जरूरत के अनुसार बने विज्ञान पॉलिसी
- देवभूमि विज्ञान समिति की राज्य स्तरीय वैज्ञानिकों का मंथन
न्यूज़ डेस्क , नैनीताल ( nainilive.com )- देवभूमि विज्ञान समिति उत्तराखंड (विज्ञान भारती उत्तराखंड) द्वारा रविवार को राष्ट्रीय विज्ञान, तकनीकी एवं नवाचार पॉलिसी बनाने के संदर्भ में राज्य स्तरीय बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में उत्तराखंड राज्य में अवस्थित विभिन्न विश्वविद्यालयों, राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर के वैज्ञानिक संस्थानों के विभागाध्यक्ष द्वारा प्रतिभाग किया गया। इस मौके पर उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के महानिदेशक डॉ राजेंद्र डोभाल ने अपने उद्बोधन में कहा की आज साइंस, टेक्नोलॉजी एवं इन्नोवेशन पॉलिसी हेतु इंडस्ट्रीज के साथ इंटीग्रेटेड अप्रोच की आवश्यकता है जिससे अच्छे से अच्छे ह्यूमन रिसोर्सेज को आगे लाया जा सके।
भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के साइंस टेक्नोलॉजी इन्नोवेशन प्रोग्राम के विभागाध्यक्ष डॉ अखिलेश गुप्ता ने बताया अभी तक भारत में 4 विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी नीतियां बनाई गई हैं । वर्तमान में देश और समाज की आवश्यकता के अनुसार एक नई साइंस टेक्नोलॉजी एंड इन्नोवेशन पॉलिसी बनाने की आवश्यकता है । कार्यक्रम में बोलते हुए विज्ञान भारती (विभा) के राष्ट्रीय संगठन सचिव श्री जयंत सहस्त्रबुद्धे अपने संबोधन में बताया कि आज देश को एक नई साइंस टेक्नोलॉजी एवं इन्नोवेशन पॉलिसी बनाए जाने की आवश्यकता है जिसमें समाज के सभी क्षेत्रों के लोगों के विचारों को लिया जाना अत्यंत आवश्यक है। राज्य राज्य स्तरीय बैठक मेंबैठक में बोलते हुए आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर अजीत कुमार चतुर्वेदी ने कहा कि आज रिसर्च को कमर्शियल आइज करने की आवश्यकता ।
उत्तराखंड के उच्च शिक्षा मंत्री डॉक्टर धन सिंह रावत के संदेश को प्रोफेसर केडी पुरोहित जी ने बताते हुए कहा की नई विज्ञान, तकनीकी एवं नवाचार नीति विभिन्न विभागों के समन्वय, स्वदेशी तकनीकी के साथ रोजगारपरक एवं पलायन रोकने में उपयोगी रहे।
मुख्यमंत्री उत्तराखंड के विज्ञान एवं तकनीकी सलाहकार प्रो नरेंद्र सिंह जी ने कहा की परंपरागत तकनीकी ज्ञान को अपनाते हुए एवम् वोकल फॉर लोकल को ध्यान रखते हुए नई नीति के लिए कार्य करना है जिससे ग्रामीण आजीविका में सुधार हो स्वरोजगार बड़े एवं पलायन को रोकने में मदद मिले।
भारतीय पेट्रोलियम संस्थान देहरादून के निदेशक प्रोफेसर अंजन रे ने ग्रास रूट लेवल पर कार्य करने के साथ विज्ञान प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने के लिए कहा। गोविंद बल्लभ पंत संस्थान कोसी कटारमल, अल्मोड़ा के निदेशक डॉक्टर आरएस रावल ने अपने संबोधन में कहा की नई पॉलिसी में भारतीय विज्ञान संस्कृति को प्रमुखता से रखते हुए युवाओं को अधिक से अधिक जोड़ा जाना चाहिए एवं युवाओं को फील्ड में कार्य करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
एनआईटी श्रीनगर के निदेशक प्रोफेसर श्याम लाल सोनी ने कहा कि स्थानीय मानव संसाधन को अधिक से अधिक मुख्यधारा में लाते हुए विज्ञान तकनीकी एवं इन्नोवेशन से जोड़ा जाना चाहिए।स्वास्थ्य विभाग के पूर्व निदेशक डॉ डीएस रावत ने बताया कि आज उत्तराखंड में डिजिटल मैपिंग, टेलीमेडिसिन, मेडिकल टूरिज्म आदि पर कार्य करते हुए रोजगार के अवसरों को उपलब्ध कराया जाना आवश्यक है।
हार्क संस्था के श्री महेंद्र कुंवर ने ऑर्गनाइज्ड सेक्टर के साथ साथ अन ऑर्गनाइज्ड सेक्टर पर भी विशेष ध्यान देने की कहा। एरीज नैनीताल के निदेशक डॉ दीपांकर बनर्जी ने कहां की आज विज्ञान को लोकप्रिय बनाने के साथ-साथ उसको आम जनमानस के मध्य ले जाने की आवश्यकता है।
