कोर्ट ने सरकार से पूछा नदीयो में मशीनों द्वारा खनन की अनुमति किस आधार पर दी गई है

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संतोष बोरा , नैनीताल ( nainilive.com )- हाइकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा नदियों में मशीनों द्वारा दी गई खनन की अनुमति को चुनोती देने वाली हल्द्वानी निवासी दिनेश कुमार चंदोला की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए खण्डपीठ ने राज्य सरकार से पूछा है कि जब केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा राज्य के नदीयो में खनन की अनुमति मात्र मैनुअल खनन करने हेतु अनुमति दी गयी है तो राज्य सरकार ने नदीयो में मशीनों द्वारा खनन की अनुमति किस आधार पर दी गई है।

साथ ही यह भी पूछा है कि जब राज्य की खनन नियमावली 2017 के अनुसार नदी तल क्षेत्रों में खनन हेतु जेसीबी, पोकलैंड, सक्शन मशीन आदि का प्रयोग पूर्णतः प्रतिबंधित है तो नियमावली के विरुद्ध जाकर राज्य सरकार ने नदियों में मशीनों से खनन का शासनादेश कैसे जारी किया ? खण्डपीठ ने इस सम्बंध में राज्य सरकार से नियमावली के विरुद्ध जाकर कैसे खनन हेतु मशीनों को अनुमति दी गयी 11 जून तक स्तिथि स्पस्ट करने को कहा है। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ में हुई।

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याचिकर्ता का कहना है कि राज्य सरकार द्वारा मशीनों से खनन की अनुमति अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश के आदेश से 13 मई 2020 को दी गई थी। जिसके बाद कोटद्वार में सुखरो, खोह नदी, जनपद के बेतालघाट ब्लॉक में व उधम सिंह नगर और विकास नगर तहसील जिला देहरादून मैं बड़े पैमाने पर बड़ी-बड़ी मशीनों के द्वारा लगत तरीके से खनन किया जा रहा है। जिससे नदी तल बुरी तरह क्षत विक्षत हो रहे हैं और जिससे पर्यावरण पर बड़ा दुष्प्रभाव पड़ रहा है।

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चुगान की जगह मशीनों द्वारा नदियों में मशीनों से गड्ढे कर अवैज्ञानिक दोहन किया जा रहा है। जिसके कारण नदी क्षेत्र से सटे गावो में बाढ़ व पानी की किल्लत उतपन्न होने लगी है। यहां तक कि तहसील विकासनगर में मशीनों द्वारा यमुना नदी का रुख ही मोड़ दिया गया है और उस पर अवैध पुल बना दिया गया है।

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माफियाओं की शह पर विरोध करने वाले पर्यावरण कार्यकर्ताओं व वन विभाग के कर्मचारियों के साथ मारपीट तक की जा रही है और इसे उजागर करने वाले पत्रकारों का उत्पीड़न भी किया जा रहा है। प्रदेश के नदी तट क्षेत्र खनन के अवैध अड्डे बन गए है।

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