पत्रकार और डिजीटल मीडिया जर्नलिस्ट्स की एकता ही सरकारोंं को मजबूर कर सकती है : पवन कुमार, भा.म.संघ
न्यूज़ डेस्क , देहरादून / दिल्ली ( nainilive.com )- वर्किंग जर्निलिस्ट्स यूनियन आफ इण्डिया सहित प्रदेश के अनेंकों पत्रकार संगठनों व लगभग तीन दर्जन से अधिक पत्रकारों ने बढ़चढ़ कर की भागीदारी, उठाई समस्यायें और सुझाव। सभी ने पत्रकारों में एकता न होने के लिए जताई चिंता।
आज शाम चार बजे से तीन सेशन्स में चली लगभग सवा दो घंटे की आनलाईन वीडियो कान्फ्रेंसिंग से हुई उत्तराखंड के पत्रकारों की वेबिनार में एक नया उत्साह व कुछ कर दिखाने की ललक भी दिखाई पडी़। भारतीय मजदूर संघ के क्षेत्रीय संगठन मंत्री पवन कुमार जी ने पत्रकारिता के नाम पर सभी को एकजुट रहने की जो अलख जगाई और कहा कि हम सब अपने अपने समाचार पत्र, वेब पोर्टल और इलैक्ट्रानिक मीडिया को विभिन्न नामों से जारी रखें। लेकिन यह भी याद रखें कि उनका बजूद तभी तक है जब तक वे पत्रकार हैं। उन्होंने बताया कि इस देश में पत्रकारों में असुरक्षा का भाव होना स्वाभिक है क्योंकि इस देश में वर्किंग जर्निस्ट्स के लिए कोई व्यापक कानून ही नहीं हैं और न ही कोई ठोस सर्वमान्य नीति। ये सब आज से नहीं अगर हम देंखे तो 1955 में जिस समय एक्ट आया था उस समय पत्रकारिता का रूप अलग था उसके पश्चात 1988-82 में एक आयोग आया और उसने कुछ बदलाव सुझाये तत्पश्चात अब इस सरकार के द्वारा कुछ रुचि संशोधन में दिखाई गयी है किन्तु अफसोस है कि पत्रकारों की आपस की गुटबाजी के ही चलते कि “मैं बडा़ और तू छोटा पत्रकार” की लडा़ई का लाभ उठाते हुये जो कानून आने वाला है यदि सभी पत्रकार अभी भी एक नहीं हुये और अपनी शक्ति का एहसास सरकार को नहीं दिलाया तो उन पर जबरन संशोधनों के साथ एक्ट थोप दिया जायेगा। पवन जी ने यह भी कहा कि लोग भारतीय मजदूर संघ को बीजेपी का संगठन समझते है जबकि बीएमएस राजनीतिक संगठन नहीं बल्कि राष्ट्रनीतिक संगठन है जो श्रमिकों के हितों के लिए उन श्रमिकों में चाहे पत्रकार हों, सभी के अधिकारों के लिए वे सड़क पर उतर कर सरकार से माँगें मनवाना जानते हैं। भा म संघ सदैव पत्रकारों के साथ है, किन्तु आपको भी हमारे साथ आने के लिए तैयार रहना होगा। डीएवीपी द्वारा हाल ही में लाई गयी पॉलिसी को पत्रकार व छोटे समाचार पत्रों का विरोधी भी बताया तथा विरोध में साथ आने का आव्हान किया।
वेबिनार के प्रारम्भ में आकाशवाणी से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी एवम पत्रकार पार्थ सारथी थपलियाल के अनुभवों व विचारों से हुआ। देवभूमि पत्रकार यूनियन उत्तराखंड के प्रदेश महासचिव एवं वरिष्ठ पत्रकार डा. वी.डी.शर्मा, वेबमीडिया एशोसियेशन उत्तराखंड के प्रदेश महामंत्री आलोक शर्मा, राष्ट्रीय पत्रकार यूनियन के वरिष्ठ पदाधिकारी दीपक धीमान, पछवादून से चंद राम राजगुरू, भूपेन्द्र सिंह नेगी आकाश, नरेंद्र राठौर एवं वरिष्ठ पत्रकार डीडी मित्तल, मसूरी से मनोज रयाल, पौढी़ से आशुतोष नेगी, अल्मोडा़ से संजय अग्रवाल, दीवान नागरकोटी, दून से वर्षा ठाकुर, रंजीत सिंह धारीवाल, ऋषिकेश से देवेन्द्र सींहत, संजय मल्ल, अजय काम्बोज, आदिल पाशा, बाबी शर्मा, हर्षवर्धन, सुल्तान तोमर, गणेश रावत, एचसी सेठी, म प्र. से अतिथि पत्रकार ए एल द्विवेदी, अशोक धवन, राजेन्द्र सिंह बिष्ट, नैनीताल से अंचल पंत, सुमित जोशी, प्रदेश संगठन मंत्री रजनीश ध्यानी एवं दिल्ली से कमलेश्वर कुमार चढ्ढा एवं वर्किंग जर्नलिस्ट् ऑफ इंडिया के दिल्ली इकाई से देवेन्द्र सिंह तोमर, प्रमोद गोस्वामी, स्वतंत्र सिंह भुल्लर, अशोक धवन सहित अनेंको पत्रकारों ने सहभागिता की।
वेबिनार मेंउत्तराखंड सरकार द्वारा पत्रकारों की अनदेखी एवं पत्रकारिता का चीर हरण और पत्रकारों का उत्पीड़न, गुटबाजी कराकर पत्रकारों की एकता को जीर्णशीर्ण करके उनमें फूट डलवाने, सही व समान सूचना पालिसी, विज्ञापनों में भेदभाव एवं सूचीबद्धता व पत्रकार मान्यता को लेकर गम्भीर सबाल उठाये गये। यही नहीं कोरोना काल में पल पल की न्यूज पहुँचाने वाले पत्रकारों की सुध न लेने बल्कि पत्रकारों के दमन और झूठी एफ आईआर दर्ज कराकर उत्पीड़न जैसे मामलों पर भी चिंता जताई गयी।
राष्ट्रीय महामंत्री नरेन्द्र भण्डारी ने उत्तराखंड के पत्रकारों की समस्याओं के निराकरण के लिए कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष करने की बात करते हुये कहा कि केवल वर्किंंग जर्नलिस्ट्स यूनियन आफ इण्डिया ही ऐसा राष्ट्रीय संगठन है जो पत्रकारों के लिए सड़क पर उतर कर संघर्ष करने में देर नहीं लगाता है। डिजीटल मीडिया और वेब मीडिया पालिसी के लिए एवं पत्रकार सुरक्षा कानून की निरन्तर लडा़ई भी पिछले चार सालों से लड़ रही है। उन्होंने आगामी 25 अगस्त को सभी के साथ मिल कर एक वृहद स्तर पर डिजीटल मीडिया दिवस के रूप में मनाने का आव्हान भी किया। श्री भंडारी ने इस वेबिनार को एतिहासिक और सफल वेबिनार भी बताया।
अंत में सुनील गुप्ता ने सभी का आभार व्यक्त करते हुये कहा कि सभी साथी अपनी पत्रकारिता की ताकत को पहचाने और सरकार के सामने गिड़गिडा़यें नहीं वल्कि अपनी कलम और न्यूज की ताकत पर अधिकारों को छीनें।
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