स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ जॉर्जिया यूएसए के प्रोफेसर डॉक्टर बी वांग ने ज़हरीली गैस कार्बन मोनोऑक्साइड से इलाज के बताए कारगर तरीके
नैनीताल ( nainilive.com )- स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ जॉर्जिया यूएसए अमेरिकाके मेडिसिनल केमिस्ट्री के प्रोफेसर डॉक्टर बी वांग ने ऑनलाइन माध्यम से व्याख्यान दिया । डॉक्टर वांग ने ज़हरीली गैस कार्बन मोनोऑक्साइड से इलाज के कारगर तरीके बताए । अतिथि व्याख्यान का विषय “डिफ़ाइंग कन्वेंशनल विज़डम: स्टडीइंग कार्बन मोनोऑक्साइड ऐज़ ए पोटेंशियल थेरप्यूटिक एजेंट”रहा । प्रोफेसर वांग ने अलग अलग तरह के शोध का हवाला देते हुए समझाया कि कैसे ज़हरीली समझी जाने वाली कार्बन मोनो ऑक्साइड का इस्तेमाल लिवर, कैंसर, डायबिटीज जैसी बीमारियों के इलाज के लिए किया जा सकता है.
चीन में जन्मे प्रोफेसर वांग ने कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाइयों से जुड़े कई महत्वपूर्ण शोध कर रहे हैं. वो मेडिसिनल केमिस्ट्री के अंतर्राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञ माने जाते हैं. उनके 340 से ज़्यादा शोधपत्र प्रकाशित हो चुके हैं और दुनिया भर में 240 से ज़्यादा व्याख्यान दे चुके हैं. डॉक्टर वांग ने कहा, की कार्बन मोनोऑक्साइड का प्रयोग कीमोथेरेपी जीन थेरेपी और इम्यूनोथेरेपी जैसी कई उपचार पद्धतियों के लिए अपनाया जा सकता है ऑटोफिगी अवरोधकों के साथ कार्बन मोनोऑक्साइड के संयोजन से मानव प्रोस्टेट फेफड़े और अग्नाशय की कैंसर कोशिकाओं में महत्वपूर्ण कैंसर विरोधी प्रभाव देखने को मिलता है जिससे एक आशाजनक नया दृष्टिकोण खुल सकता है जो कई अन्य बीमारियों के लिए उपचार में सुधार कर सकता है कार्बन मोनोऑक्साइड संबंधित नैनो दवाईयों का पता लगाया गया है वर्तमान कारबन मोनो ऑक्साइड की पैथोफिजियोलॉजिकल भूमिका का परिचय देता है कार्बन डाइऑक्साइड मध्यस्थ गैस थेरेपी,कार्बन डाइऑक्साइड कीमोथेरेपी का संयुक्त अनुप्रयोग फोटो डायनेमिक थेरेपी, फोटो थर्मल थेरेपी, इम्यूनोथेरेपी में भी प्रभावित लक्षण प्रदर्शित करता है।
कार्बन मोनोऑक्साइड थेरेपी पर व्यापक जानकारी दी और गैस थेरेपी नैनो मेडिसिन की प्रगति को बढ़ावा देने के लिए कुछ मूल्यवान मार्गदर्शन भी प्रदान किया जिसमें कार्बन डाइऑक्साइड के कैप्सूल बनाने और मानव शरीर में उसको स्टैंडर्डाइज्ड करने ताकि मानव शरीर में कार्बन मोनोऑक्साइड की टाक्सीसिटी अधिक ना हो उसको कंट्रोल करने के लिए कई विधियों भी बताई। आपकी जानकारी के लिए कार्बन मोनो ऑक्साइड का उपयोग मेथनॉल के उत्पादन में , ताजा मांस उत्पादों की पैकेजिंग में किया जाता है। यह इन्फ्रारेड लेजर में प्रयुक्त किया जाता है।
इसका उपयोग पेय पदार्थों और खाद्य पदार्थों जैसे जैम और कोला में अम्लीकरण के लिए किया जाता है. यह धातुओं की सतह से जंग भी हटाने का कार्य कर्ता है। प्रोफेसर वांग के व्याख्यान को सुनने के लिए उत्तराखंड व दूसरे राज्यों के रसायन विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, जीव विज्ञान, जैव प्रोद्योगिकी के शिक्षक, शोधार्थी और विद्यार्थी उपस्थित रहे । व्याख्यान का आयोजन कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर दीवान एस रावत की पहल पर किया गया. कुलपति ने प्रोफेसर वांग को धन्यवाद देते हुए कहा कि उनके व्याख्यान से प्रतिभागियों की समझ का स्तर बेहतर हुआ है. डीएसबी परिसर की डीन साइंस प्रोफेसर चित्रा पांडे ने शोधार्थियों को प्रोफेसर बी वांग के वृहद अकादमिक परिचय से अवगत कराया. कार्यक्रम का संचालन निदेशक विजिटिंग प्रोफेसर निदेशालय प्रोफेसर ललित तिवारी ने किया.
कार्यक्रम में प्री नीता बोरा शर्मा प्रो सुषमा टम्टा ,प्रो एन जी साहू ,प्रो गीता तिवारी ,डॉक्टर ललित मोहन ,प्रो तपन नैलवाल ,प्रो अनिता सिंह ,प्रो वीना पांडे ,डॉक्टर संतोष उपाध्याय , डॉक्टर कपिल खुल्बे ,डॉक्टर राजेश्वर ,डॉक्टर नवीन पांडे ,डॉक्टर मयंक पांडे ,स्वाति जोशी , प्रो पुष्पा जोशी ,डॉक्टर नंदन बिष्ट ,डॉक्टर आशीष बहुगुणा ,डॉक्टर तीरथ कुमार , डॉक्टर पूनम मियान्न,डॉक्टर राजेंद्र फर्तियाल, लता नितवाल सहित 166 शिक्षक ,शोधार्थी उपस्थित रहे ।
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