दो हजार से अधिक महिला अधिवक्ताओं ने कोरोना के कारण आर्थिक तंगी झेल रहे अधिवक्ता समाज की सहायता हेतु की गृहमंत्री से मांग
दो हजार से अधिक महिला अधिवक्ताओं ने कोरोना के कारण आर्थिक तंगी झेल रहे अधिवक्ता समाज की सहायता हेतु की गृहमंत्री से मांग
न्यूज़ डेस्क , नैनीताल ( nainilive.com )- संकट की इस घड़ी में अधिवक्ता समाज के लिए महिला अधिवक्ताओं ने पहल कर एक अनुकरणीय मिसाल पेश की है। लॉक डाउन के कारण मार्च – 2020 से न्यायिक प्रणाली के सुचारू रूप से पूर्णतः कार्य न करने से आर्थिक तंगी झेल रहे अधिवक्ता समाज की पीड़ा को समझते हुए महिला अधिवक्ताओं ने समस्त अधिवक्ता समाज के लिए उचित नियम एवं शर्तों पर आसान किश्तों पर ऋण दिए जाने की गुहार भारत के गृहमंत्री के समक्ष उठाई है।
21 जुलाई 2020 को प्रारम्भ किए गए इस हस्ताक्षर अभियान में मात्र 40 घंटों के अंदर करीब 2000 महिला अधिवक्ताओं ने इस पहल के लिए अपनी सहमति जताई है।आंकड़े बताते हैं कि जम्मू कश्मीर से केरल व राजस्थान से मेघालय तक सम्पूर्ण भारत के कोने – कोने से लगभग 400 जनपदों के 28 राज्य और 8 केंद्र शासित क्षेत्रों की महिलाएं समस्त अधिवक्ता समाज के कल्याण हेतु इस पावन कार्य के लिये उठ खड़ी हुई हैं। इस प्रत्यावेदन की हस्ताक्षरी महिलाएं अपने साथी अधिवक्ताओं की आत्महत्या एवं उनके द्वारा किए गए असंगत कार्यों से व्यथित दिखीं और उनके लिए अपनी संवेदनाये भी व्यक्त की।
अपने प्रत्यावेदन में महिला अधिवक्ताओं ने माननीय गृह मंत्री से आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2015 के अंतर्गत अधिवक्ता समाज की सहायता की जाने एवं अप्रत्यक्ष (वर्चुअल) न्यायालयों के ढांचे को सुधारने की प्रार्थना की है। इस प्रत्यावेदन की एक प्रति माननीय प्रधानमंत्री, विधि एवं न्याय मंत्री तथा वित्त मंत्री कार्यालय भी उचित कार्रवाई हेतु भेजी गई है।
गौरतलब है कि हस्ताक्षर अभियान प्रारंभ करने के एक दिन बाद दिनांक 22 जुलाई 2020 को माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने भी उक्त संदर्भ में संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार, भारतीय विधिज्ञ परिषद एवं समस्त उच्च न्यायालयों से शीघ्र उत्तर की अपेक्षा की है। ज्ञात हो कि पहले ही विभिन्न वरिष्ठ नागरिकों एवं अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद सहित अनेक संगठनों ने भी वित्त मंत्रालय को प्रत्यावेदन भेजे हैं।
यह सब जानते हैं कि अनलॉकिंग प्रक्रिया के दौरान न्यायालय बहुत ही कम कार्य कर पा रहे हैं और आज के समय मे अप्रत्यक्ष (वर्चुअल) न्यायालयों की आवश्यकता एवं प्रासंगिकता बढ़ गयी है। अधिकतर अधिवक्ताओं के पास लैपटॉप, स्कैनर, अच्छे सिग्नल हेतु उचित मानक वाले वाईफाई जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण आदि जैसा उचित ढांचा नहीं है। हमारी विभिन्न बार एसोसिएशन भी इस सबके लिये सक्षम नहीं दिखायी पड़ती हैं। इस कारण अधिवक्ता न्याय निष्पादन प्रणाली को उचित प्रकार से सहायता नहीं कर पा रहे हैं। यदि मंत्रालय इस प्रत्यावेदन की सुनवाई करता है तो उनका यह कदम समस्त अधिवक्ता समाज को कोरोना के कारण झेल रहे आर्थिक तंगी से उबारने में एवं भविष्य के अप्रत्यक्ष (वर्चुअल) न्यायालयों के ढांचे को सुधारने व न्याय की सुलभ पहुंच में आम आदमी के हितों को भी सुनिश्चित करने में सहायक होगा।
प्रत्यावेदन भेजने वालों मे उत्तराखण्ड से जानकी सूर्या, ममता जोशी, दीपशिखा पंत जोशी, शैलबाला नेगी, अल्का चोपडा, गौरा देवी, पुष्पा भट्ट, सीमा चौधरी, नेहा शर्मा, दीपा आर्या, आदि महिला अधिवक्ता थी।
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