लॉक डाउन में अलचोना ने दिखायी आत्म निर्भरता की राह

लॉक डाउन में अलचोना ने दिखायी आत्म निर्भरता की राह

लॉक डाउन में अलचोना ने दिखायी आत्म निर्भरता की राह

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न्यूज़ डेस्क , भीमताल / नैनीताल ( nainilive.com )- स्वतन्त्रता दिवस के अवसर पर पहाड़-पानी-परम्परा को समर्पित संस्था नौला फाउंडेशन टीम द्वारा व्यवसायिक खेती से आजिविका सम्पन्न क्षेत्र भीमताल विकास खडं के जैव विविधता सम्पन्न आत्म निर्भर ग्राम अलचोना मैं समाजिक दूरी का पालन के अनुरूप किसान पंचायत “आत्म निर्भरता ही हमारी पहचान” का आयोजन किया ।

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संरक्षक पर्यावरणविद श्री किशन भट्ट ने बताया नौला फाउंडेशन समस्त हिमालयी परिक्षेत्र के किसानों को आर्थिक रुप से आत्म निर्भर बनाने का सफल प्रयास कर रही है । आज उत्तराखंड का लगभग हर जागरुक युवा पहाड़ मैं ही रहकर विभिन्न स्वयं सहायता समूहों के ज़रिये फाउंडेशन से जुड़कर सफलता के नित नये आयाम जोड़ने की कोशिश कर रहा हैं । आज आर्थिक स्तर पर मज़बूती और बढ़ते औद्योगिकीकरण के बावजूद भारत को कृषि प्रधान देश के रूप में ही माना जाता है। यही कारण है कि आज भी इसपर विशेष ध्यान दिया जाता है।

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केंद्र से लेकर सभी राज्य सरकारें प्रत्येक वर्ष बजट में कृषि पर प्रमुखता से फोकस करती रही हैं। समय-समय पर प्रभावी कृषि नीतियां भी लागू करने का प्रयास भी किया जाता रहा है। परन्तु हम देश को कृषि उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने वाले किसान को भूल जाते हैं जो आज भी गुरबत की जिंदगी गुजारता है। देश का पेट भरने वाला यह किसान आत्मनिर्भर होने के लिए किन किन पीड़ाओं से गुजरता है, ये हम भूल जाते है, आज हमें उनके बारे में सोचना है, उनकी आजीविका को कैसे आत्मनिर्भरता से जोड़ना है इसके बारे में सोचना होगा। पर्यावरणविद संदीप मनराल ने कहा कि अब समय है जागने का जैसा कि हम सब जानते है कि मानव का विकास जल जगंल ज़मीन से है ना कि जल जगंल ज़मीन का विकास मानव से । इसके अलावा, स्थानीय कृषि विश्वविद्यालयों की भूमिका को मजबूत करना होगा। कृषि उत्पादों के प्रसंस्करण के लिये क्लस्टर स्थापित किये जाएँ। ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न विकासात्मक योजनाओं के लिये ऋण सम्बन्धी जानकारी किसानों को मुहैया कराई जाए। उच्च उत्पादकता के लिये खेती सम्बन्धी तौर-तरीकों में तकनीक का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल किया जाए। सिंचाई सुविधाओं और उर्वरकों की उपलब्धि की दिशा में किसानों को जागरूक किया जाए। फसल विविधीकरण, फसल पुनर्चक्रीकरण और जैविक उर्वरक के इस्तेमाल आदि के मामले में किसानों को जानकार बनाया जाए।

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किसान बिनोद तिवारी ने कहा कि आज सभी पहाड वासियों को गॉव अलचोना के महिला किसानों से सीखना होगा कि कैसे जल जगंल ज़मीन के संरक्षण से ही जैव विविधता से आजीविका सम्पन्न बना जा सकता है । महिला किसान समुह कि खषटी दीदी ने बताया कि खेती स्वरोज़गार से आत्मनिर्भर की सफल मिशाल ये सभी महिला किसान है बल्कि उनके साथ कई लोग और कई परिवार अपनी आजीविका के लिए निर्भर है । मिश्रित जैव विविधता से परिपूर्ण जंगल न केवल पानी को संरक्षित करते है बल्कि जल सपंज को भी बनाये रखते है । यही बहते वर्षा जल को आज संरक्षित करने के लिये सामुदायिक जन सहभागिता के ज़रिये सभी स्थानीय निवासियों, स्वयं सहायता समूहों, नौला मित्रो, स्थानीय किसानों को व्यवसायिक खेती के लिये प्रोत्साहित किया जाय ।

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पर्यावरणविद गोपाल दत्त पलडिया ने कहा इसके अलावा मैं मानता हूँ कि कृषि क्षेत्र में सार्वजनिक निवेश बढ़ाया जाए। छोटे और सीमान्त किसानों को ऋण सुविधाएँ बेहतर की जाएँ। ये कुछ मानक है जिनपर कार्य किया जाए तो हम अपने किसान भाइयों को आत्मनिर्भर बना सकते हैं। प्रधान मंत्री फ़सल बीमा के तहत कोरोना काल मैं किसानों की फ़सल का सही बीमा होना चाहिये । आगामी भविष्य आपसभी किसानों का ही है ..और आज इसकी शुरूआत हो चुकी है ! आइये आगे बढ़ें देश को आत्मनिर्भर बनाएं, अपनी पहचान बनाएं। कार्यक्रम में भुवन भंडारी, विनोद तिवारी, एम सी जोशी, कृष्णानंद भट् , बिपिन जोशी, भुवन पलडिया, दुर्गा दत्त सहित ग्रामीणों ने भाग लिया ।

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