नैनीताल की चिनार संस्था द्वारा विश्व मधुमक्खी दिवस पर आयोजित किया वैश्विक कार्यक्रम
न्यूज़ डेस्क , नैनीताल ( nainilive.com )- स्थित शोध एवं विकास संस्थान सेंट्रल हिमालयन इंस्टीट्यूट फॉर नेचर एण्ड अप्लाइड रिसर्च (चिनार) द्वारा कनाडा स्थित वीटूजौर्स संस्था के सहयोग से कल दिनाँक 20-05-2021 को विश्व मधुमक्खी दिवस (वर्ल्ड बी डे) के उपलक्ष्य में एक ऑनलाइन वेबिनार का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का संचालन चिनार संस्थान के निदेशक डॉ प्रदीप मेहता और वीटूजौर्स की निदेशक सुश्री सैंड्रा सांचेज़ द्वारा किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत में सुश्री सैंड्रा सांचेज़ ने कार्यक्रम के उद्देश्यों और वीटूजौर्स और चिनार द्वारा मधुमक्खी संरक्षण और संवर्धन के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों के विषय में बताया. डॉ प्रदीप मेहता ने चिनार के कार्यों जैसे यूनाइटेड राष्ट्र की एफएओ संस्था के लिए किए गए सर्वे, पारंपरिक मधुमक्खी पालन पर किये गये सर्वे और चिनार द्वारा यूनाइटेड राष्ट्र के पॉलिसी पेपर में दिए योगदान के विषय में जानकारी दी मुख्य वक्ताओं में एफएओ, माउंटेन पार्टनरशिप, रोम की प्रोग्राम ऑफिसर सुश्री रोसालौरा रोमियो ने विश्व के पर्वतीय क्षेत्रों में मधुमक्खी पालन के महत्व और जैव विविधता में इनके योगदान के बारे में बात की. सेंट लूसिया की इयानोला एपिकल्चर कलेक्टिवसंस्था के डायरेक्टर डॉ रिचर्ड मथियास ने मधुमक्खी संरक्षण के महत्व, और उनकि वनों और मैंग्रोव में उपयोगिता के बारे में जानकारी दी. त्रिनिनाद और टोबैगो से योजना और विकास मंत्रालय की जैव विविधता विशेषज्ञ डॉ. लीना डेम्पेवुल्फ़ ने परागण पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएं के बारे में बताया कि मधुमक्खियाँ हमें प्रति वर्ष लगभग 135 अरब यूरो के बराबर परिस्थितिकी सेवा देती हैं. सेंट्रल बी रिसर्च और ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट, भारत सरकार के सहायक निदेशक श्री श्रीधर प्रसाद ने अपने संस्थान और उसके कार्यों और वर्तमान में भारत में मधुमक्खी पालन की स्तिथि और उसके सुधार के कार्यों और नए मधु उत्पादों जैसे रॉयल जेली, पराग और मधुमक्खी का जहर के बारे में बताया.
त्रिनिनाद और टोबैगो की यूएनडीपी की राष्ट्रीय समन्वयक सुश्री शारदा महाबीर ने महिला सशक्तिकरण और मधुमक्खी पालन में उनके योगदान पर बात की. रायबाड समिति, भारत की अध्यक्ष सुश्री श्रुति लाखेरा त्यागी ने जनजातियों के अधिकारों और उनके साथ पने जंगली मधु को जमा कर के बाजार में बेच कर आजीविका का स्रोत बनाने के अनुभवों के बारे में जानकारी दी. 13 वर्षीय मधुमक्खी पालक मिशेल लुईस ने बताया कि कैसे उन्होंने इस शौक को छोटे व्यावसाय में बदल दिया. आयोजन के दौरान दुनिया के विभिन्न हिस्सों से मधुमक्खी की तस्वीरों की एक आभासी प्रदर्शनी भी दिखाई गई. कार्यक्रम में लगभग 10 देशों जैसे यूएस, आयरलैंड, इटली, जर्मनी, केन्या, यूके, त्रिनिदाद और टोबैगो, भारत और नेपाल से 108 लोगों ने प्रतिभाग किया. यह जानकारी चिनार के समन्वयक श्री घनश्याम पांडे ने दी।
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