NCRPC को मिली कामयाबी, अब अरबों साल से मौजूद आकाशगंगा के रहस्यों को जान सकेंगे
न्यूज़ डेस्क , नई दिल्ली ( nainilive.com )- आसमान में लाखों-करोड़ों तारे हैं। सूर्य, चंद्रमा, पृथ्वी, जूपिटर, वीनस जैसे अनगिनत ग्रह हैं। किसी में आग और शीतलता हैं तो ज्यादातर में गैसें। कई तरह के अध्ययन और ढेरों शोध के बाद भी इस प्रश्न का उत्तर नहीं मिल पाता कि ब्रह्मांड में ये सब आखिर आया कहां से? लेकिन युगों से आकाशगंगा में छिपे और दबे इस सच को आखिर पुणे स्थित नेशनल सेंटर फॉर रेडियोफिजिक्स (NCRPC) केंद्र ने ढूंढ निकाला है।
NCRPC को मिली कामयाबी
NCRPC ने दावा किया है कि उनके वैज्ञानिकों ने ऐसी खोज की है, जिसके जरिए करोड़ों प्रकाश वर्ष दूर स्थित गैलेक्सी से हाइड्रोजन गैस के उत्सर्जन में रेडियो सिग्नल का पता चला है। इससे सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि करोड़ों साल पहले ब्रह्मांड में मौजूद गैलेक्सी को देख सकते हैं। इसके जरिए गुजरे समय को भी देखने में कामयाबी मिलेगी। यह खोज इंसान को समय में पीछे देखने में सक्षम बना देगी। फिलहाल जो दावा किया है उस हिसाब से चांद, तारे, सितारे, ब्रह्मांड का रहस्य जाना जा सकता है। तारों की दुनिया, हम सबकी दुनिया की उत्पत्ति का स्रोत क्या है, यह सब भी जान पाएंगे।
सब जानना चाहते हैं जीवन का रहस्य
NCRPC में रिसर्च के दौरान खोज में आकाशगंगा से 21 सेमी उत्सर्जन के मजबूत लेंसिंग की पुष्टि हुई है। ये सभी निष्कर्ष रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी के मासिक नोटिस में भी प्रकाशित हुए हैं। मैकगिल विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग और ट्रॉटियर स्पेस इंस्टीट्यूट के पोस्ट डॉक्टोरल शोधकर्ता अर्नब चक्रवर्ती और IISC के भौतिकी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर निरुपम रॉय ने जीएमआरटी डेटा का उपयोग करते हुए यह सफलता प्राप्त की है। उनके अनुसार, रेडशिफ्ट z = 1.29 पर आकाशगंगा में परमाणु हाइड्रोजन से एक रेडियो सिग्नल का पता लगा है। चक्रवर्ती ने बताया कि आकाशगंगा से अत्यधिक दूरी के कारण 21 सेमी उत्सर्जन रेखा उस समय तक 48 सेमी तक पहुंच गई थी, जब सिग्नल स्रोत से दूरबीन तक पहुंचा था।
अभी ब्रह्मांड 4.9 अरब वर्ष पुराना, खोज से बदलेगा समय
अब तक की गई खोजों और शोधों से पता चला है कि ब्रह्मांड 4.9 अरब वर्ष पुराना है, लेकिन NCRPC की नई खोज के बाद 8.8 अरब वर्ष पुराने अतीत को भी खंगाल सकेंगे। इससे पता चल पाएगा कि आकाशगंगा में हुए बदलाव किन कारणों से हो पाते हैं। रिसर्च टीम ने गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग कर जरिए विशेष आकाशगंगा को टटोलकर पाया कि उसका परमाणु हाइड्रोजन द्रव्यमान इसके तारकीय द्रव्यमान से लगभग दोगुना है। ये परिणाम निकट भविष्य में मौजूदा और आगामी कम आवृत्ति रेडियो दूरबीनों के साथ तटस्थ गैस के ब्रह्मांडीय विकास की जांच के लिए रोमांचक नई संभावनाओं को भी अवसर देंगे।
हाइड्रोजन का पता लगाना बेहद चुनौतीपूर्ण
केंद्र निदेशक यशवंत गुप्ता ने बताया कि ब्रह्मांड से उत्सर्जन में तटस्थ हाइड्रोजन का पता लगाना बेहद चुनौतीपूर्ण है। हम जीएमआरटी के साथ इस नए पथ-प्रदर्शक परिणाम से खुश हैं। जॉइंट मीटरवेव रेडियो टेलीस्कोप का निर्माण और संचालन NCRA-TIFR की ओर से संयुक्त रूप से किया जाता है। इस अनुसंधान को मैकगिल और IISC की ओर से वित्त पोषित किया गया।
नैनी लाइव (Naini Live) के साथ सोशल मीडिया में जुड़ कर नवीन ताज़ा समाचारों को प्राप्त करें। समाचार प्राप्त करने के लिए हमसे जुड़ें -
Naini Live is a news portal which provides news across Uttarakhand and Madhya Pradesh. We do provide advertisement services as well.