अब नहीं होंगे अल्मोड़ा आने पर दीदार नगर की शान के , मशहूर बोगनवेलिया का पेड़ गिरा

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अंचल पंत, नैनीताल ( nainilive.com )- अल्मोड़ा की पहचान सांस्कृतिक नगरी के रूप में देश विदेश में हैं, कुमाउनी संस्कृति के दर्शन करता यह नगर अपनी पहचान को आज भी समेटे हुए है. लाला बाजार के अधिकतर घरों पर आप इस संस्कृति और विरासत के दर्शन कर सकते हैं. लेकिन एक और कारण से अल्मोड़ा मशहूर रहा , और वह कारण है – अल्मोड़ा का बोगेनवेलिया का वृक्ष .

फोटो साभार : ट्विटर एवं गूगल

लेकिन अफ़सोस , कि अब अल्मोड़ा की शान कहे जाने वाला यह वृक्ष आपका स्वागत नहीं करेगा। बीते २ दिनों से हो रही मानसून की पहली बरसात ने ही इस पेड़ की जड़ें हिला दी. आज सुबह यह पेड़ धराशायी हो गया। इसके साथ ही अल्मोड़ा और अल्मोड़ा की कई यादें धराशायी हो गयी.

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बहुत अच्छे से याद आते हैं वो दिन, जब बचपन में अल्मोड़ा जाने का मौका मिला। पहली बार मई के महीने में इस बैंगनी रंग से रंगे पेड़ को देखकर अनायास ही लगा कि किसी ने इसे रंग दिया है. पूछने पर इसका नाम बोगेनवेलिया बताया गया. तब से लगातार जब भी गर्मियों में अल्मोड़ा जाते तो अपने बैंगनी रंगो से भरे हुए आपका स्वागत करने में देर नहीं लगाते। इंडिया बुक में अपना स्थान पाया यह पेड़ कैलाश होटल के सामने और पोस्ट ऑफिस गेट के ठीक आगे की तरफ था। हर आने जाने वाला की यादों को संजोये इस पेड़ ने न जाने अल्मोड़ा के कितने रूप , रंग और घटनाएं देखि होंगी। लोगों को ढलते और बदलते देखा , और शायद ऐसे ही आगे भी देखता। लेकिन लगता है , जड़ें कमजोर पढ़ गयी , और हमने भी इसकी और नहीं देखा। देखा तो सिर्फ फोटो में या किताबों में , और बना डाला अपनी शान.

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फोटो साभार : twitter.com/@Saurabh_bhatt_

इक पेड़ का गिरना शायद कोई बड़ी घटना न हो , लेकिन दुःख होता है, जब ऐसे पेड़ गिरते हैं , जो गवाह हैं सदियों के, विरासतों के, और उन घटनाओं के. अल्मोड़ा और अल्मोड़ा के लोगों की पहचान जिसने न जाने कितने लोगों को अपने मोहपाश से बांधे रखा , न जाने कितनी सुबहों और शामों का गवाह बना और दिनों को चढ़ते देखा। लेकिन अफ़सोस न अब यह अल्मोड़ा की शान दिखेगी और न अल्मोड़ा जाने पर इस खूबसूरती के दीदार होंगे।

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फोटो साभार : twitter.com/@Saurabh_bhatt_
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