देश में कोरोना केस बढऩे में आई 40 फीसदी की कमी, 80 फीसदी लोग हो रहे ठीक
नई दिल्ली ( nainilive.com )- दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले भारत में कोरोना संक्रमण फैलने की गति कम है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार 17 अप्रैल को बताया कि लॉकडाउन से पहले हर 3 दिन में संक्रमितों की संख्या दोगुनी हो रही थी, लेकिन अब यह दर 6.2 दिन है. वहीं, भारत में कोरोना के मरीज और मौत का अनुपात 80:20 है, यह रेश्यो कई देशों से बेहतर है. इसके अलावा सरकार ने मई तक 10 लाख रैपिड टेस्ट किट बनाने का लक्ष्य रखा है. स्वदेशी वेंटिलेटर तैयार करने पर भी काम हो रहा है.
स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में औसत डबलिंग रेट कम है. इनमें केरल, उत्तराखंड, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़, लद्दाख, पुडुचेरी, दिल्ली, बिहार, ओडिशा, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, उत्तरप्रदेश, पंजाब, असम और त्रिपुरा शामिल हैं.
उन्होंने बताया कि ग्रोथ फैक्टर नए केस के आधार पर कैलकुलेट होते हैं. शुरुआत में 2.4 प्रतिशत के हिसाब से कोरोना संक्रमित बढ़ रहे थे, लेकिन 1 अप्रैल के बाद से 1.2 प्रतिशत ग्रोथ रेट रह गया. इसमें और सुधार की कोशिशें जारी हैं. 80 प्रतिशत मामलों में संक्रमित ठीक हो गए, जबकि 20 प्रतिशत में मौत हुई है. अब तक देश में 13.6 प्रतिशत मरीज यानी 1हजार 793 को अस्पताल से छुट्टी मिल चुकी है. इनकी संख्या में हर दिन बढ़ोतरी हो रही है.
इम्यून बूस्टर डिवाइस तैयार करने पर काम हो रहा
अग्रवाल ने बताया कि कोरोनावायरस की रोकथाम के लिए बनी मंत्री समूह की बैठक में साइंस एंड टेक्नोलॉजी संस्थानों की भूमिका पर चर्चा हुई. इसमें टेस्टिंग क्षमता को बढ़ाने, वायरस सिक्वेंसिंग के लिए तकनीक तैयार करने पर फैसला लिया गया. इसमें शोध संस्थानों की मदद ली जाएगी. इसके अलावा कई शोध केंद्रों ने वैक्सीन पर शोध की बात कही है. हालांकि अभी इसमें समय लगेगा. तकनीकी और शोध संस्थानों में इम्युनिटी बूस्टर डिवाइसेज तैयार करने पर भी काम हो रहा है. अगर सफलता मिली तो इससे लोगों को शारीरिक तौर पर मजबूत बनाया जा सकेगा.
देश में ही हर तरह की दवाईयां तैयार होंगी
अग्रवाल ने कहा कि हम कुछ असरदार दवाओं पर भी काम करना चाहते हैं. इसके लिए हमारे पास कई विकल्प हैं. जो दवा भारत में नहीं बन रही है, उसे विश्व स्वास्थ्य संगठन की मदद से देश में ही बनाएंगे. एंटी वायरल ड्रग पर भी हम कार्य कर रहे हैं. इसके साथ ही फार्मास्यूटिकल और पारंपरिक दवाओं पर भी शोध में जुटे हैं. अब बड़े पैमाने पर पीपीई और वेंटिलेंटर देश में ही तैयार किए जाने लगे हैं.
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