World Cancer Day 2023: क्या है ‘राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम’, जानें कैसे कर रहा है ये देश सेवा

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न्यूज़ डेस्क , नई दिल्ली ( nainilive.com )- आज पूरा विश्व ‘World Cancer Day’ मना रहा है। इसे ‘विश्व कैंसर दिवस’ भी कहा जाता है। हर साल चार फरवरी को दुनियाभर में कैंसर और इसकी रोकथाम, पता लगाने और उपचार के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है। दरअसल, कैंसर एक ऐसी स्थिति है जो कि शरीर में असामान्य कोशिकाओं के बढ़ने से उत्पन्न होता है। यदि समय पर इसका पता लग जाए तो इस पर नियंत्रण प्राप्त किया जा सकता है लेकिन लोगों द्वारा इस बीमारी की गंभीरता को बिना समझे शुरुआती दौर में होने वाले लक्षणों को नजरअंदाज किया जाता है। यही कारण है कि यह बीमारी धीरे-धीरे गंभीर रूप ले लेती है। यदि व्यक्ति शुरुआती दौर में सचेत रहे तो समय रहते इस बीमारी का पूर्णतया इलाज संभव है।

क्या है राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम (NCRP) ? 

गौरतलब हो, इस दिशा में भारत सरकार द्वारा एक राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम (NCRP) चलाया जा रहा है। इस प्रोग्राम के तहत कैंसर के आंकड़े पेश किए जाते हैं। यह प्रोग्राम कैंसर के प्रभावों का आकलन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) नेशनल सेंटर फॉर डिजीज इंफॉर्मेटिक्स एंड रिसर्च (NCDIR) के कंधों पर इस कार्यक्रम की जिम्मेदारी है। इनकी ओर से जारी नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम रिपोर्ट में देशभर में कैंसर के आंकड़ों की रिपोर्ट पेश की जाती है। NCRP के अनुसार साल 2020 में कैंसर के 13.9 लाख मामले सामने थे जो 2025 में बढ़कर 15.7 लाख तक पहुंचने की संभावना है। मुंह, फेफड़े, पाचन पत्र सहित कई तरह के कैंसर का प्रमुख कारण तंबाकू, बीड़ी, सिगरेट गुटखा है।

ज्ञात हो, वर्तमान में सबसे अधिक ओरल या मुंह का कैंसर आक्रामक रूप से लोगों में फैल रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 21.77 प्रतिशत मरीज ओरल कैंसर के हैं। ओरल कैंसर के लिए बहुत से रिस्क फैक्टर जिम्मेदार हैं जैसे की तंबाकू का सेवन, शराब का सेवन, अत्यधिक धूम्रपान आदि।

नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम रिपोर्ट, 2020 पर इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की कैंसर रजिस्ट्री डेटा रिपोर्ट के अनुसार, देश में कैंसर के मामलों की अनुमानित संख्या में वृद्धि हुई है। कैंसर रजिस्ट्रियां कैंसर निगरानी का एक अभिन्न अंग हैं और विभिन्न स्थानों से डेटा एकत्र करने और प्रबंधित करने या किसी विशिष्ट अस्पताल में देखभाल करने वाले रोगियों की संख्या में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। रजिस्ट्रियां कैंसर नियंत्रण योजनाओं को डिजाइन करने, प्राथमिक और द्वितीयक निवारक उपायों के प्रभाव का आकलन करने और स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। कैंसर की घटनाओं पर डेटा केंद्रीय, राज्य और स्थानीय सरकारों को कैंसर नियंत्रण के लिए स्वास्थ्य संसाधनों की योजना बनाने, प्राथमिकता देने और जुटाने के लिए महत्वपूर्ण इनपुट प्रदान करता है।

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भारत सहित पूरी दुनिया में कैंसर एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता के विषय के रूप में तेजी से उभर रहा है। वर्ष 2022 के लिए भारत में मामलों की अनुमानित संख्या 14,61,427 पाई गई। विश्व स्तर पर भी, यह मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है, जो लगभग 10-11 मिलियन मौतों में योगदान देता है। यदि संबंधित शोधों पर विश्वास किया जाए तो भारत में नौ में से एक व्यक्ति को अपने जीवनकाल में कैंसर होने की संभावना होती है। फेफड़े और स्तन कैंसर क्रमशः पुरुषों और महिलाओं में कैंसर के प्रमुख स्थान हैं। भारत में पांच सबसे अधिक बार होने वाले कैंसर स्तन, गर्भाशय ग्रीवा, मौखिक और फेफड़े और कोलोरेक्टल कैंसर हैं। बचपन में, लिम्फोइड ल्यूकेमिया प्रमुख साइट है। विभिन्न कारणों से कैंसर के मामलों में और वृद्धि होने की संभावना है। प्रासंगिक तथ्यों और आंकड़ों के साथ इस खतरे के खिलाफ योजना बनाने में राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

