डॉक्टर की सेवा से इतने हुए खुश बुजुर्ग दंपती, कि अपनी पूरी संपत्ति डॉक्टर के नाम कर दी

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मुंबई ( nainilive.com )- मुंबई में एक बुजुर्ग दंपती ने अपनी सारी संपत्ति एक डॉक्टर के नाम कर दी. दरअसल, फिजिशयन डॉ. वीणा पटेल पिछले पांच साल से उनकी देखभाल कर रही थी.

बताया गया कि अपनी मौत से 5 साल पहले 87 साल के दिनशॉ गांधी ने वसीयत बनाई थी, जिसे बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपने ताजा फैसले में मान्य घोषित किया है. इस वसीयत में दिनशॉ सारी संपत्ति फिजिशन डॉ. वीणा पटेल के नाम कर गए हैं. दरअसल, तारदेव में रहने वाले गांधी और उनकी होमई के कोई संतान नहीं थी. गांधी के तीन बैंक अकाउंट और फिक्स डिपॉजिट थे. राज्य भर में संपत्ति थी. उनकी मौत के बाद वीणा ने हाई कोर्ट में वसीयत की तामील के लिए अर्जी दी, लेकिन गांधी की एक पोती बख्तावर घडियाली ने इसे चुनौती दी.

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बख्तावर ने दावा किया कि वसीयत फर्जी है. उन्होंने यह भी दावा किया कि जिस वक्त वसीयत बनाई गई गांधी बीमार थे. उन्होंने वसीयत में वीणा पटेल की हैंडराइटिंग और पटेल के दस्तखत पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि गांधी का घर पुश्तैनी था और कोई उसे वसीयत में किसी को नहीं दे सकता था. वहीं, पटेल ने इस बात का फायदा उठाने की बात से साफ इनकार कर दिया कि उन्होंने गांधी दंपती के नि:संतान होने का फायदा उठाया या गांधी को वसीयत उनके नाम करने के लिए दबाव बनाया. हालांकि जस्टिस मेनन ने बख्तावर के आरोपों को खारिज कर दिया और फैसला दिया कि वसीयत लिखते वक्त गांधी मानसिक रूप से स्वस्थ थे.

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कोर्ट ने डॉ. पटेल के बयान को मान लिया कि गांधी ने वसीयत में उनका नाम लिखा. उन्होंने यह भी दावा किया कि गांधी उस वक्त काफी स्वस्थ थे और अक्सर बैंक, पारसी अगियारी, मंदिर और बाजार जाया करते थे. बख्तावर ने दावा किया कि अगर वे पटेल को बेटी समझते तो अंतिम संस्कार लैंडलॉर्ड न करता. कोर्ट ने कहा कि इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि दंपती पटेल को उनकी बेटी मानता था या नहीं, लेकिन ऐसा हो भी सकता है, क्योंकि डॉक्टर उनके साथ रुकती थीं और उनके लिए खाना भी भेजती थीं. जस्टिस मेनन ने कहा कि गांधी ने अंग्रेजी और गुजराती, दोनों भाषाओं में दस्तखत किए और अंगूठे का निशान भी लगाया. उन्होंने यह भी कहा कि वसीयत दो गवाहों, जिमी और जेनोबिया की मौजूदगी में लिखी गई.

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