नहीं रहे चिपको आंदोलन के प्रणेता – सुंदर लाल बहुगुणा, कोरोना से हुआ निधन , प्रदेश में शोक की लहर
न्यूज़ डेस्क , नैनीताल ( nainilive.com )- प्रख्यात विश्व प्रसिद्ध पर्यावरणविद , चिपको आंदोलन के प्रणेता और पद्म विभूषण सुन्दर लाल बहुगुणा का निधन हो गया है। कोरोना ने पर्यावरण की मुखर आवाज़ को हमेशा के लिए शांत कर दिया। उनके निधन का समाचार आते ही पूरे प्रदेश सहित देश भर में शोक की लहर फ़ैल गयी। 94 वर्षीया सुन्दर लाल बहुगुणा को कोरोना संक्रमित होने पर बीती 8 मई को एम्स ऋषिकेश में भर्ती किया गया था। पर्यावरणविद् सुन्दरलाल बहुगुणा का अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स ऋषिकेश में उपचार चल रहा था। वह डायबिटीज के पेशेंट थे और उन्हें कोविड निमोनिया था। विभिन्न रोगों से ग्रसित होने के कारण वह पिछले कई वर्षों से नियमिततौर पर दवाइयों का सेवन कर रहे थे। श्रीबहुगुणा पिछले कुछ दिनों से लाइफ सपोर्ट पर थे। एम्स के चिकित्सकों की टीम लगातार उनके स्वास्थ्य पर नजर बनाए हुई थी। उनकी स्थिति कई दिनों से स्थिर बनी हुई थी। पर्यावरणविद् सुन्दरलाल बहुगुणा का शुक्रवार को दोपहर करीब 12 बजे अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स ऋषिकेश में उपचार के दौरान देहांत हो गया।
उनके निधन का समाचार पाते ही पूरे प्रदेश सहित देश भर में शोक की लहर फ़ैल गयी। उनके निधन से न केवल उत्तराखण्ड और भारतवर्ष बल्कि समस्त विश्व के लिये पर्यावरण के मुद्दों पर प्रखरता से आवाज़ उठाने वाले व्यक्तित्व का जाना एक अपूरणीय क्षति है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने श्री बहुगुणा के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि चिपको आंदोलन के प्रणेता, विश्व में वृक्षमित्र के नाम से प्रसिद्ध महान पर्यावरणविद् पद्म विभूषण श्री सुंदरलाल बहुगुणा जी के निधन का अत्यंत पीड़ादायक समाचार मिला। यह खबर सुनकर मन बेहद व्यथित हैं। यह सिर्फ उत्तराखंड के लिए नहीं बल्कि संपूर्ण देश के लिए अपूरणीय क्षति है। पहाड़ों में जल, जंगल और जमीन के मसलों को अपनी प्राथमिकता में रखने वाले और रियासतों में जनता को उनका हक दिलाने वाले श्री बहुगुणा जी के प्रयास सदैव याद रखे जाएंगे। पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में दिए गए महत्वपूर्ण योगदान के लिए उन्हें 1986 में जमनालाल बजाज पुरस्कार और 2009 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। पर्यावरण संरक्षण के मैदान में श्री सुंदरलाल बहुगुणा जी के कार्यों को इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा। मैं ईश्वर से दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करने और शोकाकुल परिजनों को धैर्य व दुःख सहने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना करता हूं।
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