हरिद्वार, हल्द्वानी, यूएस नगर सेमी क्रिटिकल जोन घोषित, भूजल स्तर गिरा
न्यूज़ डेस्क , हल्द्वानी ( nainilive.com )- नदियों का उद्गम कहे जाने वाले देवभूमि उत्तराखंड में भूजल स्तर घटता जा रहा है। लगातार तेजी बढती आबादी की वजह से भविष्य में पेयजल की संमस्या गंभीर रुप ले सकती है। केंद्रीय भूजल आयोग द्वारा किए रिसर्च में यह खुलासा हुए है कि हल्द्वानी, हरिद्वार और यूएस नगर के विकासखंडों में वाटर रिचार्ज न होने की वजह से भूजल स्तर में तेजी से गिरावट आ रही है। इन क्षेत्रों को सेमी क्रिटिकल जोन घोषित कर वाटर रिचार्ज की व्यवस्थाओं को तेजी से बढ़ाने के लिए कहा गया है। घटते भूजल स्तर को सुधारने के लिए जल संस्थान व सिंचाई विभाग द्वारा अनेक प्रयास किए जा रहे है लेकिन व्यापक स्तर पर वाटर रिचार्ज की व्यवस्थाएं नही किए जाने से इसमें कोई सुधार नही हो रहा है।
हरी-भरी धरा के नीचे खोखली हो जाएगी धरती
बढ़ती आबादी के साथ भवन निर्माण भी कंक्रीट के जरिए तेजी से किए जा रहे हैं। जगह- जगह सिमेंट की सड़कों का निर्माण किया जा रहा है। फलस्वरुप जमीन के भीतर पानी के सभी रास्ते बंद किए जा रहे हैं। जिससे बरसात के दिनों में होने वाला वाटर रिचार्ज को जरिए पूर्णतया बाधित हो रहा है। इसके अलावा रेन हारवेस्टिंग के नियम लागू होने के बावजूद अमल में नही लाया जा रहा है।
कहां क्या है भूजल स्थिति
केंद्रीय भूजल आयोग द्वारा किए रिसर्च के अनुसार हल्द्वानी क्षेत्र में भूजल की स्थिती गंभीर बनी हुई है। जबकि यहां वर्ष भर में 1246 एमएम तक बरसात होती है।लेकिन वाटर रिचार्ज की व्यापक व्यवस्था नह होने से यह पानी नालियों व नहरों के जरिए यहां से निकल जाता है। आंकड़ों के मुताबिक यहा का भूजल स्तर 75.89 एमसीएम है। जो सामान्य तौर पर कम से कम 150 एमसीएम तक होना चाहिए। पेयजल की कमी को देखते हुए नए ट्यूबवेल बोरिंग कराने पर पूर्णतया प्रतिबंधित कर दिया गया है।
यूएस नगर के खटीमा विकासखंड में भी भूजल की स्थिती कमोबेस यही है। आम तौर पर यहां 1282.0 एमएम तक बारिश सालाना होती है। रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार यहां भूजल और सरफेस वाटर की मात्रा 230 .18 एमएम है। लेकिन वाटर रिचार्ज न होने से यइ लगातार घट रहा है। इस कारण भविष्य में पेयजल और सिंचाई के लिए भारी संकट का सामना करना पड़ सकता है।
जनपद हरिद्वार के बहादराबाद विकासखंड की बात करें तो रिपोर्ट के मुताबिक यहां लिए गए पानी के नमुनों में नाइट्रेट की मात्रा ज्यादा पाई गई है। साथ ही मैगनीज और क्रोमियम भी पाए गए हैं। यहां के जल में आयरन की मात्रा भी 45 प्रतिशत से ज्यादा पाई गई है। जो भूजल आयोग समेत स्थानीय अधिकारियों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है।
वहीँ जल संस्थान के अधिशासी अभियंता एसके श्रीवास्तव ने कहा कि जल संचय के लिए जगह- जगह वाटर रिचार्ज के लिए व्यवस्थाएं बनाई जा रही हैं। आयोग द्वारा जारी गाइडलाइनों के अनुरुप निजी तौर पर टयूबवेज बोरिंग पर पाबंदी लगा दी गई है। सरकारी बोरिंग भी पिछले एक से नही कराए गए हैं।
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