इसलिए, लोगों को इस खतरे के बारे में जागरूक करने और लड़ाई में एकजुट करने के लिए हर साल 4 फरवरी को होने वाला विश्व कैंसर दिवस एक वैश्विक कार्यक्रम बन गया है। इसके उद्देश्यों में समय पर कार्रवाई करने के लिए दुनिया भर की सरकारों और व्यक्तियों को संवेदनशील बनाना भी शामिल है।

‘वन नेशन, वन हेल्थ’

भारत में, भारत सरकार इस खतरे को रोकने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। प्रयास यह है कि केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ पूरे देश के नागरिकों को ‘एक राष्ट्र, एक स्वास्थ्य’ की भावना के तहत देश में कहीं भी मिल सके। सरकारी स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में विभिन्न स्तरों पर कैंसर का निदान और उपचार किया जा रहा है। सरकार ने हाल के वर्षों में कैंसर की चुनौती को अधिक प्रभावी ढंग से संबोधित करने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिनमें सामान्य प्रकार के कैंसर की रोकथाम, नियंत्रण और जांच के लिए जनसंख्या-स्तर की पहल और कैंसर देखभाल के बुनियादी ढांचे को मजबूत करना शामिल है।

देश भर में आयुष्मान भारत स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र (एबी-एचडब्ल्यूसी) निदान के महान केंद्र साबित हो रहे हैं। अन्य सामान्य गैर-संचारी रोगों के साथ-साथ मौखिक, स्तन और गर्भाशय ग्रीवा जैसे तीन सामान्य कैंसर की जांच AB-HWCs के तहत सेवा वितरण का एक अभिन्न अंग है।

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तंबाकू उत्पादों के उपयोग को हतोत्साहित करना

तंबाकू उत्पादों के उपयोग को हतोत्साहित करने के उपाय किए गए हैं, जो कैंसर के प्रमुख जोखिम कारकों में से एक है। कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग और स्ट्रोक की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम (एनपीसीडीसीएस) राज्यों द्वारा उनके कार्यक्रम कार्यान्वयन योजनाओं (पीआईपी) के अनुसार कैंसर के लिए की जाने वाली गतिविधियों के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत वित्तीय सहायता देता है।

केंद्र सरकार के प्रयास

केंद्र सरकार कैंसर की तृतीयक देखभाल के लिए सुविधाओं को बढ़ाने के लिए ‘कैंसर की तृतीयक देखभाल योजना का सुदृढ़ीकरण’ लागू कर रही है। योजना के तहत 19 राज्य कैंसर संस्थान (SCI) और 20 तृतीयक देखभाल कैंसर केंद्र (TCC) को मंजूरी दी गई है। एनपीसीडीसीएस के तहत, 707 जिला गैर-संचारी रोग (एनसीडी) क्लीनिक, 268 जिला डे केयर सेंटर और 5541 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र एनसीडी क्लीनिक स्थापित किए गए हैं। सिक्किम, उत्तर प्रदेश, गुजरात, बिहार, तमिलनाडु और केरल में अब तक छह संस्थान पूरे हो चुके हैं। अन्य 33 संस्थान विकास के विभिन्न चरणों में हैं। बजट 2022-23 में घोषित PM-DevINE के तहत, 1500 करोड़ रुपए के प्रारंभिक आवंटन के साथ, पूर्वोत्तर भारत में बाल चिकित्सा और वयस्क हेमेटोलिम्फोइड कैंसर के प्रबंधन के लिए समर्पित सेवाएं बनाई जा रही हैं।

कैसे काम करता है NCRP ?

राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम (NCRP) के आंकड़ों के आधार पर भारत में कैंसर के आकलन और विश्लेषण की बात करें तो यह कैंसर पंजीकरण कैंसर के परिमाण और बोझ, नए मामलों की घटना, प्रवृत्ति में दीर्घकालिक परिवर्तनों का आकलन करने और विभिन्न कैंसर के नैदानिक मापदंडों का निर्धारण करने के लिए पहचाने गए मापदंडों पर डेटा का एक व्यवस्थित संग्रह करता है।

NCRP की कैसे हुई शुरुआत ?

