हिंदी पत्रकारिता दिवस पर विशेष : काल के कपाल पर (अटल गीत)

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कलमकार सोनाली मिश्रा, पीजी डिप्लोमा इन जर्नलिज्म एंड मास कम्यूनिकेशन, द्वितीय सेमेस्टर, अटल पत्रकारिता एवं जनसंचार केंद्र, डीएसबी परिसर नैनीताल।

पत्रकार की कलम से कविता लिखी
कविताएँ धीरे धीरे भाषण बनते दिखीं
भाषण पढ़े तब तक नेता थे बन चुके
नेता की छवि जानने तक प्रधानमंत्री दिखे||

जन्म हुआ जब ईसाईयों का था बड़ा दिन
तभी तो उनकी छवि थी हर किसी से भिन्न
कद राजनीति में था बहुत बड़ा
कठोर परिस्थितियों में वो डटकर था
खड़ा ||

भाषण मानो समर्थकों के लिए पर्व
VIP होने पर ना किया कभी भी गर्व
आम आदमी सी थी उनकी शैली
विरोधियों में भी प्रेम की लहर थी फैली||

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शब्दों में मानो जादू था अपार
सड़कों के जरिए खोल दिए कई रोजगार
हिम्मत से हर क्षण भरे रहते थे
देश का विकास परम धर्म यह कहते थे||

पत्रकार बनकर पेशा शुरू किया
1942 में “भारत छोडो़ आंदोलन” में हिस्सा लिया
1951 में पत्रकारिता छोडी
जनसंध के साथ तारें जोडी़ ||

1957 में बलरामपुर चुनाव से संसद गए
भारत के फिर वह बने विदेश मंत्री नए
पोखरण परमाणु परीक्षण बनाया सफल
दुनिया को बताया भारत नहीं है अब विफल ||

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दुनिया को हिंदी की ताकत समझाई,
भारत की नई छवि दुनिया को दिखाई,
कवि की कल्पना को सबको दिखाया,
ज़ुबान कोमल है ,पर फैसले मजबूत बताया,,

खाने का वह खूब शौक रखते,
जो कुछ खाने का लाता उस तुरंत चखते,
पाकिस्तान से धोखा मिला तो कारगिल जीता लिया,
पाकिस्तान तक उन्होंने बसों को पहुंचा दिया,

दलों को जोड़ने की वह मिसाल थे,
नेता से पहले कवि विशाल थे,
कविताओं में नेता नहीं कवि दिखा,
कभी संदेश तो कभी सोचने मै मजबूर किया,

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2009 के बाद सार्वजनिक जीवन से दूरी करी,
जिसे देख लोगों की आंखें आंसुओ से भरी,
बदन मै जैकेट , आंखो मै चश्मा काला,
कमर पर धोती बांधे अटल जी का व्यक्तित्व निराला …!!!

2015 में सम्मान हुआ भारत रत्न से
2018 में हताश हुए सब उनके निधन से
चला गया था एक पत्रकार और कवि
नेता, अभिभावक और दोस्त की थी जिसमें छवि ||

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