35 साल से नहीं मिला मुआवजा तो किसान ऑफिस से कुर्सी, कंप्यूटर और प्रिंटर तक उठा ले गए
गांधीनगर (nainilive.com) – गांधीनगर स्थित सचिवालय में स्थित सरदार सरोवर नर्मदा निगम के कार्यालय में शनिवार शाम उस समय हड़कंप मच गया, जब किसान ऑफिस में घुसकर वहां रखे सामान कुर्सी, कंप्यूटर, मॉनिटर, प्रिंटर, सीपीयू आदि ले जाने लगे. कार्यालय के कर्मचारियों ने जब किसानों से इसकी वजह पूछी तो उन्होंने कहा कि हमें अब तक मुआवजा नहीं दिया गया है. इसलिए कोर्ट ने सामान जब्त करने का आदेश दिया है. यह सुनते ही सरदार सरोवर निगम और सचिवालय में हड़कंप मच गया.
वडोदरा जिले के अभोल गांव में रहने वाले एक किसान दामोदर पटेल ने बताया कि हमें आज तक मुझे जमीन का पूरा मुआवजा नहीं मिला है. कोर्ट का वारंट लेकर भी हम दो बार ऑफिस आ चुके हैं, लेकिन निगम ने मुआवजा नहीं दिया. अब हम तीसरी बार आए हैं. 1986 से 225 रुपए बाकी थे, इसके चलते ऑफिस का सामान ले जा रहे हैं.
कोर्ट ने सामान जब्त करने का आदेश दिया था
कोर्ट के जब्ती वारंट के साथ आए वकील आर डी परमार ने बताया कि वडोदरा के अभोल गांव की जमीन वर्ष 1986 में अधिग्रहित की गई थी. जिला अदालत ने किसानों को प्रति एकड़ 1725 रुपए भूमि मुआवजे का आदेश दिया था. बाद में हाईकोर्ट ने 100 रुपए घटाकर इसे 1625 रुपए कर दिया था. इसके बाद भी निगम ने किसानों को सिर्फ 1400 दिए थे. इस तरह 225 रुपए बाकी रह गए थे. इसलिए अदालत ने निगम ऑफिस के सामान को जब्त करने का आदेश दिया है.
225 रुपए अब 68 लाख 92 हजार 924 रुपए
करीब 35 साल पहले सरकार ने जमीन का अधिग्रहण किया था, जिसकी राशि अगर उस समय दी जाती तो उस समय की 225 रुपए की राशि आज लाखों में नहीं पहुंचती. मुआवजे की गणना भूमि अधिग्रहण अधिनियम के प्रावधान के अनुसार वर्षवार की जाती है. 35 साल पहले मुआवजे सहित गणना के आधार पर यह राशि 225 रुपए थी, जो बढ़कर अब 68 लाख 92 हजार 924 रुपए पर पहुंच गई है.
नर्मदा नहर बनाने के लिए ली गई थी हमारी जमीन
भास्कर से हुई बातचीत में गांव के किसान आशाभाई चौहान ने बताया कि 20 साल से ज्यादा हो गए हैं, लेकिन वे हमें हमारा मुआवजा नहीं दे रहे. हमारी खेती वाली जमीन तो नर्मदा नहर में समा गई. इसलिए हमें मुआवजा तो मिलना ही था. लेकिन, हमें बाकी के पैसे नहीं दिए गए. इसलिए हम कोर्ट से जब्ती वारंट लेकर आए हैं और उसे जब्त कर रहे हैं.
यह है पूरा मामला
वर्ष 1986 में भूमि अधिग्रहण विभाग और सरदार सरोवर नर्मदा निगम ने उस समय अभोल गांव के लोगों की जमीन अधिग्रहण और नर्मदा नहर बनाने की योजना बनाई थी. सरकार ने भूमि अधिग्रहण और नहर के निर्माण के बाद 30 जुलाई 1990 को किसानों को 225 रुपए प्रति एकड़ सिंचित भूमि और 150 रुपए प्रति एकड़ असिंचित भूमि पर मुआवजा देने के आदेश जारी किए गए थे.
बकाया राशि के चलते कोर्ट पहुंचा मामला
हालांकि, मुआवजे की अपर्याप्त राशि के कारण, गांव के किसानों ने भूमि संदर्भ मामला नं. 738/1992, 739/1992, 742/1992 – 744/1992 मामले दर्ज किए गए, जिनमें सरकार द्वारा अधिग्रहित भूमि के लिए अल्प मुआवजे के भुगतान का मुद्दा उठाया गया था.
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