आशा कार्यकर्ताओं ने विभिन्न मांगों को लेकर स्वास्थ्य मंत्री को भेजा ज्ञापन
संतोष बोरा, नैनीताल ( nainilive.com )- आशा कार्यकर्ताओं ने विभिन्न मांगों को लेकर नगर के तल्लीताल डांठ पर प्रदर्शन किया व डीएम सविन बंसल के माध्यम से स्वास्थ्य मंत्री को ज्ञापन भेजा गया है।
ज्ञापन के अनुसार आशाओं ने हमेशा ही स्वास्थ्य विभाग द्वारा निर्धारित किये गए सारे कार्य स्वास्थ्य पूरी निष्ठा से किये हैं, यहां तक कि कोरोना महामारी और लॉकडाउन में भी सारे काम आशाएँ कर रही हैं लेकिन बिना मानदेय, बिना लॉकडाउन भत्ता, बिना कर्मचारी का दर्जा पाए आशाएँ कैसे और कब तक काम करेंगी?
उन्होंने कहा है कि कोरोना लॉकडाउन काल में आशाओं ने फ्रंट लाइन वर्कर्स की भूमिका का निर्वहन बखूबी अपनी जान को जोखिम में डालकर भी किया है लेकिन उसके लिए उनको कोई भी भत्ता नहीं दिया गया है, बल्कि इसके ठीक उलट अपने काम का दाम मांगने वाली आशाओं को बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है।
बताया कि आशाओं को मातृ शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए नियुक्त किया गया था लेकिन आशाओं पर विभिन्न सर्वे और काम का बोझ तो लगातार बढ़ाया गया है लेकिन उसका भुगतान नहीं किया जाता। यदि काम बढ़ाना है तो उसका पैसा उसी हिसाब से दिया जाना चाहिए।
आशाओं के सवालों पर सहानुभूति पूर्वक विचार करना तो दूर रहा अपनी न्यायसंगत मांगों को उठाने वाली आशाओं के खिलाफ कार्यवाही की जा रही है। चम्पावत मुख्य चिकित्साधिकारी द्वारा 264 आशाओं को निकालने के आदेश जारी किए हैं और जानकारी में आया है कि उधमसिंहनगर जिले में भी आशाओं की लिस्ट तैयार हो रही है।
कोरोना की अग्रिम योद्धा आशाओं को निकालने यह कार्यवाही बेहद अन्यायपूर्ण व कोरोना योद्धा आशाओं के सम्मान पर चोट है। कोरोना काल में कारेन्टीन सेन्टरों में ड्यूटी से लेकर कोरोना मरीजों की लिस्ट तैयार करने, कोरोना के बारे में सरकार के जागरूकता अभियान में सबसे आगे रहकर भागीदारी करने वाली आशाओं को सम्मान और सम्मानजनक वेतन देने का प्रस्ताव लाने के बजाय उनको धमकी देने और निकालने की कार्यवाही बेहद शर्मनाक है।
उत्तराखंड की सभी आशाएँ 6 जुलाई को चम्पावत की सभी आशाओं को बिना शर्त काम पर वापस लेने व अन्य मांगों पर विरोध प्रदर्शन के माध्यम से आपसे मांग करती हैं कि.
1- चम्पावत जिला प्रशासन ने आशाओं को निकालने के आदेश जारी किए हैं और जानकारा है कि उधमसिंहनगर जिले में भी ऐसी आशाओं की लिस्ट तैयार हो रही है। यह कार्यवाही की जाय। चम्पावत जिले की आशाओं को निकालने का आदेश तत्काल बिना शत वापसाला
2- आशाओं को कोरोना महामारी के समय का लॉकडाउन भत्ता दस हजार रुपए मासिक काद भुगतान किया जाय।
3- आशाओं को राज्य कर्मचारी का दर्जा देते हुए 18000 रुपये न्यूनतम वेतन दिया जाय।
4- जब तक मासिक वेतन और कर्मचारी का दर्जा नहीं मिलता तब तक आशाओं को भी अन्य स्कीम वर्कर्स की तरह मासिक मानदेय फिक्स किया जाय।
5-आशाओं को सेवानिवृत्त होने पर पेंशन का प्रावधान किया जाय।
6-सेवा(ड्यूटी) के समय दुर्घटना, हार्ट अटैक या बीमारी होने की स्थिति में आशाओं को सुरक्षा प्रदान करने के लिए नियम बनाया जाय और न्यूनतम दस लाख रुपये मुआवजे का प्रावधान किया जाय।
प्रदेश अध्यक्ष कमला कुंवारी ने बताया कि यदि इन मांगों पर तत्काल कार्यवाही नहीं की गई तो हमें पूरे राज्य में अन्य आशा यूनियनों के साथ मिलकर उग्र आंदोलनात्मक कार्यवाही को बाध्य होना पड़ेगा, जिसकी समस्त जिम्मेदारी राज्य सरकार व आशा उत्पीड़न करने वाले प्रशासन की होगी।
इस दौरान आशा यूनियन की प्रदेश अध्यक्ष कमला कुंजवाल, प्रेमा पंत, भगवती शर्मा, कमला डालाकोटी, सुमन बीष्ट, रमा गैंडा, दुर्गा टम्टा, पुष्पा खुल्बे, शांति आर्या, चंद्रा सती, हेमा आर्या आदि मौजूद थे।
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