कोरोना संकट से मुक्ति मिलने तक अस्पतालों में शोधित जल के इस्तेमाल से बचें : सीपीसीबी

Share this! (ख़बर साझा करें)

नई दिल्ली ( nainilive.com)- केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने कोरोना संकट के मद्देनजर सीवर ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के शोधित जल के इस्तेमाल के बारे में जारी किये गये दिशानिर्देश में कहा है कि कोविड-19 मरीजों के लिये बनाये गये अस्पतालों, प्रयोगशालाओं और पृथक केन्द्रों आदि में चिकित्सा सामग्री के कचरे के निस्तारण एवं जलशोधन केन्द्रों में विशेष सावधानी बरतते हुये इस संकट के समाप्त होने तक शोधित जल के इस्तेमाल से बचना चाहिये .

सीपीसीबी ने हाल ही में संशोधित दिशानिर्देश जारी कर केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय, आवास एवं शहरी विकास मामलों के मंत्रालय और सभी राज्य सरकारों को कोविड-19 मरीजों के इलाज और देखभाल में इस्तेमाल हो रही चिकित्सा सामग्री के कचरे और पानी के निस्तारण की प्रक्रिया से संबद्ध कर्मचारियों में संक्रमण के खतरे के प्रति सचेत किया है. दिशानिर्देश में सीपीसीबी ने कोरोना संकट के पिछले दो महीने के अनुभव और इस विषय में अब तक हुये अध्ययनों के आधार पर कहा है कि एसटीपी के शोधित जल में कोरोना संक्रमण की मौजूदगी की अब तक पुष्टि नहीं हुयी है.

हालांकि अध्ययनों में चिकित्सकीय कचरे के निस्तारण से जुड़े कर्मचारियों एवं एसटीपी कर्मियों में संक्रमण के खतरे से इंकार नहीं किया गया है. उल्लेखनीय है कि सीवर के पानी में कोरोना वायरस की मौजूदगी का पता लगाने के लिये अमेरिका सहित अन्य देशों में परीक्षण किया जा रहा है. कोरोना संकट उभरने के बाद चिकित्सा एवं निगरानी केन्द्रों में जल निस्तारण को लेकर सीपीसीबी ने 25 मार्च को जैव चिकित्सा सामग्री कचरा प्रबंधन नियम 2016 के तहत दिशानिर्देश जारी किये थे.

इसमें कोविड-19 अस्पतालों, पृथक केन्द्रों, प्रयोगशालाओं, सेंपल कलेक्शन केन्द्रों, डायग्नोस्टिक केन्द्रों और कोरोना के संदिग्ध मरीजों के लिये बनाये गये सुविधा केन्द्रों के लिये कचरा निस्तारण एवं जलशोधन के लिये उन्हीं दिशानिर्देशों का पालन करने को कहा था जो एचआईवी एवं एच1एन1 सहित अन्य संक्रामक वायरस जनित रोगों के लिये पहले से प्रवर्तन में हैं. सीपीसीबी ने कोरोना संक्रमण के अब तक के अनुभव व अध्ययन के आधार संशोधित दिशानिर्देश जारी कर कोविड-19 चिकित्सा केन्द्रों और स्थानीय निकायों से कहा है कि कचरा निस्तारण एवं जल शोधन प्रक्रिया से जुड़े कर्मचारियों को संक्रमण के खतरे की वजह से अत्यधिक सावधानी बरतना जरूरी है.

साथ ही कोरोना संकट से मुक्ति मिलने तक स्थानीय निकायों तथा चिकित्सा केन्द्रों से शोधित जल का पुन: इस्तेमाल करने से बचने को भी कहा है. पर्यावरण नियमों के तहत सभी बड़े अस्पतालों को चिकित्सा कचरे के निस्तारण और जल एवं मल शोधन की व्यवस्था, अस्पताल परिसर में ही करना अनिवार्य है ताकि संक्रमण के खतरे को सीमित किया जा सके. छोटे अस्पतालों के लिये कचरा निस्तारण एवं जल शोधन का इंतजाम स्थानीय निकायों की देखरेख में किया जाता है.

अस्पतालों में शोधित जल का इस्तेमाल सफाई और बागवानी आदि कामों में किया जाता है. दिशानिर्देशों के अनुसार स्थानीय निकाय अथवा संबद्ध एजेंसियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि कोरोना मरीजों की मौजूदगी वाले चिकित्सा केन्द्रों का शोधित जल किसी भी प्रकार के संक्रमण से मुक्त है.

इसमें अस्पतालों में कचरा निस्तारण एवं जल शोधन प्रक्रिया से जुड़े कर्मचारियों को आवश्यक सुरक्षा उपकरण (पीपीई) मुहैया कराने को कहा गया है. इन कर्मचारियों को दिये जाने वाले पीपीई में चश्मा, फेस मास्क, प्लास्टिक का परिधान, वाटरप्रूफ दस्ताने और रबर के जूते शामिल करने को कहा गया है ताकि कर्मचारियों को संक्रमण के संपर्क में आने से पूरी तरह सुरक्षित रखा जा सके.

नैनी लाइव (Naini Live) के साथ सोशल मीडिया में जुड़ कर नवीन ताज़ा समाचारों को प्राप्त करें। समाचार प्राप्त करने के लिए हमसे जुड़ें -

👉 Join our WhatsApp Group

👉 Subscribe our YouTube Channel

👉 Like our Facebook Page