राहुल गांधी के काफिले को मणिपुर पुलिस ने रोका, सुरक्षा कारणों का दिया हवाला, कांग्रेस ने जताई आपत्ति
इंफाल (nainilive.com). कांग्रेस नेता राहुल गांधी आज से हिंसा प्रभावित मणिपुर की अपनी दो दिवसीय यात्रा पर है. राज्य की राजधानी इंफाल से चुराचांदपुर जा रहे राहुल गांधी के काफिले को मणिपुर पुलिस ने रोक दिया. इम्फाल से करीब 20 किलोमीटर दूर बिष्णुपुर में राहुल के काफिले को रोका गया है. फिलहाल, राहुल गांधी बिष्णुपुर से इंफाल लौट आए हैं.
बताया जा रहा है कि वे चुराचांदपुर जा रहे थे, जहां जातीय हिंसा के कुछ सबसे बुरे मामले सामने आए हैं, जिसने कई हफ्तों से राज्य को हिलाकर रख दिया है. मणिपुर पुलिस ने राहुल गांधी के काफिले को रोकने के लिए सुरक्षा कारणों का हवाला दिया. बिष्णुपुर के एसपी ने कहा कि राहुल गांधी को आगे जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती. हम उनकी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं. पुलिस अधिकारी ने कहा कि आगजनी हुई है और स्थिति कल रात भी बदतर थी.
केसी वेणुगोपाल बोले- हम नहीं समझ पा रहे उन्हें क्यों रोका?
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि राहुल गांधी के काफिले को बिष्णुपुर के पास पुलिस ने रोक दिया है. पुलिस का कहना है कि वे हमें इजाजत देने की स्थिति में नहीं हैं. राहुल गांधी के लिए लोग सड़क के दोनों ओर खड़े हैं. हम समझ नहीं पा रहे हैं कि उन्होंने हमें क्यों रोका है?
उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता कि पुलिस हमें अनुमति क्यों नहीं दे रही है. राहुल गांधी का यह दौरा प्रभावित लोगों से मुलाकात के लिए ही है. हमने करीब 20-25 किलोमीटर का सफर तय किया, लेकिन कहीं भी सड़क जाम नहीं हुई. राहुल गांधी कार के अंदर बैठे हैं. मुझे नहीं पता कि स्थानीय पुलिस को किसने निर्देश दिया है? बता दें कि तीन मई को हिंसा भड़कने के बाद से कांग्रेस नेता का पूर्वोत्तर राज्य का यह पहला दौरा है.
50 हजार लोग राज्य के 300 से अधिक शिविरों में रह रहे हैं
इस साल मई में जातीय संघर्ष शुरू होने के बाद से अब लगभग 50,000 लोग राज्य भर में 300 से अधिक राहत शिविरों में रह रहे हैं. पूर्वोत्तर राज्य में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा में अब तक 100 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है. मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति एसटी दर्जे की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च आयोजित किए जाने के बाद 3 मई को पहली बार झड़पें हुईं. मणिपुर की आबादी में मेइतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं. आदिवासी नागा और कुकी आबादी का 40 प्रतिशत हिस्सा हैं और पहाड़ी जिलों में रहते हैं.
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