अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर कुमाऊँ विश्वविद्यालय,नैनीताल में हुआ योग विषय पर बेबिनार का आयोजन

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर कुमाऊँ विश्वविद्यालय,नैनीताल में हुआ योग विषय पर बेबिनार का आयोजन

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर कुमाऊँ विश्वविद्यालय,नैनीताल में हुआ योग विषय पर बेबिनार का आयोजन

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न्यूज़ डेस्क , नैनीताल ( nainilive.com )- अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर कुमाऊँ विश्वविद्यालय,नैनीताल के राष्‍ट्रीय सेवा योजना प्रकोष्ठ, “ शोध एवं प्रसार ,निदेशालय कुमाऊँ विश्ववविद्यालय सघं (कूटा) नैनीताल द्वारा ’ योग विषय पर बेबिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का संचालन निदेशक शोध एवं प्रसार निदेशालय प्रो .ललित तिवारी द्वारा किया गया उन्होने कार्यक्रम की रूपरेखा रखतें हुए, कहा कि योग का अर्थ जोडना है तथा यह शरीर, मन, आत्मा को एक साथ जोडता है। यह भारतीय ज्ञानपीठ में 5000 वर्षों से प्रयोग किया जा रहा । हठ योग ,राज योग,कर्म योग , भक्ति योग भावनात्मक ,कीकर. एवं,रहस्यवादी, तत्व के स्पर्श के साथ आधारित इकाई हैं। गीता में श्रीकृष्ण ने कहा कि योग कर्मसु कौशलम( योग से कर्म में कुशलता आती है)। योग विज्ञान है तथा जीवन जीने की कला है जिसमें शरीर को ठीक से थामने तथा सार ब्रहमाण्ड की ऊर्जा अपने अन्दर महसूस की जा सकती है। कार्यक्रम में योग विषय पर विभिन्न विशेषज्ञो ने अपनी बात रखी। कार्यक्रम का “ शुभारंभ माननीय कुलपति कुमाऊँ विश्वविद्यालय,नैनीताल प्रो- एन . के . जोशी ने किया , उन्होने कहा योग प्रतिरोधक क्षमता को बढता है,योग मन का आत्मविश्वास है, शारीरिक तथा मानसिक रोगो से निजात दिलाता है। अपने आप को स्वस्थ रखें । योग जीवन शैली सिखाता है। प्रो . जोशी ने कहा कर्म योग, ज्ञान योग , भक्ति योग हमारे व्यवहार , सही गलत का फर्क तथा भावनात्मक रूप से मजबूत बनाता है। भावनात्मक ज्ञान मानवीय पहचान है तथा इस कोविड काल में सारी मानव जाति के स्वस्थ की कामना करते है।

गुरूकुल कांगडी विश्वविद्यालय हरिद्वार के कुलपति प्रो.रूप कि शोर शास्त्री ने कहा कि आज 180 देश योग को पहचान रहे हैं। योग शरीर को मो़क्ष तक पहुचाता है,योग एक व्यायाम स्वरूप है जिसमें इन्द्रियों पर नियंत्रण होता है । योग का विराट स्वरूप में चित्त,मर्म तथा आत्मा है,यह मनोबल बढाता है । प्रो . शास्त्रीने बताया कि आसन 8 प्रकार के होते हैं। प्रणायम तथा यम महत्वर्पूण हैं। यम में सत्य , अहिसां आता है। यम का पालन योगी बनने के लिए अनिवार्य है, ध्यान करने से सारे समाधान निकल आते है।

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उत्तराखण्‍ड संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार के कुलपति प्रो0देवी प्रसाद त्रिपाठी ने कहा कि योग एक लगन है जो विश्व में सर्वव्याप्त हुआ है। कर्म की कु शलता योग के कारण ही होती है। अंतर के अभाव का अंत करना ही योग है, अनुशासन ही योग है। योग के चार अतंकरण चित्त, मन, बुद्धि तथा अहंकार है। प्रों . ब् त्रिपाठी ने योग का अध्यात्म रूप प्रस्तुत किया तथा कहा कि अपने को कभी श्रेष्ठता अथवा अपनी निदां स्वयं न करें । उन्होने कहा संतोष होना जरूरी है तथा योग में कुल 64 आसन होते है।

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यो गा गुरू डाॅ- सीमा चैहान कुमाऊँ विश्वविद्यालय,नैनीताल ने कहा कि अपने आप को स्वस्थ रखने के लि, योग अनिवार्य है, खुद को स्वयं में जोडना सीखाता है योग। मन ,वं भावनाओं को नियंत्रित करता है योग। योग से तंत्रिका तथा अपनी “ शाररिक क्रियाओं को नियंत्रित किया जा सकता है। डाॅ . सीमा चैहान ने प्रणायाम, कपाल भाति, हलासन ,भुजंग आसन तथा “वसन के येाग सभी प्रतिभागियों को सीखाये।

र बेबिनार में राष्‍ट्रीय सेवा योजना प्रकोष्ठ, कुमाऊँ विश्वविद्यालय,नैनीताल के कार्यक्रम समन्वयक डाॅ . विजय कुमार ने सभी अतिथियों का स्वागत एवं अभिनन्दन किया तथा योग का जीवन पर प्रकाश डाला। आई सी टी सी निदेशक डा . सुषमा टम्टा ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया । उन्होने कहा कि योग जीवन को सकारात्मक बनाता है । बेबिनार आयोजित करने में डॉ. गीता तिवारी , डाॅ . आशीष तिवारी, डाॅ .नन्दन मेंहरा , डाॅ .नवीन पा.डे तथा दीक्षा बोहरा गीतान्जली उपाध्याय का विशेष तकनीकि सहयोग रहा।

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राष्ट्रीय बेबिनार में डाॅ. पी .बी .तिवारी (चंदौसी) , डाॅ. भावना कर्नाटक ,डाॅ. आशा रानी (बरेली)डाॅ . एच.एन .पनेरू डाॅ- अनवरत ,डाॅ.जी.सी .(हल्द्वानी) , डाॅ .कृष्ण कुमार टम्टा, डाॅ. मैत्री नारायण, डाॅ . मनोज कुमार, डाॅ,नन्दन सिंह मेहरा,डाॅ. शशि बाला उनियाल (कोटद्वार), डाॅ.लज्जा भटट , डाॅ. सुनील कुमार सिंह, डाॅ.सुनीता उपाध्याय ,डाॅ.सुरेश पाण्डे , डाॅ. वैद्यनाथ झा,डाॅ. विशाल कुमार , डाॅ. भारत पाण्डे, डाॅ. जगमोहन सिंह, डाॅ.पैनी जोशी,डाॅ.श्रृति साह ,डाॅ.सुषमा टम्टा ,डाॅ-नीलू लोधियाल , डॉ . रानी डिमरी (डाकपत्थर),डाॅ. ऊषा जोशी (हल्द्वानी) ,डाॅ.ललित मोहन, डॉ . स्पर्श भटट,मीनाक्षी कीर्ति, डाॅ गजेन्द्र रावत (देहरादून),डाॅ दीपाली कनवाल ( गरूडाबांज), नरेन्द्र धाडियाल,प्रो. एल. एस लोधियाल, प्रो.संजय टम्टा, डाॅ.हरीश अन्डोला डाॅ. बी. एस.कालाकोटी, डाॅ.नवीन भटट, डाॅ. प्रियंका रूवाली ,वसुन्धरा लोधियाल,दिशा उप्रेती, स्तुति उपाध्याय, कचंन आर्या, अनमोल वशिष्ठ सहित 83 प्रतिभगियो ने प्रतिभाग किया।

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