं । भारत में अंतिम चीते की मौत 1947 में छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में हुई थी। नामीबिया से भारत 8 चीते लाये गए हैं। इनमे से 3 नर चीता हैं और 5 मादा चीता हैं। पहले और दूसरे नर चीते की उम्र 5.5 साल है। दोनों नर चीता भाई हैं जो ओटजीवारोंगो के पास एक निजी रिजर्व के जंगल में रह रहे हैं। जुड़वा नर शावक जीवन भर साथ रहते हैं और मिलकर शिकार करते हैं। तीसरे नर चीते का जन्म 2018 में नामीबिया के एरिंडी प्राइवेट गेम रिजर्व में हुआ था। उसका जन्म चीता कंजरवेशन फाउंडेशन द्वारा पुनर्वासित किया गया था। वहीँ पहली मादा चीते की उम्र दो साल है। यह नामीबिया 2020 में गोबासिस शहर के पास कुपोषित हालत में मिली। बताया जाता है कि उसकी मां की कुछ हफ्ते पहले मौत हो गई थी। दूसरी मादा की उम्र साढ़े तीन साल है। 2022 तक सीसीएफ की टीम द्वारा बचाए जाने से पहले यह मादा चीता बार-बार जाल में फंसती रही। तीसरी मादा चीते की उम्र ढाई साल है। यह अप्रैल 2020 में एरिंडी प्राइवेट गेम रिजर्व में पैदा हुई। इसकी मां पहले से ही पुनर्वास कार्यक्रम का हिस्सा थी। चौथी मादा की उम्र पांच साल है। यह 2017 में एक फार्म मजदूर को कुपोषित मिली। उसने इसकी देखभाल की और सीसीएफ ने बचाया। पांचवी मादा की उम्र पांच साल है। यह चौथी मादा चीता की अच्छी दोस्त है। दोनों आमतौर पर हमेशा अपने बाड़े में एकसाथ पाई जाती हैं।

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कैसे विलुप्त हुई इनकी प्रजाति और क्यों ख़ास है चीते भारत में ?

चीता एक फुर्तीला और बड़ा मांसाहारी जानवर है जो वर्ष 1952 में भारत से विलुप्त हो गया। इसका एकमात्र कारण बड़ी संख्या में इनका शिकार और इनके हैबिटाट ( निवास स्थान ) को नुक्सान पहुँचाना था। चीतों को वापस लाने से जंगलों के पारिस्थितिकी तंत्र ( Ecosystem ) में भी परिवर्तन की संभावना है। इसीलिए प्रधानमन्त्री मोदी ने भी चीतों को वापस लाने में विशेष रूचि दिखाई।

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