नैनीताल जिले की तीन विधानसभा सीटों पर हो सकता है भाजपा को भीतरघात का ख़तरा
न्यूज़ डेस्क , नैनीताल ( nainilive.com )- उत्तराखंड में चुनाव प्रचार अपने अंतिम क्षणों में हैं. मात्र कुछ घंटों के बाद चुनाव प्रचार थम जाएगा , ऐसे में प्रत्येक प्रत्याशी ने अपना भरपूर जोर लगा माहौल को अपने पक्ष में बनाने का प्रयत्न कर दिया है। वहीँ नैनीताल जिले में भी बीते दो दिनों से 6 विधानसभा सीटों पर सभी दलों के प्रत्याशियों सहित पार्टियों ने जोर लगा रखा है। लेकिन इन सब के बीच जिले की तीन सीट ऐसी भी हैं , जो पहले दिन से ही चर्चा में रहीं हैं। इन सीटों पर जहाँ सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने उम्मीदवार चयन से लेकर प्रचार तक में अपनी ताकत लगाने की पूरी कोशिश की हैं, लेकिन अंतिम परिणाम ही बता पायेगा , की यह कोशिश कितनी सफल होती है। यह तीन सीट हैं – नैनीताल , भीमताल और लालकुआं सीट , जहाँ पर पार्टी ने कैडर कार्यकर्ता को टिकट न देकर दुसरे दलों से आये कार्यकर्ताओं को टिकट दिया है.
नैनीताल सीट पर भाजपा ने पूर्व में कांग्रेस में महिला प्रदेश अध्यक्ष रही एवं पूर्व विधायक नैनीताल सरिता आर्या को टिकट दिया , जो कांग्रेस में भाजपा से गए संजीव आर्या के कारण टिकट दावेदारी और टिकट न मिलने के स्पष्ट जवाब से कांग्रेस से नाराज होकर भाजपा में गयी। भारतीय जनता पार्टी के भीतर उनकी स्वीकार्यता बनाने में की १० दिनों का समय लग गया , जहाँ पूर्व में दावेदारी कर रहे कई दिग्गज नेता एक साथ समर्थन के लिए सामने नहीं आये। जब आये भी तो 10 दिनों का समय बीत गया , जिसमे प्रचार का एक महत्वपूर्ण भाग धीमा पड़ गया। इसके साथ ही पार्टी के भीतर भी कई स्थानीय नेताओं का अंदरखाने प्रत्याशी को भीतरघात पहुंचाने के आरोप लग रहे थे , जिसके बाद स्थानीय भाजपा नगर इकाई ने कई नेताओं को पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण पार्टी से 6 वर्षों के लिए निष्काषित भी कर दिया है। लेकिन अभी भी इन नेताओं के संपर्क सूत्र के रूप में जमे नेताओं से भीतरघात होने की उम्मीद ज्यादा हैं. अब देखना यह है , कि अंतिम दिनों में हुए निष्काशन के बावजूद भाजपा भीतरघात को कितना मैनेज कर पाती है।
भीमताल सीट पर भाजपा ने निर्दलीय विधायक रहे राम सिंह कैड़ा के भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने के बाद उनपर ही दांव खेलना उचित समझा। यहाँ पार्टी के पुराने कार्यकर्ता एवं पूर्व जिलाध्यक्ष रहे मनोज साह ने पार्टी के इस कदम का विरोध करते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर डाली। मनोज साह ने मंडी सभापति रहते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी अच्छी पैठ बना ली , एवं कोविड काल में लगातार क्षेत्र में जन संपर्क के कारण वह पार्टी से टिकट मिलने को लेकर आश्वस्त थे , वहीँ पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत एवं कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत के साथ उनकी घनिष्ठता से भी कयास लगाए जा रहे थे , की भीमताल विधानसभा में टिकट उनको ही मिलेगा।वहीँ दुसरे निर्दलीय लाखन सिंह नेगी के भी भाजपा विचारधारा से जुड़ाव होने के चलते इस बार भाजपा प्रत्याशी राम सिंह कैड़ा को कड़ी टक्कर मिल रही है। वहीँ भाजपा ने इस विधानसभा में भी पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने के चलते एकमुश्त 32 दायित्वों पार्टी कार्यकर्ताओं को पार्टी से 6 वर्षों के लिए निष्काषित कर दिया है। पार्टी के इस निर्णय से जहाँ कई मंडल के कार्यकर्ताओं ने जो अन्य प्रत्याशियों का समर्थन कर रहे हैं , स्पष्ट दिखता है , की इस विधानसभा में भी रणनीतिकार डैमेज कण्ट्रोल में विफल रहे।
वहीँ जिले की सबसे हॉट सीट के रूप में चर्चा में आयी लालकुआं सीट पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के आसन से चर्चा में आ गयी है. भारतीय जनता पार्टी ने हाल ही में शामिल डॉ मोहन सिंह बिष्ट पर दांव खेला , जिसे स्थानीय कार्यकर्ता एवं अन्य दावेदार पचा नहीं पाए। यहाँ तक की विधायक लालकुआं नवीन दुमका ने खुलकर कोई बयान तो नहीं दिया , लेकिन सक्रियता की कमी स्पष्ट दिख रही है. वहीँ एक अन्य दावेदार रहे पवन चौहान ने निर्दलीय टाल थोक कर भाजपा के लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं। दूसरी तरफ कई भाजपा के स्थानीय प्रभावशाली नेताओं ने हरीश रावत की मौजूदगी में कांग्रेस का दामन थाम लिया। भाजपा ने स्टार प्रचारकों को मैदान में लगा हवा का रुख बदलने की कोशिश जरूर की है, लेकिन यहाँ पर भी भीतरघात की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता हैं. अब यह तो 10 मार्च को ही पता लगेगा की जनता का रुझान किस तरफ हैं, लेकिन मात्र 3 घंटों के शेष रहे प्रचार में डैमेज कण्ट्रोल के प्रयास कितने असरदार साबित होंगे , यह कहना मुश्किल है।
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