खुशखबरी :: अभासपए तथा अमजा उत्तराखण्ड के प्रयासों से बढ़ी समाचार पत्रों की वार्षिक विवारणी ई-फाइलिंग की तिथि
राज कमल गोयल, देहरादून ( nainilive.com )- भारत के पत्रो के महापंजीयक ने अभासपए तथा अमजा उत्तराखण्ड के अनुरोध पर प्रकाशकों के लिए वार्षिक विवारणी की ई-फाइलिंग की अंतिम तिथि 30 सितंबर 2024 तक बढ़ा दी है। इससे भारत भर के पत्र प्रकाशकों को सुविधा हो गई है। दोनों संगठनों ने ज्ञापनों और पत्राचार से ध्यानाकर्षण किया था कि प्रकाशकों को ई-फाइलिंग में आ रही समस्याओं के दृष्टिगत प्रकाशकों के लिए वार्षिक विवारणी की ई-फाइलिंग की अंतिम तिथि 30 सितंबर 2024 तक बढ़ाई जाए ।
अखिल भारतीय समाचार पत्र एसोसिएशन कानपुर (अभासपए) तथा ऑल मीडिया जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन उत्तरांखड ने भारत के समाचार पत्रों के महापंजीयक को अलग-अलग ज्ञापन भेजकर पूर्व में इन्हीं सब कारणों और पत्र और पत्रकार संगठनों के अनुरोध पर प्रकाशकों के लिए वार्षिक विवरणी ई-फाइलिंग की तिथि एक माह बढ़ाने को धन्यवाद देते हुए कहा था कि आरएनआई वैबसाइट के नये पोर्टल में तकनीकी कमियों के चलते सीए और प्रिंटिंग प्रेस के प्रोफाइल बनाने में मिसमैच की समस्याएं देशव्यापी हैं, जिनसे अभी भी बड़ी संख्या में प्रकाशक 2023-24 की वार्षिक विवरणी अभी तक भी नहीं भर पाए हैं।
अखिल भारतीय समाचार पत्र एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश चंद्र शुक्ल ने ज्ञापन में इस ओर भी ध्यान दिलाया कि आरएनआई वैबसाइट की तकनीकी कमियों और समस्याओं के रहते भी प्रकाशकों पर अनुचित अर्थदंड आरोपित हो रहा है जो महापंजीयक के भी संज्ञान में है। अभी तक वैबसाइट पोर्टल की तकनीकी कमियों और मिसमैच की समस्याओं का निराकरण नहीं हुआ है। इससे डाटा अपलोड ही नहीं हो पा रहा है।
ऑल मीडिया जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन उत्तरांखड के महामंत्री रवीन्द्रनाथ कौशिक ने ज्ञापन में भारत के समाचार पत्रों के महापंजीयक का ध्यानाकर्षण किया था कि कुछ प्रकाशक अपरिहार्य कारणों से पहला वार्षिक विवरणी जमा न कर पाने पर आरोपित अर्थदंड से बहुत असुविधा अनुभव कर रहे हैं। यद्यपि बड़ी संख्या में प्रकाशक निर्धारित तिथि की बजाय विलंब से ई-फाइलिंग विंडो खुलने की तकनीकी बाधाओं के बाद भी समय पर निर्धारित प्रक्रिया में वार्षिक विवरणी भर चुके हैं।
दोनों संगठनों अभासपए कानपुर तथा अमजा उत्तराखण्ड ने इन सब तथ्यों के प्रकाश में निवेदन किया था कि वार्षिक विवरणी की ई-फाइलिंग की तिथि प्राकृतिक न्याय के दृष्टिगत एक और माह 30 सितंबर 2024 तक बढ़ाई जाए जिसे मान लिया गया है ।
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