उत्तराखंड संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार के प्रोफेसर देवी प्रसाद त्रिपाठी ने भारतीय परंपरागत ज्ञान एवं विज्ञान को आगे लाते हुए इस पर और अधिक शोध करने की आवश्यकता है। उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आे पी एस नेगी ने विज्ञान को अतीत से जोड़ते हुए सभी विषयों एवं क्षेत्रों को ध्यान में रखते हुए नीति बनाए जाने की आवश्यकता पर बल दिया।
देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार के प्रति कुलपति प्रोफेसर चिन्मय पंड्या ने ने कहा कि नई विज्ञान नीति में सस्टेनेबल डेवलपमेंट, इनइंक्लूसिव डेवलपमेंट के साथ-साथ छात्रों में निचली कक्षाओं के स्तर से ही विज्ञान एवं नवाचार आदि को बताए जाने की आवश्यकता पर बल दिया। उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर सुनील जोशी ने वैदिक साइंस को नई विज्ञान नीति में जोड़ने का आह्वान किया।
हिमालयन विश्वविद्यालय जॉली ग्रांट के कुलपति प्रोफेसर विजय धस्माना जी ने सभी से एक साथ अपने संसाधनों को साझा करते हुए मिलकर कार्य करने का आह्वान किया। एसएसजे विश्वविद्यालय अल्मोड़ा के कुलपति प्रोफेसर नरेंद्र सिंह भंडारी ने कहा कि राज्य एवं क्षेत्र आधारित नीति को बनाए जाने की आवश्यकता है जो राष्ट्रीय नीति का ही एक भाग रहे, इससे स्थानीय समस्याओं का हल वैज्ञानिक रूप से करने में आसानी होगी एवं आजीविका व रोजगार बढ़ाने में मदद मिलेगी।
कुमाऊं विश्वविद्यालय से प्रोफेसर शुचि बिष्ट ने क्वालिटी रिसर्च के साथ-साथ नई टीचिंग टेक्नोलॉजी को अपनाने पर बल दिया। दून विश्वविद्यालय से प्रोफेसर एच सी पुरोहित ने अपने संबोधन में कहा कि ग्रामीण स्तर पर प्रशिक्षण की अत्यंत आवश्यकता है तथा उत्तराखंड के स्थानीय उत्पादों के ब्रांडिंग की आवश्यकता है।
उत्तराखंड उद्योग संघ के अध्यक्ष श्री पंकज गुप्ता जी ने कहा कि विद्यार्थियों के मध्य विज्ञान तकनीकी एवं इन्नोवेशन के लिए प्रेरित किए जाने की आवश्यकता है तथा व्यापार आदि के क्षेत्र में युवाओं में शोध आधारित सोच को बढ़ाने की आवश्यकता है। रूसा के सलाहकार प्रोफेसर एमएसएम रावत ने कहा कि किसी भी देश की प्रगति विज्ञान एवं तकनीकी की उन्नत के आधार पर ही होती है स्वास्थ्य कृषि शिक्षा रोजगार आदि को ध्यान में रखते हुए नई विज्ञान नीति बनाए जाने की आवश्यकता है।
यूसर्क की निदेशक प्रोफेसर अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि आज इंडस्ट्री एवं एकेडमी को मिलकर कार्य करने तथा निचले स्तर से कार्य प्रारंभ करने की आवश्यकता है । वाडिया संस्थान देहरादून के निदेशक डॉ कैलाश चंद्र सेन ने कहां की स्थानीय समस्याओं के निराकरण आधारित नई विज्ञान नीति की आवश्यकता है जिसमें विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं से बचाव तथा प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण हो सके।
पदमश्री कल्याण सिंह रावत ने महिलाओं की समस्या समाधान एवम् विद्यार्थियों को पर्यावरण से जोडने का आवाहन किया। कार्यक्रम के अंत में विज्ञान भारती उत्तराखंड के अध्यक्ष प्रोफेसर केडी पुरोहित ने कार्यक्रम में उपस्थित हुए विषय विशेषज्ञों शिक्षकों वैज्ञानिकों तथा विभिन्न संस्थाओं के विभागाध्यक्ष हो का उनके द्वारा उपलब्ध कराए गए विचारों के लिए धन्यवाद ज्ञापन किया।
कार्यक्रम का संचालन विज्ञान भारती उत्तराखंड के सचिव डॉक्टर हेमंती नंदन पांडे तथा एरीज नैनीताल के डॉक्टर नरेंद्र सिंह द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। हेमंती नंदन पांडे ने बताया कि शीघ्र ही साइंस टेक्नोलॉजी एवं इन्नोवेशन पॉलिसी 2020 का एक ड्राफ्ट तैयार करके भारत सरकार को प्रेषित किया जाएगा।
ग्राफिक एरा, डी आई टी, आईआईएम काशीपुर, गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हरिद्वार सहित राज्य के अन्य संस्थाओं से 90 लोगों द्वारा प्रतिभाग किया गया।
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