केंद्र सरकार के स्थायी अधिवक्ता से मांगी रिश्वत , ऑडियो में दर्ज हुई डिमांड
नैनीताल ( nainilive.com ) – भ्रस्टाचार पर जीरो टॉलरेंस के केंद्र एवं राज्य सरकार की नीति को उसके कर्मचारी ही पलीता लगा रहे है. इनके हौंसले इतने बुलंद हो चुके हैं , की सार्वजनिक रूप से रिश्वत की डिमांड एवं भ्रष्टाचार में लिप्त होने में भी कोई शर्म नहीं। बीते दिवस ही बेतालघाट में एक मासूम बालिका की मौत भी ऐसे ही कार्य के प्रति लापरवाही बरतने वाले कर्मचारियों के कारण हुई , जिसको लेकर सरकार की काफी किरकिरी हुई है.
हालिया ताज़ा मामला , नैनीताल हाई कोर्ट में केंद्र सरकार के स्थायी अधिवक्ता संजय भट्ट द्वारा उत्तराखंड के डायरेक्टर विजिलेंस को भेजी अपनी शिकायत से सामने आता है. इसमें रोडवेज के फोरमैन द्वारा सीधे मोबाइल पर वार्ता करते हुए एक्सीडेंटल क्षतिग्रस्त गाडी की इंस्पेक्शन रिपोर्ट लगाने के एवज में 2000 रूपये की रिश्वत की डिमांड कर डाली। रिश्वत की डिमांड का यह पूरा वाक़्ये की शिकायत और लेनदेन की मांग का ऑडियो आज अधिवक्ता संजय भट्ट द्वारा डायरेक्टर विजिलेंस , उत्तराखंड को भेजने के साथ प्रेस को जारी किया गया।
क्या है मामला : बीते जनवरी माह में नैनीताल हाई कोर्ट में केंद्र सरकार के स्थायीअधिवक्ता संजय भट्ट अपनी सैंट्रो कार से हनुमानधाम छोई रामनगर गए हुए थे, जहाँ उनके वहां को एक बोलेरो जीप द्वारा बुरी तरह लापरवाही से ड्राइविंग करते हुए क्षतिग्रस्त कर दिया गया. जिसकी एफआईआर रिपोर्ट रामनगर कोतवाली में उसी दिन दर्ज करा दी गयी थी. चूँकि उस समय कार को रिपेयरिंग के लिए ले जाने दिया गया , लेकिन उसके बाद विवेचना अधिकारी द्वारा कार को इंस्पेक्शन के लिए कोतवाली लाने को कहा गया , जो रिपेयरिंग के कार्य चलने के कारण संभव नहीं था. बाद में फ़रवरी माह में अधिवक्ता भट्ट द्वारा अपनी दुर्घटना से सम्बंधित बयान धारा 161 CRPC के अंतर्गत पुलिस स्टेशन में दर्ज करा दिए गए थे. अधिवक्ता भट्ट का कहना है कि बीते 22 मई को विवेचना अधिकारी का उनके मोबाइल पर वहां को इंस्पेक्शन के लिए रामनगर कोतवाली लाने को लेकर फ़ोन आया , जिस पर वह बीती २३ मई को वाहन को निरिक्षण के लिए नियत समय पर कोतवाली रामनगर लेकर पहुँच गए. वहाँ पहुंचने पर उन्हें बताया गया कि वाहन का निरीक्षण सर्वेयर के ईद के बाद यानी २५ मई को आने पर ही संभव हो पायेगा और कार को पुलिस स्टेशन पर ही छोड़ना पड़ेगा। उनके द्वारा लॉक डाउन को देखते हुए नैनीताल वापिस पहुँचने की बात कही गयी , जिस पर रोडवेज के फोरमैन को कॉल करने को बोला गया. मेरे द्वारा फ़ोन करने पर रोडवेज के फोरमैन द्वारा फ़ोन विवेचना अधिकारी को दिए जाने को कहा गया , और इसी वार्तालाप में रोडवेज के फोरमैन द्वारा 2000 रूपये की रिश्वत की डिमांड कर डाली। वहीँ अधिवक्ता द्वारा रिश्वत नहीं देने की बात पर पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी को ममले में दखल के लिए कहा गया , जिसके बाद वाहन को लिखित अनुरोध पर छोड़ दिया गया. लेकिन इस पूरे घटनाक्रम में जब अधिवक्ता भट्ट लिखित शिकायत देने पुलिस स्टेशन गए , तो उनको एसएचओ द्वारा बुलाकर काफी दुर्व्यवहार किया गया , और बोला गया की एक छोटे से एक्सीडेंट के लिए एफआईआर रिपोर्ट कर आप अपनी कानून की डिग्री का दुरूपयोग कर रहे हैं।
इस पूरे मामले में अधिवक्ता संजय भट्ट ने कहा कि वहीँ पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के ईमानदार , साफ़ न्यायिक दखल के बाद वाहन को बीती 25 मई को पूर्ण ईमानदारी के साथ ARTO कार्यालय में निरिक्षण किया गया। वहीँ उनका कहना हैं की जीरो टॉलरेंस की केंद्र एवं राज्य सरकार की नीति पर उनके ही कर्मचारी पलीता लगाने में जुटे हुए हैं, जो वास्तव में चिंता का विषय है. साथ ही पुलिस के उच्च अधिकारियों का व्यवहार एवं ईमानदारी व् कार्यप्रणाली की उन्होंने प्रशंसा करते हुए कहा की उनका व्यवहार एवं मध्यस्थता के कारण बिना रिश्वत दिए कार्य संभव हो पाया।
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