आयुक्त दीपक रावत के जनता दरबार में किसी को मिली जमीन तो एक होनहार को मिला शिक्षा का अधिकार
हल्द्वानी ( nainilive.com )- कैम्प कार्यालय में आयुक्त दीपक रावत ने शनिवार को जनसुनवाई कर मौके पर शिकायतों का समाधान किया। जन शिकायतों में अधिकांश शिकायतें, भूमि विवाद, पारिवारिक विवाद व अतिक्रमण, आदि से सम्बन्धित आई। जनसुनवाई में आयुक्त ने विभागीय अधिकारियों को तलब कर समस्याओं का मौके पर समाधान किया। आयुक्त ने कहा कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि में किसानों द्वारा केवाईसी सत्यापन का कार्य प्रतिवर्ष किया जाता है लेकिन कुछ किसानों द्वारा केवाईसी सत्यापन नही कराने से किसान सम्मान निधि सम्बन्धित किसानों के खातों में नही आती है। उन्होंने सभी किसानों से अपील की है कि प्रत्येक वर्ष प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का अपडेशन अवश्य करें।
आयुक्त ने कहा कि हल्द्वानी शहर को डस्टबिन फ्री शहर की ओर बढाना होगा तभी कूडे के ढेर कम होंगे। इसके लिए डोर-टू-डोर कूड़ा उठान की व्यवस्था शहर के प्रत्येक वार्डो तक सुनिश्चित करानी होगी। आयुक्त ने नगर आयुक्त को निर्देश दिये कि शहर में डस्टबिनों की संख्या न्यून करने के साथ ही घरों से कचरा उठाने की व्यवस्था को मजबूत करना सुनिश्चित करें।
जनसुनवाई में हेमा बसेडा निवासी पिथौरागढ ने बताया कि वर्ष 2019 में हल्द्वानी मे भूमि दीपा वाणी निवासी रमतोला जिला अल्मोडा से 2000 स्वायर फिट भूमि क्रय की गई। साथ ही दीपा वाणी ने दूसरी भूमि संदीप वाणी को 2000 स्वायर फिट दान में दी थी संदीप वाणी ने उक्त भूमि को विनुली देवी को क्रय कर दी थी। लेकिन वर्तमान में हेमा बसेडा की भूमि 200 फीट स्थल पर कम निकली। आयुक्त ने दोनों पक्षों को तलब कर हेमा बसेडा को 200 फीट भूमि देने तथा दूसरे पक्ष विनुली देवी को 200 स्वाक्यर फीट भूमि का मुआवजा देने हेतु सुलह कराई। जिस पर दोनों पक्षों द्वारा आयुक्त का आभार व्यक्त किया।
विगत जनसुनवाई में एकता विहार निवासियों द्वारा बताया कि गैस गोदाम सडक पर अधिकांश लोगों ने सडक पर रैम्प बनाकर अतिक्रमण कर दिया है जिससे आवागमन में काफी परेशानियों का सामना करना पड रहा है। जिस पर आयुक्त ने सिटी मजिस्ट्रेट को जांच कर कार्यवाही करने के निर्देश गये थे। एकता विहार निवासिंयो द्वारा समस्या का समाधान होने पर आयुक्त का धन्यवाद किया।
न्यू मान्टेसरी स्कूल, हल्द्वानी में कक्षा पांच में अध्ययनरत छात्र कार्तिक कुमार को आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण उनका परिवार स्कूल की फीस जमा नही कर पाया था। जिस पर स्कूल प्रबंधक द्वारा छात्र को स्कूल न आने की चेतावनी दी गई थी। अभिभावक मामले को लेकर दरबार पहुंचे, जहां आयुक्त के कहने पर स्कूल ने बच्चे को परीक्षा में सम्मलित होने की सहमति दी। साथ ही बच्चे की आगे की पढ़ाई प्रभावित न हो इस पर भी स्कूल में ही आगे की शिक्षा लेने पर सहमति दी। अभिभावक और स्कूल में सहमति बनी की बकाया फीस को छोड़ते हुए अब हर माह की फीस अभिभावक देंगे ।
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