मानवीय सभ्यता का स्तंभ रक्तदान

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प्रोफेसर ललित तिवारी, नैनीताल ( nainilive.com )- 14 जून का दिवस मानव को मानव से जोड़ने का महत्वपूर्ण दिवस है। इस दिन विश्व रक्तदाता दिवस मनाया जाता है। सुरक्षित रक्तदान जान बचा सकता है कई जिदंगियाँ की थीम के साथ आज कोविड-19 से संघर्ष में इसकी माँग और बढ़ी है। विश्व रक्तदाता दिवस सर्वप्रथम विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2004 में इसकी शुरूआत की।
रक्तदान महादान है क्योंकि इसके दान से किसी की भी जिन्दगी बचायी जा सकती है। रक्त कोशिकाओं का जीवन 90 दिन तक का होता है तो इसके दान में कोई परेशानी नहीं होती। सेफ ब्लड सेव लाइफ में जितनी रक्त की आवश्यकता होती है। उससे कम रक्त मिल पाता है तो रक्तदान जिसे स्वैच्छिक रूप से किया जाना आवश्यक है उसकी जागरूकता बढ़ाने क¢ लिए यह दिवस मनाया जाता है। 1997 में स्वैच्छिक रक्तदान की मुहिम को आगे बढ़ाते हुए 124 देशों में इसे क्रियान्वित किया गया किन्तु आज भी कई देशों में यह गूढ़ समस्या बनी हुई है। 14 जून 1868 को रक्त समूह की खोज करने वाले लैण्ड स्टीनर का जन्म हुआ तथा 1930 में उन्हें नोबेल पुरूस्कार प्राप्त हुआ। उनकी खोज ने मानवता की मिशाल पेश की रक्तदान करें तथा विश्व को स्वस्थ स्थल बनाने की प्रेरणा क¢ साथ जीवन की परिभाषा को इससे बल प्राप्त हुआ। ए, बी, ओ, ए.बी धनात्मक तथा ऋणात्मक प्रकार के रक्त समूह मानव में पाये जाते है तथा 18-65 वर्ष जिनका वनज 45 किग्रा तथा हीमोग्लोबिन 12 हो रक्तदान कर सकता है यही नहीं वर्ष में तीन बार रक्तदान किया जा सकता है।


राष्ट्रीय सेवा योजना, एन0सी0सी0, रेडक्रास तथा समाज क¢ जागरूक नागरिक इस तरफ हमेशा पहल करते आये हंै। एन0एस0एस0 कुमाऊॅ विश्वविद्यालय के पांच वषों क¢ अनुभव में मैंने पाया कि जागरूकता से युवा आगे आते हंै। द्वाराहाट महाविद्यालय द्वारा एक दिन में 184 यूनिट तथा ग्राफिक एरा भीमताल क¢ छात्र छात्राओं का 380 यूनिट एक दिन में रक्तदान इसकी मिशाल बनी तो डा0 सरस्वती खेतवाल, मुन्नी तिवारी, डा0 ए0एस0 उनियाल, श्री मुकेश जोशी मंटू, श्री कुन्दन नेगी, श्री मोहित साह, डा0 विजय कुमार, श्री नवीन चन्द्र पाण्डे, डा0 संदीप बुधानी, बी0डी0 पाण्डे चिकित्सालय नैनीताल, सुशीला तिवारी चिकित्सालय एवं बेस चिकित्सालय हल्द्वानी सहित अन्य कार्यक्रम अधिकारियों का योगदान कुमाऊॅ क्षेत्र में अविस्मरणीय है तथा उनका साधूवाद है।
डाक्टर बताते है कि रक्तदान के कई फायदे है जैसे शरीर में आयरन की मात्रा संतुलित रहती है। वजन कम होता है, मानसिक तनाव कम होता हैं, कोलस्ट्राल की मात्रा संतुलित रहती है। रक्त में नई कोशिकाओं में वृद्वि, इम्यून तत्रं मजबूत होता है। ऐसे में रक्तदान महादान ही है क्योंकि इसका डुप्लीकेट नही हैं। रक्तदान मानवता का बेमिसाल गुण है जो पूरे विश्व को जोड़ता है।

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लेखक परिचय : प्रोफेसर ललित तिवारी, पूर्व कार्यक्रम समन्वयक, राष्ट्रीय सेवा योजना

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