जस्टिस गोगोई के राज्यसभा में नामित होने पर जस्टिस लोकुर ने पूछा, क्या आखिरी किला भी ढह गया?
नई दिल्ली ( nainilive.com)- सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई के राज्यसभा के लिए नामित होने के बाद उनके पुराने साथी जस्टिस मदन बी लोकुर ने इसको लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि इस तरह के कयास लगाए जा रहे थे कि जस्टिस गोगोई को क्या सम्मान दिया जाएगा, लिहाजा उनका नामित होना चकित करने वाला नहीं है. लिहाया उनका नामित होना ज्यादा आश्चर्यजनक नहीं है बल्कि आश्चर्यचकित करने वाली यह बात है कि इतनी जल्दी उन्हें यह सम्मान दिया गया. यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता, भेदभाव रहित और इसके स्वाभिमान को दर्शाता है. यही नहीं जस्टिस लोकुर ने पूछा, क्या आखिरी किला ढह गया?
साथ में की थी प्रेस कॉन्फ्रेंस
गौरतलब है कि जस्टिस लोकुर ने जस्टिस रंजन गोगोई समेत तमाम जजों के साथ मिलकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी. जस्टिस गोगोई ही थे जिन्होंने 10 जनवरी 2018 को तीन अन्य वरिष्ठ जजों के साथ मिलकर तब के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ संयुक्त प्रेस वार्ता की थी. जजों ने आरोप लगाया था कि जस्टिस मिश्रा न्यायपालिका की स्वयात्तता से खिलवाड़ कर रहे हैं. लेकिन अब जिस तरह से जस्टिस गोगोई को राज्यसभा के लिए नामित किया गया है, उसने उनके पुराने साथियों को चौंका दिया है.
एक साथ ग्रेजुएशन किया था
खबर के अनुसार रिटायर्ड जस्टिस चेलमेश्वर ने इस मामले पर कुछ भी कहने से इनकार क दिया है. यही नहीं जस्टिस कुरियन जोसेफ ने भी इस मामले पर अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. जस्टि कुरियन ने साफ कर दिया था कि वह रिटायर होने के बाद सरकार द्वारा दिए गए किसी भी पद को स्वीकार नहीं करेंगे. गौरतलब है कि जस्टिस लोकुर ने सोशल जस्टिस बेंच में काम किया था. उन्होंने किसानों, न्यूनतम वेज, माइग्रेंट लेबर, कंस्ट्रक्शन वर्कर्स से जुड़े तमाम मामलों की सुनवाई की थी. जस्टिस लोकुर ने जून 2012 को सुप्रीम कोर्ट के जज का पदभार संभाला था. वह दिसंबर 2018 में रिटायर हुए थे. अहम बात यह है कि जस्टिस लोकुर दिल्ली विश्वविद्यालय के के लॉ फैकल्टी से साथ में ग्रेजुएशन किया था और उस वक्त से दोनों एक दूसरे को जानते हैं.
उठ रहे हैं सवाल
जिस तरह से जस्टिस गोगोई को राज्यसभा के लिए नामित किए जाने पर सवाल उठ रहे हैं उसपर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए जस्टिस गोगोई ने कहा कि राज्य सभा के सदस्य के तौर पर शपथ ग्रहण करने के बाद मैं जवाब दूंगा कि आखिर क्यों मैंने इसे स्वीकार किया. बता दें कि सोमवार की शाम को सरकार की ओर से जारी नोटिफेशन में इस बात की जानकारी दी गई कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पूर्व सीजेआई जस्टिस गोगोई को राज्यसभा के सदस्य के लिए मनोनीत किया है. इस खबर के आने के बाद सियासी गलियारों में इसको लेकर चर्चा का दौर तेज हो गया और कई तरह के सवाल खड़े किए जाने लगे. लोग सीजेआई गोगोई को मनोनीत किए जाने के पीछे राजनीतिक मंशा खोजने लगे.
शपथ ग्रहण करने के बाद दूंगा जवाब
असम में पत्रकारों से बात करते हुए जस्टिस गोगोई ने कहा कि मैं बुधवार को दिल्ली जाऊंगाा. मुझे शपथ ग्रहण करने दीजिए, फिर विस्तार से इस बारे में बताऊंगा कि आखिर मैंने क्यों राज्यसभा की सदस्यता को स्वीकार किया. गौरतलब है कि जस्टिस गोगोई पिछले वर्ष 17 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के पद से रिटायर हुए थे. 13 महीने तक सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहने के दौरान जस्टिस गोगोई ने कई अहम फैसले दिए. इस दौरान उन्होंने पिछले वर्ष 9 नवंबर को राम मंदिर के ऐतिहासिक फैसले को सुनाया था.
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