सरयू नदी पर खनन कार्य में उपयोग की जाने वाली भारी मशीनों पर रोक जारी:हाईकोर्ट
संतोष बोरा , नैनीताल ( nainilive.com )- हाइकोर्ट ने सरयू नदी बागेश्वर में खनन कार्य के लिए उपयोग किये जाने वाले भारी मशीनों पर रोक लगाने सम्बन्धी जनहित याचिका में सुनवाई करते हुए खनन कार्य पर लगे भारी मशीनों पर रोक जारी रखी है। खण्डपीठ ने प्रवाभित पक्षकारो से अपने प्रत्यावेदन गठित समिति के समक्ष पेश करने को कहा है और उसका निर्णय जिला अधिकारी के विवेकाधीन रहेगा चाहे वे खनन में भारी मशीनों को अनुमति दे या नही।
मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश रमेश रंगनाथन व न्यायमुर्ति आरसी खुल्बे की खण्डपीठ में हुई। आज मामले में मशीन प्रभावित पक्षकारो की तरफ से प्रार्थना पत्र पेश कर कोर्ट से यह अनुमति देने की प्रार्थना की गई है कि उनको मैनुयली खनन में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है इसलिए उनको भारी मशीन चलाने की अनुमति दी जाए।
बता दे बागेश्वर निवासी प्रमोद कुमार मेहता ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि बागेश्वर नगर क्षेत्र में बागेश्वर तहसील के अंतर्गत उपजिलाधिकारी बागेश्वर द्वारा 9 मार्च को एक निविदा प्रकाशित की है जिसके द्वारा स्थानीय व्यक्तियों/ संस्थाओं को सरयु नदी में रेता उपखनिज के निस्तारण उठान हेतु खुली नीलामी हेतु आमंत्रित किया गया था जिसे याचिकाकर्ता द्वारा इस आधार पर चुनौती दी है कि खुली नीलामी के आड़ में जिला प्रशासन माफियाओं को लाभ पहुचाने व बड़ी मशीनों के प्रयोग जेसीबी पोकलैंड मशीनों के उपयोग की अनुमति देकर पवित्र नदी के स्वरूप को खत्म करने का प्रयास कर रहा है।
आज तक सरयु नदी में बिना मशीनों के ही एनुअल चुगान होता आया है तथा बजरी रेता कभी भी बागेश्वर नगर के आसपास से गुजरने वाली सरयु नदी में कभी भी इतनी अधिक मात्रा में इकठ्ठा नही हुआ जिस से आपदा अथवा भू कटाव की कोई आशंका बने। याचिकर्ता का यह भी कथन है कि निविदा हेतु 19 मार्च तक आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि निर्धारित की गई थी तथा खुली नीलामी 20 मार्च को की जानी थी।
प्रशासन द्वारा 20 मार्च को खुली नीलामी कर दी है ।
नीलामी को निरस्त करने हेतु स्थानीय लोगो के द्वारा इस संबंध में जिलाधिकारी बागेश्वर को 13 मार्च को संयुक्त प्रत्यावेदन भी दिया जा चुका था लेकिन कोई कार्यवाही नही होने पर हाई कोर्ट में जनहित याचिका द्वारा 9 मार्च को जारी निविदा विज्ञापन व खुली नीलामी को चुनौती दी गयी है। याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि कठायतबाड़ा,सेंज,द्वाली,चौरासी,भिटालगांव,मनीखेत और आरे क्षेत्र से सरयु नदी पर मैन्युअल चुगान से बजरी रेता का निष्पादन हो जिस से स्थानीय लोगो को न सिर्फ रोजगार मिलेगा बल्कि नदी भी अपने प्राकृतिक रूप में सुरक्षित रहेगी,प्रशासन द्वारा बड़े खनिज माफियाओं को इसमें आमंत्रित करके पवित्र नदी को बहुत क्षति पहुचेगी जहाँ मशीनों द्वारा खनन से अनेकों पुलों व पानी के पम्प को खतरा उत्पन्न हो जाएगा।
याचिकाकर्ता का यह आरोप भी है कि सरयु नदी में रेता बजरी की मात्र के बिना आकलन के ही नियम विरुद्ध नीलामी की जा रही है जो कि उत्तराखंड रिवर ट्रेनिंग नीति 2020 के प्रावधानों के विपरीत है।
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