भारत की संस्कृति के कण-कण में अहिंसा की अनुगूंज है:प्रो एनके जोशी

भारत की संस्कृति के कण-कण में अहिंसा की अनुगूंज है:प्रो एनके जोशी

भारत की संस्कृति के कण-कण में अहिंसा की अनुगूंज है:प्रो एनके जोशी

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संतोष बोरा , नैनीताल ( nainilive.com )- कुमाऊं विश्वविद्यालय के डीएसबी परिसर में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर गोष्ठी का आयोजन कर उन्हें याद किया और उनके जीवन पर प्रकाश डाला। गोष्ठी का शुभारम्भ कुलपति प्रो एनके जोशी द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी एवं पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी के चित्र पर माल्यापर्ण एवं पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया।

इस अवसर पर कुलपति प्रो एनके जोशी ने कहा कि अहिंसा के प्रबल समर्थक, शांति के अग्रदूत‌ और‌ भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के विचारों की प्रासंगिकता आज भी बनी हुई है। भारत की संस्कृति के कण-कण में अहिंसा की अनुगूंज है। अहिंसा को अपने परिवार, कुटुम्ब, समाज एवं राष्ट्र तक सीमित नहीं किया जा सकता। उसकी गोद में जगत् के समस्त प्राणी सुख-शांति-अमन की सांस लेते हैं। दुनिया में समरसता, सद्भाव, अहिंसा और सत्य की बात करने वाले गांधी जी ने अहिंसक क्रांति के बल पर भारत को आजादी दिलायी, यही कारण है कि भारत ही नहीं, दुनियाभर में अब उनकी जयन्ती को बड़े पैमाने पर अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। यह बापू की अहिंसा की अन्तर्राष्ट्रीय स्वीकार्यता का बड़ा प्रमाण है। यह एक तरह से गांधी जी को दुनिया की एक विनम्र श्रद्वांजलि है।

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उन्होंने कहा कि मानव ने ज्ञान-विज्ञान में आश्चर्यजनक प्रगति की है। परन्तु अपने और औरों के जीवन के प्रति सम्मान में कमी आई है। विचार-क्रान्तियां बहुत हुईं, किन्तु आचार-स्तर पर क्रान्तिकारी परिवर्तन कम हुए। शान्ति, अहिंसा और मानवाधिकारों की बातें संसार में बहुत हो रही हैं, किन्तु सम्यक्-आचरण का अभाव अखरता है। गांधीजी ने इन स्थितियों को गहराई से समझा और अहिंसा को अपने जीवन का मूल सूत्र बनाया। बड़ी शालीनता और कर्मठता के साथ उन्होंने देश और दुनिया के सामने यह उक्ति चरितार्थ की “खुद में वो बदलाव लाएं जो आप दुनिया में देखना चाहते हैं।”

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निदेशक डी०एस०बी० परिसर प्रो० एल०एम० जोशी ने कहा कि यह हमारे लिये गौरव की बात है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्मदिन 2 अक्टूबर अब अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है। अहिंसा का जो प्रयोग भारत की भूमि से शुरू हुआ उसे संसार की सर्वोच्च संस्था ने जीवन के एक मूलभूत सूत्र के रूप में मान्यता दी। हम देशवासियों के लिये अपूर्व प्रसन्नता की बात है कि गांधी की प्रासंगिकता चमत्कारिक ढंग से बढ़ रही है। दुनिया उन्हें नए सिरे से खोज रही है।

अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो० डी० एस० बिष्ट ने सभी उपस्थित विद्वतजनों का आभार ज्ञापित करते हुए कहा कि आज का दिन देश की दो महान विभूतियों के जन्मदिन के तौर पर इतिहास के पन्नों में दर्ज है। जहाँ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अपने कार्यों एवं विचारों से देश की स्वतंत्रता और इसके बाद आजाद भारत को आकार देने में बड़ी भूमिका निभाई वहीँ पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की सादगी और विनम्रता के लोग कायल थे। 1965 के भारत पाक युद्ध के दौरान दिया गया ‘जय जवान जय किसान’ का उनका नारा आज के परिप्रेक्ष्य में भी सटीक और सार्थक है।

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कोरोना महामारी के संक्रमण को ध्यान में रखते हुए कार्यक्रम सादगी एवं पूर्ण सावधानी के साथ आयोजित किया गया। इस अवसर पर प्रो० नीता बोरा, प्रो० ललित तिवारी, प्रो० एच०सी०एस० बिष्ट, प्रो० पदम सिंह बिष्ट, प्रो० संजय पंत, प्रो० एस०सी० सती, डॉ० सुचेतन साह एवं कर्मचारीगण आदि उपस्थित रहे।

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