लॉकडाउन सुधारेगा दुनिया का बिगड़ा मौसम -ग्लोबल वॉर्मिंग की रफ्तार में लगेगी लगाम समय -कम होगा ग्लेशियरों का पिघलना, हिमालय का तापमान होगा बैलेंस -एरीज के वैज्ञानिकों ने जताई संभावनाएं
रमेश चंद्रा ,नैनीताल ( nainilive.com )- मौसम की दुश्वारियां समूचा विश्व झेल रहा है। बादलों का फटना, बाढ़ का कहर, सूखे की मार, लगातार बारिश औऱ भीषण बर्फबारी। इसे मौसम का क्रोध कहना गलत न होगा, जो मानव द्वारा प्रकृति के साथ छेड़छाड़ को लेकर पनप रहा था। दुनिया का शायद ही कोई हिस्सा हो जो मौसम की मार न झेल रहा हो। मौसम के दिन पर दिन बिगड़ते स्वरूप को लेकर आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) वैज्ञानिक पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ नरेंद्र सिंह बहके ही कोरोना के कहर से दुखी हों, लेकिन प्रदूषण के कम होते स्तर से खुश हैं और कोरोना पर अंकुश को लेकर लगाए लॉकडॉन पर अपनी बेबाक राय देते हुए कहते हैं कि इन दिनों आसमान की नीलीमा अपने रंग में लौटने लगी है। खिला खिला आसमान वैसा ही नजर आता है जो लंबे मानसून के बाद होता है। ये लॉकडाउन का असर है, हम बेशक इससे खफा हों लेकिन कुदरत खुश नजर आती है। देखना इसका असर आने वाली ऋतुओं में देखने को मिलेगा। कई सालों से देख रहे हैं कि कभी बरसात समय पर नही होती है तो कभी मानसून में सूखा पड़ जाता है। बारिश के रंग भी अजीब हो चले थे , जो अलग अलग खण्डों को भिगो रही थी। कई हिस्से भरी बरसात में भी सूखे रह जा रहे थे। रेगिस्थान जैसे इलाकों में मेघ बरसने लगे थे और बाढ़ जैसी आपदा की जन्हा कल्पना नही की जा सकती थी वंहा सैलाब बनकर त्राहि मचाने लगे थे। पिछले कुछ सालों से बर्फबारी का भीषण प्रकोप किसीसे से छिपा नही है। युरोपीय देश इसके बड़े भुक्तभोगी रहे हैं।
पर्यावरण को ताक पर रखकर अपनी जरूरतों को पूरा करने का खामियाजा ही था जो मौसम का रौद्र रूप देखने को मजबूरब कर रहा था। इस त्राहि से वैज्ञानिक वर्ग बेहद चिंतित था। मगर अब एक सुधार देखने को आया है, वो चाहे लॉकडाउन से ही सही , जिसने भविष्य के मौसम में सुधार लाने की संभावनाएं प्रबल नजर आने लगी हैं। तापमान के अपने स्तर पर लौट आने की उम्मीद भी बढ़ गई हैं। जिसके चलते आर्कटिक की बर्फ हो या हिमालय के ग्लेशियर का पिघलना कम हो जाएगा। कुल मिलाकर ये कह सकते हैं कि मौसम अपने प्राकृतिक स्वरूप में लौट आएगा।
लेखक रमेश चंद्रा ,नैनीताल, वरिष्ठ पत्रकार हैं , और साथ ही विज्ञान एवं एस्ट्रोफिजिक्स एवं स्पेस साइंस के फील्ड में लेखन में इनका अच्छा दखल है. इनके एस्ट्रोफिजिक्स के क्षेत्र में लिखे कई लेख नामी समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं.
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