प्राकृतिक आपदाओं से संकट ग्रस्त ग्रामों के विस्थापन एवं पुनर्वास हेतु ’’पुनर्वास नीति-2011’’ में संशोधन हेतु गठित समिति की बैठक हुई सम्पन्न
नैनीताल (nainilive.com)- राज्य में प्राकृतिक आपदाओं से संकट ग्रस्त विभिन्न ग्रामों को सुरक्षित स्थानों पर विस्थापित एवं पुनर्वास हेतु ’’पुनर्वास नीति-2011’’ में यथा आवश्यक संशोधन एवं सुझाव उपलब्ध कराने के लिए मण्डलायुक्त राजीव रौतेला की अध्यक्षता में गठित समिति की प्रथम बैठक मंगलवार को एटीआई सभागार में सम्पन्न हुई। बैठक में समिति के सदस्य जिलाधिकारी नैनीताल सविन बंसल, बागेश्वर रंजना राजगुरू, पिथौरागढ़ विजय जोगदण्डे, अधिशासी निदेशक राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण डाॅ.पीयूष रौतेला, भू-वैज्ञानिक लेखराज उपस्थित थे।
आयोजित प्रथम बैठक में समिति द्वारा विस्थापन एवं पुनर्वास हेतु पूर्व निर्धारित पुनर्वास नीति-2011 में सम्मिलित सभी 29 बिन्दुओं पर विस्तार से चर्चा की गयी। समिति द्वारा सुझाव रखा गया कि आपदा को दृष्टिगत रखते हुए पूर्व चिन्हित संवेदनशील एवं अतिसंवेदनशील गाॅवों का पुनः निरीक्षण एवं जाॅच करा ली जाये। जाॅच हेतु समिति का गठन किया जाये, जिसमें सम्बन्धित क्षेत्र के भू-वैज्ञानिक, अधिशासी अभियंता लोक निर्माण विभाग, उप जिलाधिकारी व जिला आपदा प्रबन्धन अधिकारी को शामिल किया जाये। जाॅच कार्य हेतु शासन द्वारा अन्तिम तिथि का भी निर्धारण किया जाये। विस्थापन हेतु वन विभाग की भूमि ली जाने की दशा में वन विभाग को क्षतिपूरक वन के रूप में दोगुनी भूमि के स्थान पर उतनी ही भूमि दी जाये। आपदा ग्रस्त परिवारों के विस्थापन से पूर्व बसाने के लिए चिन्हित स्थान पर 25 प्रकार की आधारभूत एवं सामुदायिक सुविधाऐं सम्बन्धित विभागों के सहयोग से विकसित करायी जायें। विस्थापित परिवारों के हितार्थ विभिन्न योजनाओं का वित्त पोषण विशिष्ट योजनाओं के अन्तर्गत किया जाये। विस्थापित परिवारों को भवन निर्माण हेतु एकमुश्त धनराशि दी जाये। कृषि भूमि मुआवजा हेतु लारा एक्ट के अनुसार राहत दी जाये। पशु पालको को गौशाला हेतु 15 हजार के स्थान पर 50 हजार रूपये की धनराशि दी जाये। सामान स्थानान्तरण हेतु 10 हजार की जगह 25 हजार रूपये दिए जाये। दश्तकारों एवं स्वयं का व्यवसाय करने वाले प्रभावितो को पुनर्वास स्थान पर व्यवसाय शुरू करने हेतु 25 हजार के स्थान पर 50 हजार रूपये की धनराशि दी जाये। समिति में वर्तमान में समिति में केवल कुमाऊॅ मण्डल के जिलाधिकारी शामिल होने के कारण सुझाव दिया गया कि गढ़वाल मण्डल के पहाड़ी जनपदों के 2 से 3 जिलाधिकारियों को भी समिति में शामिल किया जाये। जिससे कि सम्पूर्ण राज्य में प्रचलित समस्याओं एवं सुझाव को शासन के सम्मुख प्रस्तुत किया जा सके।
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