नैनीताल में हो रही बारिश के चलते बलियानाले में फिर हुआ भूस्खलन

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न्यूज़ डेस्क , नैनीताल ( nainilive.com )- नैनीताल में हो रही बारिश के चलते एक बार फिर से बलिया नाला क्षेत्र में भूस्खलन देखने को मिला है जिस वजह से अब क्षेत्रवासियों में डर का माहौल बना हुआ है। शनिवार को शहर में हुई भारी बारिश के बाद देर रात पहाड़ी में एक बार फिर से भूस्खलन हो गया। जिससे क्षेत्रवासियों में हड़कंप मचा हुआ है। क्षेत्रवासियों ने जल्द पहाड़ी के ट्रीटमेंट कार्य शुरू किए जाने की मांग की है।

बता दें कि बलिया नाला क्षेत्र नैनीताल के अस्तित्व के लिए बेहद अहम है और बलिया नाले को नैनीताल की बुनियाद माना जाता है ऐसे में नैनीताल के अस्तित्व के लिए बलिया नालें के संरक्षण का कार्य जल्द से जल्द कराया जाना चाहिए।

आपको बताते चले कि बलियानाले में 1972 से लगातार भूस्खलन हो रहा जिससे शासन प्रशासन की भी चिंताएं बढ़ाई हुई है और बलिया नाले के ऊपरी छोर में स्थित रईस होटल, हरि नगर क्षेत्र का करीब 30 मीटर हिस्सा अब तक भूस्खलन की जद में आ चुका है और कई लोग अपने घरों को खाली करने को मजबूर हो चुके हैं लेकिन इसके बावजूद भी बलिया नाले के स्थाई ट्रीटमेंट के लिए उचित कदम नहीं उठाए जिस वजह से अब एक बार फिर से क्षेत्र में भूस्खलन होने लगा है।

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बीते वर्षो में नाले के ट्रीटमेंट के लिए देश की कई नामचीन संस्थाओं द्वारा पहाड़ी का सर्वे कर करोड़ों रुपए ट्रीटमेंट कार्य में बहा दिए गए। मगर पहाड़ी में भूस्खलन नहीं थमा। इधर बीते वर्ष से पहाड़ी में भूस्खलन नहीं होने के कारण क्षेत्रवासी कुछ राहत महसूस कर रहे थे। मगर शनिवार को हुई भारी बारिश के बाद एक बार फिर क्षेत्र में दहशत का माहौल है। भारी बारिश के चलते शनिवार रात रईस होटल और हरिनगर की ओर की पहाड़ी में भारी भूस्खलन हुआ। इस दौरान भारी मात्रा में मलबा नाले में समा गया। तेज आवाज के साथ मलबा गिरा तो क्षेत्रवासियों की नींद खुल  गयी। जिसके बाद क्षेत्रवासियों ने पूरी रात दहशत में काटी।

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क्षेत्रवासियों ने उठाई यह पहाड़ी के ट्रीटमेंट की मांग

वर्षो से बलियानाला पहाड़ी के ठीक ऊपर बसे हरिनगर क्षेत्र के लोग हर बरसात दहशत में राते गुजारते हैं। दो वर्ष पूर्व क्षेत्र से लोगों का विस्थापन किए जाने के बाद क्षेत्र वासियों द्वारा बलियानाला हरिनगर संघर्ष समिति का गठन किया गया था। समिति अध्यक्ष मुख्तार अहमद ने कहा कि वह कई बार समिति के माध्यम से सिंचाई विभाग और जिला प्रशासन से पहाड़ी के स्थाई उपचार की मांग कर चुके हैं। मगर प्रशासन बरसात के दौरान महज क्षेत्रवासियों को अन्यत्र विस्थापित कर अपना पल्ला झाड़ लेता है। कहा कि जब तक पहाड़ी का स्थाई उपचार नहीं होगा तब तक भूस्खलन की रोकथाम संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि जल्द इस संबंध में डीएम को ज्ञापन सौंप ट्रीटमेंट कार्य शुरू करवाने की मांग की जाएगी।

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 अभी डीपीआर बनने में लग सकता है तीन माह का समय

2018 में है पहाड़ी में भूस्खलन के बाद जायका, आईआईटी रुड़की, जीएसआई की टीम ने संयुक्त रूप से पहाड़ी का गहन अध्ययन किया। इस दौरान विशेषज्ञों ने पहाड़ी की रोकथाम के लिए तीन चरणों में 620 करोड़ का ट्रीटमेंट प्लांट सुझाया। इस अध्ययन को करीब दो वर्ष गुजरने को है। मगर अब तक सिंचाई विभाग इसको लेकर डीपीआर तक तैयार नहीं कर पाया है। विभाग के सहायक अभियंता डीडी सती ने बताया कि फिलहाल ट्रीटमेंट कार्य किस कंपनी से करवाया जाए इसको लेकर कवायद की जा रही है। जल्द निर्माणकारी कंपनी का निर्धारण कर डीपीआर बनाने का कार्य शुरू किया जाएगा। जिसमें करीब तीन माह लगने का अनुमान है।

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