स्पेस अपडेट: एस्ट्रो टूरिज्म का अभिन्न हिस्सा है लोनार झील
-इन दिनों झील के पानी का रंग बदलने से लोग हैरान
न्यूज़ डेस्क , नैनीताल ( nainilive.com )- मुम्बई से पांच सौ किमी दूर बुलढाणा की लोनार झील। भले ही इस झील के पानी रंग लाल रंग में रंगने लगा हो, मगर झील की बड़ी हकीकत यह है कि देश की यह एकमात्र झील है, जो क्षुद्र ग्रह के गिरने से बनी है। अब इस झील के दूसरे पहलू की ओर जाते हैं, जो पर्यटन से जुड़ा है। दुनिया की हर झील पर्यटन का केंद्र तो होता है, लेकिन मगर यह झील उन सबसे ऊपर उठकर एस्ट्रो टूरिज्म का अभिन्न हिस्सा है। जिस कारण इस झील की महत्ता अन्य झीलों की तुलना में कंही अधिक बड़ जाती है। देश की एकमात्र यह झील ही है, जो दुनियाभर के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर सकती है।
करीब 50 हजार साल पुरानी यह झील इन दिनों रंग बदलने लगी है। जिसके कई कारण हो सकते हैं, जिसका शोध के बाद ही पता चलेगा।
150 गहरी है लोनार की झील
लोनार लेक का सरफेस 1.34 किमी का है, जबकि अधिकतम लंबाई 1830 मीटर है। इस झील का क्षेत्रफल 113 हेक्टेअर है और औसत गहराई 137 मीटर है।
क्या कहते हैं वैज्ञानिक इस झील को लेकर
मशहूर वैज्ञानिक प्रो रमेश कपूर कहते हैं कि भारत में ऐसे अनेक प्राचीन अवशेष हैं, जो हमारे एस्ट्रो टूरिज्म का अभिन्न हिस्सा हैं। उन्ही में एक लोनार की झील भी है। किसी लघु ग्रह के इस हिस्से में टकराने से विशाल गड्डा हो गया और बाद में पानी भर जाने से झील में बदल गई। खगोल वैज्ञानिक प्रो कपूर देश के उन हिस्सों की तलाश में रहते हैं, जिनका रिश्ता खगोल से रहा हो। वह कहते हैं कि देश में कई ऐसी कई जगह हैं, जिसे हम देश का सुनहरा अतीत कह सकते हैं। इन स्थानों में अनेक प्राचीन मंदिर भी शामिल हैं। एस्ट्रो टूरिज्म के लिहाज से ये दुनिया में अलग स्थान रखती हैं।
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