आशा कार्यकत्रियों द्वारा अपनी मांगों को लेकर राष्ट्रपति के नाम भेजा गया ज्ञापन

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संतोष बोरा , नैनीताल ( nainilive.com )- अपनी मांगों को लेकर शुक्रवार को आशा कार्यकत्रियों द्वारा नगर के बीड़ी पांडे अस्पताल में धरना प्रदर्शन करते हुए अपनी मांगों को लेकर राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा गया। प्रदेश अध्यक्ष कमला कुंजवाल ने कहा कि श्रम कानूनों को खत्म करने काम के घंटे 8 से 12 करने, 44 केंद्रीय श्रम कानूनों का कोडीकरण करके मजदूरों के अधिकारों को छीनने की सरकार की मुहिम के खिलाफ केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों और मजदूर फेडरेशनों द्वारा संयुक्त रूप से 22 मई को देशव्यापी विरोध दिवस आयोजित किया गया है। कोरोना वायरस और लॉकडाउन में जो भी कार्य स्वास्थ्य विभाग द्वारा निर्धारित किये जा रहे हैं। वे सारे कार्य आशाए स्वास्थ्य विभाग के दिशा निर्देश में कर रही हैं। लेकिन इतने काम करने के बाद भी आशाओं को कोई भुगतान नहीं किया जा रहा है। और न ही उनकी सुरक्षा की सुध ली जा रही है।

उन्होंने कहा प्रधानमंत्री द्वारा कोरोना राहत हेतु 20 लाख करोड़ के पैकेज की जो घोषणा की गई। उसमें कोरोना की फ्रंट वारियर्स आशाओं के लिए कुछ भी नहीं है। सरकार ने न तो कोरोना संकट में किये जा रहे कार्य के लिए आशाओं को कोई आकस्मिक फंड उपलब्ध कराया है। और न ही कोई मानदेय या प्रोत्साहन राशि दी है। उत्तराखंड के विभिन्न जिलों की आशाओं को मिलने वाली अपनी बकाया धनराशि ग्रुप एक्टिविटी, दो हजार रुपये का किसी ब्लॉक में नंबर 2019 व जनवरी 2020 से एक भी पैसा नहीं मिला है। ऐसे में वे कैसे कार्य करेंगी। अपने परिवार का भरण पोषण करेंगी। इसका तत्काल भुगतान किया जाय।

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कुंजवाल ने बताया कि श्रम कानूनों को तीन साल के लिए स्थगित करने का फैसला वापस लिया जाय। 8 घंटे कार्य दिवस को 12 घंटे करने के फैसले को वापस लिया जाए। 44 केंद्रीय श्रम कानूनों का कोडीकरण करके मजदूरों के अधिकारों को छीनना बंद हो। किसी ब्लॉक में नवम्बर 2019 से व कहीं जनवरी 2020 से एक भी पैसा नहीं मिला है। इसका तत्काल भुगतान किया जाय। सभी आशा वर्करों को तत्काल 10 हजार रुपये कोरोना लॉकडाउन राहत भुगतान किया जाय। कोरोना वायरस कार्य में लगी आशा वर्कर्स का मासिक मानदेय का तत्काल भुगतान किया जाए। कोरोना वायरस में लगी आशा वर्करों को पूर्ण सुरक्षा की व्यवस्था की जाए। आशाओं को सरकारी कर्मचारी का दर्जा और समान वेतन दिया जाय।

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