विश्वभारती विश्वविद्यालय के रामगढ़ परिसर में अयोजित हुआ गुरूदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर का 163वां जन्मोत्सव”
नैनीताल ( nainilive.com )- गत नौ वर्षों की भांति इस वर्ष भी शांतिनिकेतन ट्रस्ट फॉर हिमालया द्वारा गुरुदेव की कर्मभूमि रामगढ, नैनीताल में 07 मई 2024 को गुरुदेव के 163वें जन्मोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस वर्ष के कार्यक्रम की विशेषता ये रही कि गुरूदेव का 163वा जन्मोत्सव उस स्थान पर अयोजित किया गया, जहां कभी गुरूदेव स्वयं रहा करते थे तथा जिसे शांतिनिकेतन ट्रस्ट फॉर हिमालया एवम स्थानीय निवासियों के आग्रह पर उत्तराखंड सरकार द्वारा विश्वाभारती विश्वविद्यालय के परिसर की स्थापन हेतु निशुल्क प्रदान किया जा चुका है तथा राज्य के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी द्वारा पूर्व में यहां विश्वाभारती विष्वविद्यालय के गीतांजलि परिसर हेतु भूमि पूजन एवम शिलान्यास भी किया जा चुका है। इस तरह से गुरूदेव का 163 जन्मोत्सब का आयोजन विश्वाभारती विष्वविद्यालय के रामगढ़ स्थित गीतांजलि परिसर की भूमि पर किया गया।
ज्ञात हो कि लोक सभा सामान्य निर्वाचन के परिप्रेक्ष्य में पूरे देश में लागू आदर्श आचार संहिता के चलते इस वर्ष का जन्मोत्सव पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार सूक्ष्म रूप में ही आयोजित हुआ। गुरूदेव के चित्र पर माल्यार्पण एवं हवन पूजन इत्यादि के साथ प्रारंभ हुए कार्यक्रम में एक विचार गोष्ठी का भी आयोजन किया गया, जिसमें शांतिनिकेतन ट्रस्ट फॉर हिमालया के सचिव प्रो अतुल जोशी जी ने रामगढ़ में आयोजित किए गए प्रथम जन्मोत्सव से वर्तमान तक की यात्रा पर प्रकाश डालते हुए पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक जी के संरक्षण एवं मार्गदर्शन, स्थानीय सांसद व पूर्व केंद्रीय रक्षा एवं पर्यटन राज्य मंत्री श्री अजय भट्ट जी के सहयोग को याद करते हुए स्थानीय निवासियों सहित ट्रस्ट के प्राण्यासियों इत्यादि सभी का आभार प्रदान किया। उन्होंने आशा जताई कि लोकसभा चुनावों के तुरंत बाद केन्द्र सरकार पूर्व प्रेषित डी पी आर के अनुरूप रामगढ़ के गीतांजलि परिसर की वित्तीय स्वीकृति प्रदान कर देगी। जिसके परिणामस्वरुप रामगढ़ सहित उत्तराखंड का नाम अकादमिक स्तर पर विश्वविख्यात होगा।
विचार गोष्ठी में प्रो एस डी तिवारी जी ने अपने संबोधन में गुरदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर के मानवतावादी दृष्टिकोण पर प्रकाश डालते हुए कहा की गुरुदेव के मानवतावादी दृष्टिकोण को अपनाने में ही विश्व का कल्याण निहित है। इस अवसर कुमाउं विश्वविद्यालय कार्यपरिषद के सदस्य डॉ सुरेश डालाकोटी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने गुरुदेव की कर्मभूमि रहे रामगढ़ उत्तराखंड स्थित गुरुदेव की साहित्यिक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित रखने के लिए विश्व भारती विश्वविद्यालय तथा उत्तराखंड सरकार को धन्यवाद ज्ञापित किया।
ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री देवेन्द्र ढैला द्वारा कार्यक्रम के अंत में सभी आगंतुकों का धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन श्री देवेन्द्र बिष्ट द्वारा किया गया। जन्मोत्सव कार्यक्रम में स्थानीय नागरिकों सहित श्री ए के चतुर्वेदी, ग्राम प्रधान रेखा जोशी, श्री हेमंत डालकोटी, प्रो सुरेश चंद्र सती, डॉ विजय कुमार, डॉ विनोद जोशी, डॉ जीवन उपाध्याय, डॉ तेज प्रकाश, डॉ भूपेश चंद्र पंत, डॉ गौतम रावत, डॉ अशोक उप्रेती, डॉ तेज प्रकाश जोशी, डॉ लक्ष्मण मेहरा श्री कृष्णानंद जोशी, किशन भट्ट, किशन सिंह मेहरा, कुंदन चिलवाल, अंकित पांडे, विनय कार्की, डूंगर सिंह किरोला, नंदन सिंह, लोकेश बिष्ट, पवन दर्मवाल, किशोर बिष्ट, देवेंद्र सिंह दर्मवाल आदि उपस्थित रहे।
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