कविता : फिर आसमान को छुएंगे हम

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बर्फ सी हो गई है जिंदगी ।
हौसला रख !
तेरे मंसूबों की गर्मी से ,
पिघल जाएगी ।
वो चांद ,
जो खंजर सा दिखने लगा है तुझे,
उसी की चांदनी अंधियारा मिटाएगी ।
माना कि अंधेरा है बहुत ,
इसकी उम्र ज्यादा नहीं है पगले
इस निशा को तेरे हौसलों की चमक ,
दामिनी बन मिटा जाएगी ।
आशाओं के परवाज़ लगा ,
फिर आसमान को छुएंगे हम ,
इंसान है ,इंसानियत के लिए जिएंगे हम ।

कवि – उमेश भट्ट, नैनीताल . कुमाऊं विश्वविद्यालय से परा स्नातक एवं एल.एल. बी। पूर्व में अमर उजाला नैनीताल एवं दैनिक बद्री विशाल में पत्रकार के रूप में कार्यरत। लेखक , कवि एवं स्वतंत्र टिप्पणीकार। कोरोना ममहामृ के दौरान लिखी गयी उनकी यह उत्साहवर्धक रचना आपको कैसी लगी, अपनी टिपण्णी जरूर दीजियेगा और ज्यादा से ज्यादा लोगों तक इसको शेयर करियेगा।

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