शिक्षक दिवस पर विशेष …शिक्षक वह मोमबत्ती है जो खुद जलकर दुनिया में उजाला देता है
प्रो० ललित तिवारी , नैनीताल ( nainilive.com )- अरस्तु ने कहा था कि बिना साहस के आप इस दुनिया में कुछ भी नही कर पायेगें। प्रतिष्ठा के बाद साहस ही मस्तिष्क की महानतम विशेषता है। इसको चरितार्थ शिक्षक ही कर सकता है। शिक्षक गलत सही का निर्णय करना बताते है तो मेरे जैसे शून्य को शून्य का ज्ञान बता कर हर अंक के साथ शून्य जुड़ने का महत्व बताते है। शिक्षक वह मोमबत्ती है जो खुद जलकर दुनिया में उजाला देता है। स्वामी विवेकानंद जी की वो पंक्तियाॅ उठो जागो ओर तब तक नही रूको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाये व्यक्ति को उद्वोलित करती है ऊर्जा से पूर्ण कराती है। वैसे भी हर्ष और आनंद से परिपूर्ण जीवन केवल ज्ञान और विज्ञान के आधार पर ही संभव है। हमें व्यवहारिकता भी गुरू से ही मिलती है। शिक्षक के पास शिक्षा की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी तथा वह एक माली के रूप में पौधों को पोषित करता है। 5 सितम्बर को डा0 सर्वपल्ली राधाकृष्णन् को याद करते हुए शिक्षक दिवस मनाया जाता है किन्तु शिक्षक की ताकत तो अक्षुण्य है चाणक्य ने कहा था कि शिक्षक राष्ट्र का निर्माता होता है। वह व्यक्तित्व का निर्माण करता है जिससे समाज की बेहतरी तथा राष्ट्र खुशहाल होता है। वैसे तो शिक्षक एक साधारण मानव होता है किन्तु उसकी रचनात्मकता, सकारात्मकता तथा सृजनात्मकता, ज्ञान बाॅटने तथा ज्ञान अर्जन की कला विद्यार्थियो को प्रेरित करती है।
एक शिक्षक क्या सोचता है उसका क्रियान्वयन विद्यार्थि कर देता है। शिक्षक काॅच से हीरा तराश देता है। गुरू शिष्य परम्परा गुरूकुल से प्रारम्भ होती थी जो आज नर्सरी में होती है। हर स्तर पर अलग-अलग शिक्षक है तथा उनकी भूमिका एक ही होती है। शिष्य का आत्मविश्वास बढ़ाना, उसकी विषय की समस्या का समाधान करना तथा उसे मार्ग दिखाना। शिक्षक राष्ट्र निर्माण के साथ-साथ पथ प्रदर्शक तथा राह निर्माण का कार्य करता है। “तुम ये कर सकते हो” ये बड़ा वाक्य शिष्य को प्रेरित कर उद्वोलित करता है। वर्तमान में शिक्षक ही है जो सभी तरह के कार्य भी करता है। गुरू विश्वमित्र, गुरू वशिष्ठ, गुरू महर्षि बाल्मीकि अपने आप में उदाहरण है। ऐसे शिक्षक जिन्होनें विश्व को बेहतरी के लिए आगे बढ़ाया जिसमें सर इसाक न्यूटन, अरस्तु, जाॅन एड्म, सावित्री बाई फुले, सर्वपल्ली राधाकृष्णन्, पाइथागोरस बेमिशाल रहे है। अगर अपने शहर की बात करे तो प्रो0 वाई0 पी0 एस0 पाॅगती, प्रो0 सुरेन्द्र प्रताप सिंह, प्रो0 एलहाॅस, प्रो0 डी0 एन0 अग्रवाल, प्रो0 सर्वेश कुमार, प्रो0 एस0 एस0 बिष्ट, प्रो0 शेखर पाठक, प्रो0 अजय रावत, प्रो0 एच0 बी0 त्रिपाठी, कैप्टन ललित साह, प्रो0 गोपाल सिंह रावत के साथ श्री खीम सिंह बिष्ट, श्री जगदीश लोहनी, श्री हेमन्त बिष्ट, स्व0 श्री के0 सी0 पाण्डे, श्री किरन जरमाया को अपनी शैक्षणिक पद्वति के लिए हमेशा याद किया जाता रहेगा। शिक्षक तुम धन्य हो जो पल्लिवत कर योग्यता का निर्माण करते है जिन्हे हमारा सलाम है।
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