NCRP दिसंबर 1981 में देशभर में कैंसर रजिस्ट्रियों के एक नेटवर्क के साथ भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) की एक दीर्घकालिक गतिविधि के रूप में शुरू हुई। बेंगलुरु, चेन्नई और मुंबई में तीन जनसंख्या आधारित कैंसर रजिस्ट्री (PBCR) ने जनवरी 1982 से इस दिशा में काम करना शुरू किया था। तब चंडीगढ़, डिब्रूगढ़ और तिरुवनंतपुरम में तीन अस्पताल आधारित कैंसर रजिस्ट्री (HBCR) एक ही वर्ष में शुरू की गईं थी।

PBCRs सरकारी अस्पतालों, निजी अस्पतालों, नर्सिंग होम्स, क्लीनिकों, डायग्नोस्टिक लैब्स, इमेजिंग सेंटरों, धर्मशालाओं और जन्म और मृत्यु के रजिस्ट्रार जैसे पंजीकरण के कई स्रोतों (SoR) से एक अच्छी तरह से परिभाषित आबादी में होने वाले कैंसर के सभी नए मामलों पर व्यवस्थित रूप से डेटा एकत्र करने का काम करता हैं।

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वहीं HBCRs रोगी की आवासीय स्थिति के बावजूद किसी विशेष अस्पताल में देखे गए कैंसर रोगियों की जानकारी दर्ज करने से संबंधित हैं। HBCRs के तहत एकत्र किए गए डेटा भी उसी क्षेत्र में आने वाले संबंधित PBCRs में योगदान करते हैं।

जनसंख्या और अस्पताल आधारित कैंसर रजिस्ट्रियों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ी है और अब NCRP नेटवर्क में 38 PBCR और 189 HBCR हैं। NCRP में शामिल होने वाले अधिक अस्पतालों के साथ HBCR की संख्या में परिवर्तन दर्ज किया गया है। तमाम रजिस्ट्रियों द्वारा एकत्र किया गया डेटा प्रकाशित होने से पहले इनकी गुणवत्ता, डुप्लिकेसी और पूर्णता के लिए कठोर जांच से होकर गुजरती है।

यहां से NCRP जुटाता है कैंसर से जुड़ा डेटा

NCRP द्वारा उत्पन्न डेटा कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग और स्ट्रोक की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्ल्यू), भारत सरकार को महत्वपूर्ण इनपुट प्रदान करता है। NCRP राज्यों में कैंसर नियंत्रण कार्यक्रम की योजना और रोकथाम कार्यक्रम, उपचार सुविधाओं की स्थापना, संसाधनों के आवंटन और स्क्रीनिंग, जागरूकता सृजन आदि जैसी विशिष्ट गतिविधियों के प्रभाव का आकलन करने के लिए एक दिशा प्रदान करता है। वहीं अस्पताल कैंसर में सुधार के लिए रजिस्ट्री डेटा का उपयोग करके देखभाल सेवाओं में लाभान्वित होते हैं। इस प्रकार NCRP (पीबीसीआर और एचबीसीआर) के नेटवर्क वाली इन रजिस्ट्रियों की उपस्थिति के बिंदु को दर्शाते हैं। इस प्रकार समय पर और उचित डेटा संचालित साक्ष्यों के आधार पर कैंसर की रोकथाम और नियंत्रण के लिए नीतिगत प्रयासों को सुगम बना जा रहा है।

कैंसर के शुरुआती लक्षण जानना बेहद जरूरी

ऐसे में हमारे लिए कैंसर के शुरुआती लक्षणों के बारे में जानना भी बेहद जरूरी है। बताना चाहेंगे कि आमतौर पर जो मरीज इलाज के लिए अस्पताल आते हैं वह चौथी स्टेज पर होते हैं, जिनमें से 40 प्रतिशत मरीजों की रिकवरी पूर्णतया हो जाती है। कैंसर के शुरुआती लक्षणों को व्यक्ति नजरअंदाज करता है यदि उसी समय ठीक प्रकार से जांच करवाई जाए तो कैंसर को गंभीर स्थिति में आने से पहले ही उसे इलाज द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है।

कैंसर दिवस की थीम

इस साल कैंसर दिवस का थीम है ‘क्लोज द केयर गैप’ यानि सभी कैंसर देखभाल तक पहुंच के हकदार हैं। इस थीम को साल 2022 से लेकर 2024 तक के लिए रखा गया है। इसका उद्देश्य मुख्यत: कैंसर के प्रति जागरूकता पैदा कर इससे होने वाली मौतों को कम करना है।

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