मानव का अदृश्य शत्रु से संघर्ष

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प्रोफेसर ललित तिवारी , नैनीताल – कोरोना ने दुनिया क¢ 200 देशो को अब तक हिला कर रख दिया है। कई देश भारत सहित अधिकाशं यूरोपिय देशों तथा अमेरिका में लाॅक डाडन हो चुका है। कोरोना महामारी जिसका स्तर वैश्विक है जो एक विषाणु है जो दिखायी तो नहीं देता किन्तु पूरा विश्व एवं मानव जाति इससे प्रभावित हो रही है। इसके संक्रमण से इटली जैसा देश जिसकी विश्व में स्वास्थ्य सेवायें नम्बर दो की है वहाॅ दस हजार लोग इस वायरस का शिकार हो चुके है। स्पेन, चीन, अमेरिका का भी यही हाल है। पूरे विश्व में 785,807 लोग संक्रमित हो चुके है तथा 37,820 लोग जान दे चुके है। भारत में अक तक 1400 लोग संक्रमित हो चुके है तो 33 जान दे चुके है तथा कुल 85 लोग ठीक हुए है। उत्तराखण्ड में 7 मरिज संक्रमित मिल चुके है तथा 365,328 लोग संक्रमण के बाद ठीक हो चुके है। विश्व में कोरोना से होने वाली मोत का दर हालांकि 3 प्रतिशत ही है। किन्तु इतिहास में यह मानव का सबसे बडा संघर्ष है। इन सबके मध्य भारत सरकार ने भी लाॅक डाडन किया जो समय तथा परिस्थितियों के मुताबिक सही निर्णय था किन्तु आनंद बिहार दिल्ली आदि अन्य स्थानों पर गरिब मजदूरों की भीड़ जिसमें पलायन की समस्या के साथ-साथ कोरोना को ये मद्द कर सकतें है।
ऐसे में शान्ति रखना, मनोबल बनाये रखना देशहित, मानवहित के बारे में सोचना सर्वोपरी है जब हम बचेगें तभी दूसरा भी बचेगा। हम सुरक्षित तो देश सुरक्षित। कोरोना से लड़ना तथा मानवता को बचाना है उसे सुरक्षित रखना है। आज संसार के सभी डाक्र्टस, नर्सेज, पेरामेडिकल, पर्यावरणमित्र, पुलिस, समाज सेवी, बेंर्कस जो स्वर्य कार्य करते हुऐ मानवता की श्रेष्ठ मिशाल प्रस्तुत कर है। कोरोना एक ऐसा खतरनाक विषाणु है जिससे सावधानी रखकर ही बचा जा सकता है किन्तु यदि हम अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन नही करते है तो ये हमारी ही नहीं मानवता की हार होगी। इसलिए नियमों पालन करना ही एकमात्र विकल्प है जब खुद सरक्षित होगें तभी देश एवं विश्व के लिए कार्य कर पायेगें।
प्रधानमंत्री महोदय की अपिल पर लोगों ने भी मदद के लिए हाथ आगे बढ़ायें है किन्तु पूरा विश्व में जब गाडी बनाने वाले वेंट्रीलेटर बनाने की तरफ बढ़ रहे हे तो ऐसे में मानव का वर्तमान दुश्मन कोरोना अदृश्य है किन्तु बढ़ा ही घातक है। पूरा विश्व वैज्ञानिक वैक्सीन बनाने की तरफ प्रयासरत है किन्तु उसमें समय लगेगा तथा स्वयं को सुरक्षित रखनें के लिए सावधान रहना होगा। कहीं ऐसा ना हो कि वैक्सीन बनाने तक बड.ी संख्या मंे लोगो को खो दे। यह विचारणीय प्रश्न है वायरस के प्रभाव को रोकना यह हमारा प्रथम कर्तव्य है। आइए इस लड.ाई को कारगर करे, अभी तो इससे लड़ने के बाद आर्थिक स्तर भी बेहतर करना होगा जिससे देश के आर्थिक हालाथ बेहतेर हो सकें ओर मानवता की जीत सुनिश्चित कर सकें।

प्रोफेसर ललित तिवारी , नैनीताल कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल में वनस्पति विज्ञान विभाग में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं और कई सामाजिक संस्थाओं के साथ सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं. वनस्पति विज्ञानं विषय में इनके कई शोध राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित हो चुके हैं और कई पुस्तकों का लेखन एवं संपादन इनके द्वारा किया गया है.

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