एरीज में स्वतंत्रता के 75 वर्षः आजादी का अमृत महोत्सव‘‘ के अंतर्गत हुआ कार्यशाला का उदघाटन

एरीज में स्वतंत्रता के 75 वर्षः आजादी का अमृत महोत्सव‘‘ के अंतर्गत हुआ कार्यशाला का उदघाटन

एरीज में स्वतंत्रता के 75 वर्षः आजादी का अमृत महोत्सव‘‘ के अंतर्गत हुआ कार्यशाला का उदघाटन

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न्यूज़ डेस्क , नैनीताल ( nainilive.com )- आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान ‘एरीज‘ (विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के अंतर्गत स्वायतशासी संस्था), एवं भारत के अन्य संस्थानों द्वारा संयुक्त रुप से आयोजित ‘एस्ट्रोफिजिकलजेटस् एवं प्रेक्षण सुविधाएं: राष्ट्रीय प्ररिप्रेक्ष्य‘ नामक एक कार्यशाला का उद्धाटन आज दिनांक 05 अप्रैल 2021 को सफलतापूर्वक संपादित हुआ। कोविड.19 नियमों का पालन करते हुए, एरीज के वैज्ञानिक शोध छात्रों समेत सम्पूर्ण भारत से लगभग 100 से अधिक वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं ने प्रतिभागिता दर्ज की।

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उद्घाटन समारोह का शुभारंभ डा0 शशिभूषण पाण्डेय के उद्बोधन से हुआ जो कि वैज्ञानिक आयोजन समिति के तरफ से सभी प्रतिभागियों को कार्यशाला के स्वरुप व पृष्ठभूमि के बारे बताया।तत्पश्चात एरीज के निदेशक प्रो0 दिपांकर बनर्जी द्वारा कार्यशाला का आधिकारिक उद्घाटन व स्वागत अभिभाषण किया गया। उन्होंने इस कार्यशाला के महत्ता पर बल देते हुए ये बताया कि यह कार्यक्रम खगोलशास्त्र के वैज्ञानिकों द्वारा‘‘स्वतंत्रता के 75 वर्षः आजादी का अमृत महोत्सव‘‘ के प्रथम कार्यक्रमों में से एक है। तत्पश्चात एरीज के गवर्निंग काउंसिल के अध्यक्ष प्रो0 पी0 सी0 अग्रवाल ने अपने विशेष उद्बोधन में दौरान इस बात पर बल दिया गया कि भारत अपने विभिन्न सुविधाओं के माध्यम में इस समय बहुत अच्छी स्थिति में है और आने वाले समय में युवा पीढ़ी को इस दिशा में और अधिक कार्य करने की आवश्यकता है।

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प्रो0 अग्रवाल ने विशेष रुप से एस्ट्रोसेट, जीएमआटीऔर 3.6मी डाॅट जैसे वर्तमान में स्थित बहुतरंग दैघ्र्यीय परियोजनाओं के और अधिक दोहन पर बल दिया। प्रारंभिक चर्चा के दौरान वरिष्ठ खगोलशास्त्री प्रो0 अजित केम्भावी ने आने वाले समय में डीप लर्निंग,मशीन लर्निंग एवं आर्टीफिसीयल इंटेलीजेंस के महत्व को बताया। प्रो0 केम्भावी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि आने वाला समय, इस प्रकार के उन्नत तकनीकों से खगोलशास्त्र में कई नयें प्रकार के खोज संभव है।उन्होंने यह भी बताया कि भविष्य में खगोलशास्त्र का शोध बिना इस प्रकार की तकनीकों के ज्ञान के संभव नही हो पायेगा।

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इस कार्यशाला के प्रथम दिन प्रथम सत्र की शुरुआत प्रो0 के पी सिंह के द्वारा एजीएन एवं ब्लेजार में स्थित बहुत बड़े आकार के जेट के उल्लेख से हुई। प्रो0 सिंह ने एम82 और एम87 नामक मंदाकिनियांे का उदाहरण लेते हुए बहुतरंग दैघ्र्यीय भारतीय सुविधाआ ेंजैसेकि एस्ट्रोसेट द्वारा लिए गए प्रेक्षण और उसक ेपरिणामों का भी वर्णन किया तत्पश्चात प्रो0 अमित शुक्ला, आईआईटी, इंदौर द्वारा ब्लेजार जेट्स और उनके परिणामों पर चर्चा की गई।चर्चा की सतत्ता में लंकेश्वरडे, टीआईएफआर द्वारा अत्याधिक द्रव्यमानित ब्लेकहोल की पुष्टी, जी सी देवांगन, अयुका द्वारा एस्ट्रोसेट द्वारा एजीएनका अध्यन, धर्मपारलाल, एनसीआरए द्वारा रेडियो मंदाकिनियों में 1000 पारेसेकआकार के जेट, तेजपूर विश्वविद्यालय के रुप ज्योति गोगोई द्वारा मंदकिनियों में जेट के उद्भव और आकृति के संकेत, तथा अयुका के जाहिर साह द्वारा तारो के चमकका एस्ट्रोसेट द्वारा प्रेक्षण पर व्याख्यान दिया गया। प्रथम सत्र का संचालन एरीज के वैज्ञानिक डा0 सुवेन्दु रक्षित द्वारा किया गया।

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भोजन अवकाश के पश्चात सभी संचालन प्रो0 गोपाकुमार टीआईएफआर द्वारा किया गया। द्वितीय सत्र के शुरुआत में डा0 पंकज कुशवाह द्वारा ओजे 287 नामक एजीन पर उनके कार्यो का उल्लेख किया गया।व्याख्यानों के निरंतरता में एरीज के वैदेही एस पलिया द्वारा सपेक्षीय जेट के उद्गम, एवं विनीत ओझा द्वारा सीफर्ट 1 मंदाकिनी के परिवर्तनशील दृश्य प्रकाश की तुलनात्मक अध्यन जबकि जामिया मिलिया इस्लामिया के मैनपाल द्वारा ओजे 287 के एक्स रेप्रेक्षण, तेजपुरविवि के प्राणजुप्रिया द्वारा ब्लेजार का एक्स रेप्रेक्षणसुवेंदुरक्षित द्वारा सीफर्ट मंदाकिनी में एजेए रे की पहचान तथा एनसीआरए के सुमोनानंदी द्वारा रेडियो मंदाकिनीयों मेंजेटका जीएमआरटी एवं वी एल बी के द्वारा अध्यन दिया गया।
सभा के समापन सत्र में विभिन्न प्रतिभागियों द्वारा एजीएन,ब्लेजार विषय पर दिये व्याख्यानों एवं अन्य शोध छात्रों द्वारा किये गये शोध कार्यो पर चर्चा की गई।

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