उत्तराखंड सरकार ने चारधाम श्राइन प्रबंधन विधेयक उत्तराखंड विधानसभा में किया पेश
देहरादून ( nainilive.com)- उत्तराखंड सरकार ने सोमवार को राज्य विधानसभा में विपक्षी कांग्रेस के भारी विरोध के बीच चारधाम श्राइन प्रबंधन विधेयक पेश किया. इससे पहले, कांग्रेस ने विधेयक को वापस लिये जाने की मांग को लेकर विधानसभा में जमकर हंगामा किया जिसके कारण सदन की कार्यवाही कई बार स्थगित हुई और पूरा प्रश्नकाल उसकी भेंट चढ गया.
पूर्वाहन 11 बजे सदन की कार्यवाही शुरू होते ही नेता प्रतिपक्ष इंदिरा ह्रदयेश की अगुवाई में कांग्रेस के सदस्य अपने स्थानों पर खड़े हो गये और सदन के सदस्यों को विश्वास में लिए बिना चुपचाप उत्तराखंड चारधाम श्राइन प्रबंधन विधेयक को पारित करवाने की राज्य सरकार की मंशा को लेकर सवाल खड़े किये.
इंदिरा ने कहा, तीर्थ पुरोहितों को इस विधेयक पर आपत्ति है और हमें भी इसके प्रावधानों के बारे में अंधेरे में रखा गया है. जब हमने प्रस्तावित विधेयक की प्रति मांगी तो हमें बताया गया कि विधानसभा के पटल पर रखे जाने के बाद ही यह दस्तावेज हमें दिया जायेगा.
उन्होंने कहा कि सरकार इस विधेयक को वापस ले या सदन की स्थायी समिति के हवाले करे. इसबीच, विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद्र अग्रवाल सदस्यों से अपने स्थान पर बैठने को कहते सुनाई दिये जिससे आज के लिये निर्धारित सदन का कामकाज निपटाया जा सके.
लेकिन प्रीतम सिंह, गोविंद सिंह कुंजवाल, करण माहरा, हरीश धामी समेत कांग्रेस के अन्य सदस्य विधेयक वापस लिये जाने की अपनी मांग को लेकर नारेबाजी करते हुए अध्यक्ष के आसन के सामने आ गये. कुछ देर बाद कांग्रेस के सदस्य वहीं धरने पर बैठ गये और नारे लगाते रहे.
स्थान ग्रहण करने के बार-बार आग्रह को विपक्षी सदस्यों द्वारा अनसुना किये जाने के बाद अध्यक्ष अग्रवाल ने सदन की कार्यवाही पहले साढे ग्यारह बजे तक, फिर 12 बजे और बाद में 12:20 बजे तक के लिये स्थगित कर दी.
सदन की कार्यवाही फिर शुरु होने पर कुछ देर कामकाज निपटाने के बाद कांग्रेस सदस्यों ने फिर अपनी मांग को लेकर हंगामा शुरू कर दिया. इसी बीच पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने इस विधेयक को पेश कर दिया.
विधेयक के उद्देश्य व कारणों के बारे में कहा गया है कि प्रदेश में स्थित बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री-यमुनोत्री तथा अन्य प्रसिद्ध मंदिरों का कायाकल्प किया जाना आवश्यक है. इसलिए जम्मू- कश्मीर में स्थापित श्री वैष्णों देवी माता मंदिर, साईं बाबा, जगन्नाथ तथा सोमनाथ मंदिरों की तरह उत्तराखंड में स्थित मंदिरों और श्राइनों के लिए विधेयक लाया जाना आवश्यक है. विधेयक में कहा गया है कि प्रदेश के मंदिरों के कायाकल्प के लिये यह विधेयक एक मील का पत्थर साबित होगा.
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