गुरुओं को समर्पित गुरु पूर्णिमा विशेष: गुरु गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय। बलिहारी गुरु अपने गोविन्द दियो बताय।।

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हिमानी बोहरा, नैनीताल ( nainilive.com)- आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा के नाम से जानते हैं। आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. यह लगातार तीसरा वर्ष है जब गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्रग्रहण लग रहा है. यह उपच्छाया चंद्रग्रहण होगा जो भारत में नहीं दिखाई देगा. इसलिए यहां पर ग्रहण का सूतक भी मान्य नहीं होगा।

ॐ गुं गुरुभ्यो नम:।
ॐ परमतत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नम:।
ॐ वेदाहि गुरु देवाय विद्महे परम गुरुवे धीमहि तन्नौ: गुरु: प्रचोदयात्।

गुरु पूर्णिमा पर है गुरु पूजन की परंपरा
आषाढ़ महीने की पूर्णिमा तिथि पर हर वर्ष गुरु पूर्णिमा का त्योहार मनाया जाता है. इस बार भी पिछले साल की तरह गुरु पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण लग रहा है. गुरु पूर्णिमा पर गुरु पूजन की परंपरा होती है. पूर्णिमा तिथि पर भगवान सत्यनारायण की कथा और मंत्रों का जाप करना चाहिए. पूर्णिमा तिथि पर दान और गंगा स्नान भी किया जाता है।

गुरु बिन ज्ञान नहीं . . .
गुरु बिन ज्ञान नहीं,

ज्ञान बिन आत्मा नहीं,

ध्यान, ज्ञान, धैर्य और कर्म,

सब गुरु की ही देन हैं !!
गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जानते हैं
द्रिगपंचांग के अनुसार, गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जानते हैं. क्योंकि आज के दिन वेदव्यास का जन्म हुआ था. वेदव्यास ही महाभारत के रचयिता माने जाते हैं।

गुरु पारस को अन्तरो, जानत हैं सब संत।

वह लोहा कंचन करे, ये करि लेय महंत।।

गुरु और पारस के अन्तर को सभी ज्ञानी पुरुष जानते हैं. पारस मणि के विषय जग विख्यात हैं कि उसके स्पर्श से लोहा सोने का बन जाता है किन्तु गुरु भी इतने महान हैं कि अपने गुण ज्ञान में ढालकर शिष्य को अपने जैसा ही महान बना लेते हैं।

बिना गुरु के ज्ञान असंभव है।
कबीर दास कहते हैं कि, हे सांसरिक प्राणियों, बिना गुरु के ज्ञान नहीं मिल सकता है. तब तक मनुष्य अज्ञान रूपी अंधकार में भटकता हुआ मायारूपी सांसारिक बन्धनों मे जकड़ा रहता है जब तक कि गुरु की कृपा प्राप्त नहीं होती. मोक्ष रूपी मार्ग दिखलाने वाले गुरु हैं. गुरु की शरण में जाओ. गुरु ही सच्ची राह दिखाएंगे।

गुरु बिन ज्ञान न उपजै, गुरु बिन मिलै न मोष।

गुरु बिन लखै न सत्य को गुरु बिन मिटै न दोष।।

भगवान से भी ऊंचा हैं गुरु का स्थान
कल गुरु पूर्णिमा है. हिंदू धर्म में गुरु को भगवान से ऊंचा स्थान दिया गया है. इस लिए इस दिन गुरु की पूजा की जाती है. इस दिन शिष्य अपने गुरु की तस्वीर लगाकर विधि विधान से पूजा करते है. तथा उन्हें आभार व्यक्त करते हैं. शिष्य यथा संभव दान भी देते हैं।

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