पुस्तक कॉपीराइट विवाद में उपमहाधिवक्ता एन एस पुंडीर ने दिया नोटिस का जवाब , नोटिस में लगाए गए आरोपों को किया सिरे से खारिज
नैनीताल ( nainilive.com )- उत्तराखंड उच्च न्यायालय के उप महाधिवक्ता एन एस पुंडीर ने पूर्व महाधिवक्ता स्व. एमएस नेगी के पुत्र एवं पुत्री द्वारा श्री पुंडीर द्वारा प्रकाशित उनकी पुस्तक “यूपी एंड उत्तराखंड सर्विस मैन्युअल वॉल्यूम वन” को दिए गए कॉपीराइट उल्लंघन के नोटिस का जवाब दिया। उप महाधिवक्ता पुंडीर ने नोटिस के जवाब में एमएस नेगी के पुत्र पुत्री द्वारा दिए गए नोटिस में लगाए गए आरोपों को सिरे से खारिज किया। उन्होंने अपनी पुस्तक में किए गए एक्ट, नियमों व शासनादेशों के संकलन को स्वर्गीय नेगी की पुस्तक से संबंधित किसी भी कॉपीराइट उल्लंघन को नहीं माना है ।
श्री पुंडीर ने कहा कि उन्होंने अपने जवाब में यह स्पष्ट किया है कि उनकी पुस्तक में संकलित किए गए कानून, नियम और शासनादेश विधायिका और शासन द्वारा लिखित तथा प्रकाशित हैं। किसी निजी व्यक्ति के संकलन करके प्रकाशित करने से किसी व्यक्ति का निजी कॉपीराइट अधिकार उत्पन्न नहीं होता।तथा श्री नेगी द्वारा प्रकाशित पुस्तक 2001 और 2002 के बाद बाजार में उपलब्ध नहीं है तथा श्री पुंडीर के संकलन में 2001 के उपरांत से और वर्तमान तक के सभी अधिकांश उपलब्ध तथा उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड द्वारा प्रकाशित अन्य सभी नियम कानून और शासनादेश संकलन कर प्रकाशित हैं। जिस कारण से स्वर्गीय नेगी के पुत्र और पुत्री द्वारा दिया गया नोटिस पूर्णता भ्रमित है तथा ईर्ष्यावश है। स्वर्गीय नेगी के पुत्र पुत्रियों द्वारा दिया गया नोटिस केवल श्री पुंडीर की पुस्तक को विवादित करने तथा श्री पुंडीर और उनकी पुस्तक की मानहानि समाज में करने की नीयत से दिया गया है।
श्री पुंडीर ने अपने नोटिस के जवाब में यह भी पूर्णतया स्पष्ट किया है कि स्वर्गीय नेगी जी का संकलन जिन नियमों कानूनों और शासनादेशों का संकलन है उनके लेखन में उनका कोई भी निजी मौलिक साहित्यिक कृत्य नहीं है अपितु उन कानूनों , नियमों और शासनादेशों का लेखन और प्रकाशन विधायिका और उसके सचिवों के माध्यम से किया गया है। श्री पुंडीर अपनी पुस्तक को भी वर्तमान तक यथासंभव उपलब्ध उत्तर प्रदेश तथा उत्तराखंड विधायिका और शासन द्वारा जारी जारी विधियों, नियमों और शासनादेशों का संकलन कहते हैं। श्री पुंडीर में अपने नोटिस जवाब में स्वर्गीय नेगी के पुत्र पुत्री को अपना नोटिस वापस लेने का आग्रह किया है तथा निश्चित समयावधि में ऐसा न करने पर मानहानि अथवा अन्य यथोचित वैधानिक कार्यवाही की चेतावनी भी दी है।
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